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This Article is From Sep 21, 2023

जहां से निकली थी भगवान राम की पदयात्रा उसी रामपथ पर निकला युवक, जानें कौन है यह

छत्तीसगढ़ के युवक मनोज चतुर्वेदी ने रामपथ वन गमन मार्ग के छत्तीसगढ़ के हिस्से मनेंद्रगढ़, सोनहत और जनकपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका से दंतेवाड़ा, सुकमा के रामाराम चिटमिट्टीन मंदिर तक पदयात्रा करने का निर्णय लिया है.

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जहां से निकली थी भगवान राम की पदयात्रा उसी रामपथ पर निकला युवक, जानें कौन है यह
मनोज चतुर्वेदी ने पद यात्रा की शुरूआत सीतामढ़ी हरचौका से की.
गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही:

यह बात प्रामाणिक हो चुकी है कि छत्तीसगढ़ में भगवान राम ने अपने वनवास के लगभग 10 वर्ष का समय बिताया है. भगवान राम द्वारा तय किए गए इस रामपथ वन गमन मार्ग का किसी ने अब तक पदयात्रा कर चिन्हांकित करने कि कोशिश नहीं की. यह अलग बात है कि सरकारें इस पर अलग-अलग काम कर रही हैं. ऐसे में छत्तीसगढ़ के युवक मनोज चतुर्वेदी ने रामपथ वन गमन मार्ग के छत्तीसगढ़ के हिस्से मनेंद्रगढ़, सोनहत और जनकपुर जिले के सीतामढ़ी हरचौका से दंतेवाड़ा, सुकमा के रामाराम चिटमिट्टीन मंदिर तक पदयात्रा करने का निर्णय लिया है. मनोज चतुर्वेदी मनेंद्रगढ़-सोनहत-चिरमिरी जिले के खोगापानी में एक कोल माइंस में क्लर्क के पद पर पदस्थ हैं. इनके परिवार में एक बेटी, पत्नी और मां हैं.  

NDTV से खास बातचीत में मनोज ने कहा कि त्रेता युग में भगवान राम ने छत्तीसगढ़ में जिन मार्गों पर पदयात्रा कर सीता मइया और लक्ष्मण के साथ 10 वर्षों का समय बिताया, उन मार्गों पर मैं अब पदयात्रा करूंगा. इसी संकल्प के साथ 5 सितंबर को मनोज चतुर्वेदी ने पदयात्रा शुरू कर दी. उन्होंने यात्रा की शुरूआत सीतामढ़ी हरचौका से की, जहां भगवान राम ने मध्य प्रदेश के सीधी जिले से छत्तीसगढ़ के कोरिया भरतपुर मवई नदी होकर दंडकारण (वर्तमान छत्तीसगढ़) प्रवेश किया था. 

कहां से निकली थी भगवान राम की पदयात्रा 

भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने त्रेता युग में छत्तीसगढ़ के सीतामढ़ी-हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (अंबिकापुर), शिवरी नारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा-साऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) दंडकारण होते हुए दक्षिण भारत में प्रवेश किया था. छत्तीसगढ़ माता कौशल्या की भूमि है, भगवान राम का ननिहाल छत्तीसगढ़ में कहलाता है. रामायण ग्रंथ के अनुसार मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम को 14 वर्षों का वनवास मिला था. उनके साथ उनकी पत्‍नी सीता और भाई लक्ष्‍मण वन में गए थे. इस दौरान तीनों अयोध्‍या छोड़कर 14 वर्षों तक भारत-भूमि पर विभिन्‍न स्‍थानों पर रहे. वे उत्तरी भाग से लेकर दक्षिण में समुद्र तट पार कर लंका तक गए. अपने वनवास काल में भगवान राम ने 10 वर्ष छत्तीसगढ़ के वनों में वनवासियों के रूप में व्यतीत किया. उत्तर पथ से दक्षिण पथ को जोड़ने वाला मार्ग (गंगोत्री से जल लेकर सेतुबंध रामेश्वरम तक जाने का रास्ता) में छत्तीसगढ़ का हिस्सा भी पड़ता है, जो राम भगवान के वनगमन के मार्ग में था. 

