MP Assembly Election: कांग्रेस के 46 तो बीजेपी के 28 सीटों पर है 'बगावत' ! नतीजों पर दिखेगा असर?

मध्यप्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, बीजेपी की लिस्ट में 2 नाम खाली है. लेकिन लिस्ट फाइनल होते ही बीजेपी-कांग्रेस दोनों में नाराज़ नेताओं ने अपनी पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. कुछ बसपा-सपा और आप के दरवाजे पर जा पहुंचे हैं तो कुछ निर्दलीय पर्चा भर रहे हैं.

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Madhya Pradesh Assembly Elections: मध्यप्रदेश विधानसभा की सभी 230 सीटों पर कांग्रेस ने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान कर दिया है, बीजेपी की लिस्ट में 2 नाम खाली है. लेकिन लिस्ट फाइनल होते ही बीजेपी-कांग्रेस (BJP-Congress) दोनों में नाराज़ नेताओं ने अपनी पार्टी के खिलाफ ही मोर्चा खोल दिया है. कुछ बसपा-सपा और आप (BSP-SP and AAP)के दरवाजे पर जा पहुंचे हैं तो कुछ निर्दलीय पर्चा भर रहे हैं. आए दिन सूबे के तमाम कोनों से गुस्साए कार्यकर्ताओं की तस्वीरें सामने आ रही है. कोई शीर्षासन कर रहा है तो कोई भुंजगासन. कहीं केन्द्रीय मंत्री भूपेन्द्र यादव (Bhupendra Yadav) के सामने हंगामा हो रहा है तो कहीं पर भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिसवाले को बंदूक तक निकालनी पड़ी. आलम ये है कि केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) को अपने कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए अपने ही महल के बाहर जमीन पर बैठना पड़ा.

कांग्रेस को तो 4 सीटों पर बदलना पड़ा टिकट

आंकड़ों में बात करें तो राज्य में कांग्रेस में 46 तो बीजेपी में 28 सीटों पर विरोध है. इसमें से भी दोनों ही दलों 10 सीटों पर तो खुलकर विरोघ हो रहा है. ये बगावत का ही असर माना जा रहा है कि बुधवार को कांग्रेस ने सुमावली सीट से कुलदीप सिकरवार की जगह फिर से अजब सिंह कुशवाहा (Ajab Singh Kushwaha) को उम्मीदवार बना दिया. इसके अलावा पिपरिया से गुरु चरण खरे की जगह वीरेंद्र वेलवंशी, बड़नगर से राजेंद्र सिंह सोलंकी की जगह मुरली मोरवाल और जौरा विधानसभा सीट से हिम्मत श्रीमल की जगह वीरेंद्र सिंह सोलंकी को मैदान में उतारा गया है.  

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हालांकि बगावत पर दोनों ही पार्टियों के अपने-अपने तर्क हैं. कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता अलका लांबा का कहना है कि विरोध की कोई बात ही नहीं है हमारे ज़मीनी कार्यकर्ता चुनावी नैया को पार लगाएंगे. इन्हीं कार्यकर्ताओं ने 2018 में कांग्रेस की बहुमत की सरकार बनाई थी. ये अलग बात है कि  भाजपा ने हथकंडे अपनाए और स्थिर सरकार को गिराने का काम किया.

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हमारी पार्टी में लोकतंत्र है तभी तो सुना जा रहा है. 230 सीटों में से चार सीटों पर दोबारा बातचीत हुई है क्योंकि यहां लोकतंत्र है. भाजपा की तरह नहीं है कि केंद्रीय मंत्रियों को आपको भेजना पड़ रहा है. हमारे यहां कोई असंतोष नहीं है.

अलका लांबा

राष्ट्रीय प्रवक्ता, कांग्रेस

  वहीं बीजेपी के मीडिया प्रभारी आशीष अग्रवाल का कहना है कि टिकट बदलने की ये तो शुरुआत है. अब साफ़ है कि कमलनाथ का हाथ महिला अपराधियों के साथ है. दागियों को लेकर जो कांग्रेस ने परिवर्तन किया है वो बताता है ना कांग्रेस की न दिशा ठीक है ना ही दशा . लेकिन भारतीय जनता पार्टी में कार्यकर्ता अपने काम पर लग चुका है हमारे यहाँ सब पॉजिटिव रूप से कामों में जुट गए है .

निशा बांगरे ने तो टिकट के लिए 300 किलोमीटर तक की पैदल यात्रा भी. देखना ये है कि क्या कांग्रेस से उन्हें टिकट मिलेगा?

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दूसरी तरफ पूर्व डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे अपने इस्तीफे के लिये 300 किलोमीटर पैदल चलीं, जेल गई और सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया. अब इस्तीफा स्वीकार हुआ है तो माना जा रहा है कि कांग्रेस आमला से मनोज मालवे की जगह उनको उम्मीदवार बना सकती है. मतलब साफ है कि बगावत की बयार अब भी शांत नहीं होने वाली. लेकिन क्या ही किया जा सकता है टिकट के इच्छुक लोगों के पास आप-सपा,बसपा या निर्दलीय लड़ने का विकल्प भी मौजूद है. 

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