ACB Action: भिलाई में शराब घोटाला मामले में ACB और EOW की बड़ी कार्रवाई
ACB Raid in Bhilai: छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के विवादित शराब घोटाले मामले (Liquor Scam Case) में फिर एक बार छापामार कार्रवाई हुई है. रविवार को दुर्ग जिले के भिलाई (Bhilai) में एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध अन्वेषण (EOW) की संयुक्त टीम ने सुबह 6 बजे नेहरू नगर ईस्ट स्थित दो ठिकानों पर एक साथ रेड मारी. जानकारी के अनुसार, पहला ठिकाना चर्चित शराब व्यापारी विजय भाटिया का है, जो पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेहद करीबी माने जाते हैं. दूसरा ठिकाना भाटिया के मैनेजर संतोष रामटेके का बताया जा रहा है.

शराब घोटाला मामले में बड़ी कार्रवाई
इन मामलों को लेकर छापेमारी
एसीबी और ईओडब्ल्यू की ये संयुक्त कार्रवाई कथित शराब घोटाले और आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामलों के तहत की गई है. जानकारी के मुताबिक, रेड की कार्रवाई आज सुबह 6 बजे शुरू हुई. मौके पर ACB और EOW की टीम के एक दर्जन से अधिक अधिकारी मौजूद हैं. टीम में एक महिला अधिकारी भी शामिल थी. दोनों ठिकानों पर तलाशी अभियान जारी है और संबंधित दस्तावेजों, संपत्तियों की जांच की जा रही है.
दिल्ली से गिरफ्तारी
इस कार्रवाई के दौरान, ACB ने फरार चल रहे विजय भाटिया को दिल्ली से गिरफ्तार किया. भाटिया को पूछताछ के लिए छत्तीसगढ़ लाया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार, विजय भाटिया को लेकर टीम दिल्ली से रायपुर रवाना हो चुकी है, जहां शराब घोटाला मामले में उनसे पूछताछ की जाएगी.
वहीं, विजय भाटिया के मैनेजर संतोष रामटेके के घर पर भी छापेमारी की गई. हालांकि, संतोष रामटेके की पत्नी के अनुसार संतोष वर्तमान में दिल्ली में हैं, इसलिए उनकी भूमिका की जांच जारी है. टीम ने उनके ठिकानों से भी महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए हैं.
कुल 21 आरोपी
यह मामला छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले से जुड़ा है, जिसमें ईडी ने अपनी चार्जशीट में 21 लोगों को आरोपी बनाया है. इनमें पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा, अनवर ढेबर, अनिल टुटेजा, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, छत्तीसगढ़ डिस्टलर, वेलकम डिस्टलर, टॉप सिक्योरिटी, ओम साईं ब्रेवरेज, दिशिता वेंचर, भाटिया वाइन मर्चेंट और सिद्धार्थ सिंघानिया जैसे नाम शामिल हैं.

भिलाई में शराब घोटाला मामले में रेड
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क्या है पूरा मामला?
छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार के दौरान कथित शराब घोटाले का मामला सामने आया था. इस घोटाले में 2,100 करोड़ रुपये से अधिक की अवैध कमाई का आरोप लगाया गया था. प्रवर्तन निदेशालय (ED) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इस मामले की जांच की, जिसमें कई नौकरशाहों, राजनेताओं और उद्योगपतियों के शामिल होने की बात सामने आई थी.
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