इसी हफ्ते मिल सकता है मध्यप्रदेश को नया CM ! शिवराज, सिंधिया, तोमर, पटेल और शर्मा के समीकरण क्या हैं?

मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सारे अनुमानों को धत्ता बताते हुए 163 सीटें जीत लीं. अब बड़ा सवाल है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? शिवराज सिंह चौहान का नाम और चेहरा होते हुए भी CM का सवाल इसलिए क्योंकि बीजेपी ने जब राज्य में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की तो नारे लग- एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी. मतलब पार्टी ने राज्य के किसी एक चेहरे को सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ा.

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Madhya Pradesh Results 2023: मध्यप्रदेश में बीजेपी ने सारे अनुमानों को धत्ता बताते हुए 163 सीटें जीत लीं. पार्टी ने सूबे में दो तिहाई से ज्यादा का बहुमत तो हासिल कर लिया है लेकिन अब बड़ा सवाल है कि राज्य का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा ? इसी को लेकर दिल्ली में बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा (JP Nadda) और मध्यप्रदेश के चुनाव प्रभारी  केंद्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav) ने आज यानी मंगलवार 5 दिसंबर को मुलाकात की है. इस मुलाकात के बाद दोनों के साथ प्रदेश अध्यक्ष वी डी शर्मा (V D Sharma) ने बैठक भी की. बहरहाल शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) का नाम और चेहरा होते हुए भी CM का सवाल इसलिए क्योंकि बीजेपी ने जब राज्य में अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की तो नारे लग- एमपी के मन में मोदी और मोदी के मन में एमपी. मतलब पार्टी ने राज्य के किसी एक चेहरे को सामने रखकर चुनाव नहीं लड़ा. सामूहिक नेतृत्व में लड़े गए इस चुनाव में खास बात ये भी है कि बीजेपी के दो केंद्रीय मंत्री सहित कुल 5 सांसद जीत हासिल करने में सफल रहे हैं. 

इनमें से  केन्द्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और प्रहलाद पटेल (Narendra Singh Tomar and Prahlad Patel) मुख्यमंत्री पद की रेस में हैं. इसके अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, कैलाश विजयवर्गीय (Jyotiraditya Scindia, Kailash Vijayvargiya) और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी CM पद के दावेदार बताए जा रहे हैं.

हालांकि इनमें चुनाव प्रबंधन समिति के भी संयोजक रहे केन्द्रीय मंत्री तोमर का दावा उनके बेटे के वायरल वीडियो की वजह से कुछ कमजोर हुआ है. प्रह्लाद पटेल कद्दावर ओबीसी नेता हैं लेकिन उनका रुख सख्त है और उनकी छवि सर्वमान्य नहीं बताई जा रही है. इसी तरह से कैलाश विजयवर्गीय रेस में तो हैं लेकिन कई बार अनर्गल बयानबाजी और बंगाल के नतीजे उनकी राह का रोड़ा बन सकते हैं.

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एक और दावेदार वीडी शर्मा की रणनीति सुर्खियों में हैं लेकिन ब्राह्मण होने की वजह से उनको आगे लाने पर सवाल खड़े हो सकते हैं. ज्योतिरादित्य सिंधिया भी इस रेस में बहुत आगे हैं लेकिन एक तो वो कांग्रेसी पृष्ठभूमि से हैं दूसरा उनके नाम पर प्रदेश में गुटबाजी हो सकती है

.फिलहाल इन सब नामों में सबसे कद्दावर शिवराज ही नजर आते हैं. जिनकी लाडली बहना योजना पार्टी को दुबारा सत्ता में लेकर आई,उनका ओबीसी होना और चुनाव के दौरान की गई मेहनत भी उनके हक में जाता है. हालांकि अब पार्टी में ही इसपर सवाल उठ रहे हैं. इसी संदर्भ में कैलाश विजयवर्गीय का एक बयान भी चर्चा में है.  जिसमें उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भी बीजेपी को जीत मिली है और वहां लाड़ली बहना जैसी कोई योजना तो नहीं थी. जाहिर है हर बार की तरह मुख्यमंत्री का फैसला दिल्ली में बीजेपी संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा. ऐसा कहा जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व जल्द ही पर्यवेक्षकों की नियुक्ति करेगा लेकिन सारी कवायद 16 दिसंबर से पहले पूरी कर लेने की बात कही जा रही है. 

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