Chhattisgarh: बस्तर में भी बनाया जाएगा 'अयोध्या', डेढ़ एकड़ में बनेगा राम मंदिर, इन्होंने दान की जमीन 

Shri Ram Mandir: छत्तीसगढ़ में रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे 30 से करीब 100 मीटर की दूरी पर राम मंदिर बनेगा. बस्तर आने वाले लोग आसानी से इस मंदिर तक पहुंच सकेंगे. राजधानी रायपुर से सड़क मार्ग और हवाई मार्ग से जगदलपुर तक की सुविधा है. वहीं हैदराबाद से भी जगदलपुर की सीधी फ्लाइट है. कोलकाता, ओडिशा और विशाखापट्टनम भी जगदलपुर के रेलमार्ग से जुड़े हुए हैं. भगवान श्री राम का मंदिर बनने से पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेने की भी उम्मीद जताई जा रही है.   

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Shri Ram Mandir Bastar: छत्तीसगढ़ के बस्तर के घाट लोहंगा में अयोध्या (Ayodhya) की तर्ज पर प्रभु श्री राम का मंदिर बनाया जाएगा. इसके लिए आदिवासी समाज के सदस्य और पूर्व MLA राजा राम तोडेम ने अपनी डेढ़ एकड़ जमीन दान की है. उनका कहना है कि बस्तर में हो रहे धर्मांतरण को रोकने के साथ ही आदिवासियों को आस्था से जोड़े रखना है. मंदिर का स्ट्रक्चर अयोध्या के श्री राम मंदिर की तरह ही होगा, लेकिन इसका आकार छोटा होगा. 

खास नाता रहा है

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर पूरा देश श्री राम की भक्ति में लीन है. ऐसी ही भक्ति छत्तीसगढ़ के बस्तर (Bastar) में भी देखी जा रही है. यहां आदिवासी समाज के सदस्य ने  प्रभु श्री राम का मंदिर बनाने का फैसला लिया है. आदिवासी समाज के सदस्य राजा राम तोडेम अपनी करीब 1 एकड़ 38 डिसमिल जमीन पर श्रीराम मंदिर बनाने की तैयारी कर रहे हैं. बता दें कि प्रभु श्री राम का बस्तर से एक खास नाता रहा है. ऐसा बताया जाता है कि अपने वनवास काल के दौरान भगवान राम ने ज्यादातर समय बस्तर (दंडकारण्य) के जंगलों में बिताया था. बस्तर की जीवनदायिनी कही जाने वाली इंद्रावती नदी के किनारे बसे घाटलोहंगा गांव में मंदिर बनाया जाएगा. इस मंदिर में भगवान राम के वनवास काल के दौरान बस्तर से जुड़ी कहानियों को चित्रों और मूर्तियों के रूप में उकेरा जाएगा.

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पैसों की कमी की वजह से काम शुरू नहीं हुआ

रायपुर-जगदलपुर नेशनल हाईवे पर इंद्रावती नदी के किनारे घाटलोहंगा गांव बसा हुआ है. संभागीय मुख्यालय जगदलपुर से इस गांव की दूरी लगभग 10 किमी है. आदिवासी समाज के सदस्य राजा राम तोडेम ने साल 2003 में यहां करीब 1 एकड़ 38 डिसमिल जमीन खरीदी थी. उन्होंने उसी समय भगवान श्री राम का मंदिर बनाने का मन बनाया था, लेकिन पैसों की कमी की वजह से काम शुरू नहीं हो पाया था. जमीन के एक हिस्से में हनुमान मंदिर बनाया था. उन्होंने बताया कि उस इलाके में हनुमान भगवान का यह पहला मंदिर है. लोगों की आस्था भी जुड़ी. साल 2023 के शारदीय नवरात्र में राम मंदिर बनाने की नींव रखी गई थी. यदि सब कुछ ठीक रहा तो साल 2024 के चैत्र नवरात्र से काम भी शुरू किया जा सकता है. 

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मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से उकेरी जाएगी जानकारी 

राजाराम ने कहा कि सबसे पहले हनुमान भगवान के मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाएगा. फिर अयोध्या में बने भगवान श्री राम के मंदिर का हूबहू स्ट्रक्चर बनाने की प्लानिंग है.आर्किटेक्ट से डिजाइन बनवाई जा रही है. हालांकि, इस मंदिर का आकार अयोध्या से छोटा रहेगा. जब भगवान श्री राम अपने वनवास काल के दौरान दंडकारण्य आए थे, तो उस समय वे जिन-जिन जगहों पर गए थे, उनसे जुड़ी किवदंतियां-कहानियों को मूर्तियों और चित्रों के माध्यम से उकेरा जाएगा. ताकि, नई पीढ़ी को भी जानकारी मिल सके. फिलहाल, हनुमान मंदिर के नाम से ट्रस्ट बना हुआ है, जिसे और डेवलप किया जाएगा. मंदिर बनाने के लिए करोड़ों रुपए लगेंगे. जो भी भक्त दान करना चाहते हैं, वे इसी ट्रस्ट में दान कर सकते हैं. राजा राम ने कहा कि बिना जन सहयोग से भव्य रूप से निर्माण काम करवाना संभव नहीं है. हालांकि, चैत्र नवरात्र से काम शुरू करने की पूरी संभावना है. यदि एक बार काम शुरू हो गया, तो लोग खुद से सहयोग करेंगे.

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धर्मांतरण को रोकना भी लक्ष्य

दरअसल, बस्तर में पिछले कई सालों से लगातार धर्मांतरण हो रहे हैं. जिस गांव में राम मंदिर बनाया जाएगा, उस गांव के नजदीक भी कुछ गांवों में और इंद्रावती नदी के पार के इलाकों में ज्यादातर धर्मांतरण हुआ है. अब राम मंदिर बनाने से लोगों को हिंदू आस्था से जोड़ा जाएगा. 

ग्रामीण बोले, जुड़ी रहेगी आस्था

घाटलोहंगा गांव के रहने वाले ग्रामीण तुलसीराम ने कहा कि मंदिर बनाने के लिए गांव के लोग पूरा सहयोग देंगे. हम अयोध्या नहीं जा पाएंगे, तो यहां अयोध्या की तरह बनने वाले मंदिर में दर्शन कर लेंगे. मंदिर बनने से लोग अपने मूल धर्म से भटकेंगे नहीं. इसके साथ ही धर्मांतरण भी रुकेगा. यदि मंदिर बनता है, तो हमारी आस्था जुड़ी रहेगी. 

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