विधायकों का रिपोर्ट कार्ड: 'भूख' को भूल गए माननीय, 'शहरी चकाचौंध' पर पूछे सबसे ज्यादा सवाल

मध्यप्रदेश में नई सरकार को चुनने के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को 16वीं विधानसभा की सूरत कैसी होगी इसका पता चल जाएगा. ऐसे में ये जानना मौजूं होगा कि मौजूदा विधानसभा में क्या-क्या हुआ ? आपने जिन माननीयों को चुनकर भेजा था उन्होंने क्या और कितना काम किया? कितने सवाल पूछे, कैसी उपस्थिति रही.

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Madhya Pradesh Assembly election: मध्यप्रदेश में नई सरकार को चुनने के लिए 17 नवंबर को वोटिंग होगी और 3 दिसंबर को 16वीं विधानसभा की सूरत कैसी होगी इसका पता चल जाएगा. ऐसे में ये जानना मौजूं होगा कि मौजूदा विधानसभा (current assembly)में क्या-क्या हुआ ? आपने जिन माननीयों को चुनकर भेजा था उन्होंने क्या और कितना काम किया? कितने सवाल पूछे, कैसी उपस्थिति रही...आदि-आदि...आपके ऐसे तमाम सवालों का हम तफ्सील से जवाब देंगे लेकिन पहले एक तस्वीर पर गौर कर लेते हैं.  

शिवपुरी के पोहरी के पोषण पुनर्वास केन्द्र (Nutrition Rehabilitation Center) में भर्ती 3 साल की संजना अब देख नहीं सकती, कुपोषण ने उसकी आंखें छीन ली हैं. यहां NRC में 12 बच्चे भर्ती हैं जिसमें संजना की बहन कविता भी शामिल है.मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) ने इस साल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह (Dr. Govind Singh) के सवाल पर लिखित जवाब में सदन को बताया था कि 2023 के पहले तीन महीनों में लगभग 78,000 बच्चे राज्य में कुपोषित पाए गए.अटल बिहारी वाजपेयी बाल आरोग्य एवं पोषण मिशन मध्यप्रदेश के मिशन संचालक ने जो रिपोर्ट दी उसमें ये भी बताया गया कि जनवरी-फरवरी और मार्च में 21,631 बच्चे गंभीर रूप से,57 602 बच्चे मध्यम कुपोषित मिले.         

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अब यदि आप सोच रहे होंगे कि मध्यप्रदेश में जहां 5 साल से कम उम्र के 33 फीसद से ज्यादा बच्चों का वजन कम हैं, वहां विधानसभा इन सवालों से गूंज रही होगी -तो आप बिल्कुल ग़लत हैं-मध्यप्रदेश की विधानसभा में विधायकों ने सबसे कम सवाल महिला और बाल विकास से ही पूछे हैं.

इनकी संख्या है 735.मध्य प्रदेश की वर्तमान 15 वीं विधानसभा में विधानसभा में पूछे गए 29,484 प्रश्नों में से, सबसे अधिक संख्या (2205), शहरी विकास और आवास पर पूछे गए,उसके बाद पंचायत और ग्रामीण विकास (2056) और फिर राजस्व विभाग से 1997 सवाल पूछे गए.

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बीजेपी विधायकों की उपस्थिति विपक्ष पर रही भारी

निवर्तमान 15वीं मध्य प्रदेश विधानसभा अपने पीछे कुछ ऐसे आंकड़े छोड़ रही है जिन पर इसके सदस्यों को गर्व नहीं होगा. इस विधानसभा में औसतन केवल 16 दिन काम काज हुआ जबकि-पिछले कार्यकाल में 27 दिन और उससे पहले के कार्यकाल में 33 दिन काम काज हुआ था उसमें भी-अध्यक्ष, संसदीय कार्य मंत्री और विपक्ष के नेता की उपस्थिति बहुत कम थी.  वर्तमान मप्र विधानसभा में विधायकों के प्रदर्शन पर एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (Association for Democratic Reforms) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले पांच वर्षों के दौरान कुल 79 बैठकों में से अधिकतम में भाग लेने वाले पांच विधायकों (सभी बीजेपी विधायक) में कुंवरजी कोठार, पूर्व मंत्री हरिशंकर खटीक,दिलीप सिंह परिहार,श्याम लाल द्विवेदी और सुदेश राय (Harishankar Khatik, Dilip Singh Parihar, Shyam Lal Dwivedi and Sudesh Rai)शामिल हैं.  जिनमें से सभी ने पिछले पांच वर्षों के दौरान कुल 79 बैठकों में से 97% तक भाग लिया.
ये भी रोचक है कि उपस्थिति में शीर्ष पर रहने वाले इन 5 विधायकों में से,बीजेपी ने दो विधायकों श्यामलाल द्विवेदी (त्योंथर-रीवा) और कुंवरजी कोठार (सारंगपुर-एससी) को टिकट नहीं दिया है.

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सबसे ज्यादा सवाल पूछने में भी बीजेपी विधायक आगे

इसके अलावा,जब अधिकतम प्रश्न पूछने की लिस्ट में भी बीजेपी आगे रही, 5 टॉप विधायकों में चार बीजेपी विधायक और सिर्फ एक कांग्रेस विधायक शामिल थे.पूर्व मंत्री रामपाल सिंह 390 सवालों के साथ अव्वल रहे, वहीं पत्रकार से मंदसौर सीट से तीसरी बार विधायक बने यशपाल सिंह सिसौदिया 387 सवालों के साथ दूसरे नंबर पर थे,381 सवालों के साथ बीजेपी के उमाकांत शर्मा और 377 सवालों के साथ राजेंद्र पांडे शामिल हैं. सूची में एकमात्र कांग्रेस विधायक 383 सवालों के साथ डॉक्टर से पहली बार आदिवासी विधायक बने डॉ.हीरालाल अलावा थे.

पार्टी-वार औसत उपस्थिति और प्रश्नों के विश्लेषण से पता चला कि केवल दो विधायकों वाली बसपा (जिनमें से एक जुलाई 2022 में भाजपा में शामिल हो गए) और केवल एक विधायक वाली सपा (जो जुलाई 2022 में भाजपा में शामिल हो गये) ने 79 में औसतन 65 बैठकों में भाग लिया, सत्तारूढ़ बीजेपी के सदस्यों ने औसतन 46 बैठकों में भाग लिया, विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने औसतन 43 बैठकों में भाग लिया.

सवाल पूछने में बसपा अव्वल

जब अलग दलों के विधायकों के माध्यम से पूछे गए प्रश्नों की औसत संख्या की बात आती है, तो दो विधायकों वाली बसपा ने औसतन 143 प्रश्न पूछे, विपक्षी कांग्रेस के विधायकों ने 132 प्रश्न पूछे, इसके बाद बीजेपी के प्रत्येक विधायक ने औसतन 93 प्रश्न पूछे.

अध्यक्ष ने ही उपस्थिति में किया नागा

व्यक्तिगत प्रदर्शन के विस्तृत विश्लेषण से पता चला कि विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम (34%), संसदीय कार्य मंत्री नरोत्तम मिश्रा (20%) और विपक्ष के नेता (एलओपी) डॉ गोविंद सिंह (37%) सबसे कम उपस्थिति वाले विधायक बने. मध्य प्रदेश विधानसभा प्रति वर्ष औसतन केवल 16 दिनों के लिए बैठी, 2019 में अधिकतम 26 बैठकें हुईं, जबकि 2020 में केवल चार बैठकें हुईं. 

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