मनोज चतुर्वेदी प्रतिदिन 30 से 45 किलोमीटर की यात्रा करते हैं.

मनोज चतुर्वेदी प्रतिदिन 30 से 45 किलोमीटर की यात्रा करते हैं.

मनोज के साथ NDTV की टीम ने दो दिन की यात्रा

भगवान राम के छत्तीसगढ़ में जिस वन मार्ग पर निकले उन रास्तों पर मनोज चतुर्वेदी पदयात्रा पर निकले हैं. 5 सितंबर से निकली इस पदयात्रा में यह युवक अब तक 350 किलोमीटर से अधिक की यात्रा कर चुका है. सांसारिक जीवन में रहते हुए पारिवारिक सामाजिक जिम्मेदारियों के बाद भी भगवान राम के पद मार्ग पर चलने की दृढ़ इच्छा शक्ति लिए मनोज चतुर्वेदी प्रतिदिन 30 से 45 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. इसी मार्ग पर एनडीटीवी की टीम ने भी मनोज चतुर्वेदी के साथ दो दिन रहकर लगभग 25 किलोमीटर की यात्रा की. यात्रा के दौरान मनोज ने अपने अनुभवों को हमसे साझा करते हुए बताया कि मैं कोई आध्यात्मिक बेराग्य धारण किया हुआ व्यक्ति नहीं हूं. बस जिज्ञासा वश भगवान राम के उस पथ पर चलने का निर्णय लिया जहां त्रेता युग में भगवान राम ने अपनी यात्रा की थी. आज भी वे मार्ग अनछुए हैं जो सघन वन क्षेत्र में हैं. भगवान राम के वहां रहने के स्पष्ट प्रमाण देखे जा सकते हैं. 

भगवान राम का अस्तित्व छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा

मनोज का मानना है कि जिन स्थानों को वह देखा है वहां संरक्षण की जरूरत है, रखरखाव की जरूरत है. उन स्थानों में आज भी राम राज्य स्थापित है. महत्वपूर्ण बात यह है कि छत्तीसगढ़ के राम पथ वन गमन मार्ग पर पर्यटन की भी अपार संभावनाएं हैं. इस पर्यटन मार्ग पर रोमांच और एडवेंचर के साथ आध्यात्म भी है. देश-विदेश के पर्यटक अगर यहां आएंगे तो निश्चित ही पर्यटन विकसित होगा. सरकारें राम के ऊपर काम तो कर रही हैं लेकिन ऐसे कई स्थान हैं जहां सरकार की नजर नहीं पड़ी है. उन्हें भी चिन्हांकित कर भारत भूमि को बताने की जरूरत है कि भगवान राम का अस्तित्व छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा देखने को मिला.

छूटे हुए पथ को सरकार द्वारा संरक्षण एवं चिन्हांकित करने की आवश्यकता

मनोज चतुर्वेदी ने कहा कि ये पुण्य भूमि है, राम के चरित्र को जानने, सत्य को परखने, लोगों को यह यात्रा निश्चित रूप से करनी चाहिए. राम एक युग चरित्र है इस मार्ग पर चलकर देखिए लोग मुझसे नहीं जुड़ते पर राम से जुड़ जाते है. मेरे साथ ऐसे ऐसे परिवार इस मार्ग पर साथ देने आकर खड़े हो जाते हैं जिसकी कल्पना नहीं कर सकता. सरकारें राम पर काम कर रही हैं, राम पर राजनीति भी हो रही है. अभी भी ऐसे कई स्थान छूटे हुए हैं जिन पर वास्तव में भगवान राम चलें हैं लेकिन वे रास्ते चिन्हांकित नहीं हो पाए हैं. उन्हें सरकार को संरक्षण एवं चिन्हांकित करने की आवश्यकता है.

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