55 से अधिक नाबालिग बच्चे को ढूंढकर परिवार को सौंपने वाले IPS अफसर 'कुमार प्रतीक' की कहानी

सुबह उठकर एक्सरसाइज करना और जिम जाना इनकी दिनचर्या में शामिल है. पुलिस अधीक्षक होने के नाते जिले में अपराधों पर नियंत्रण करना इनकी पहली प्राथमिकता रही है. कुमार प्रतीक का कहना है की ईश्वर ने मुझे इस पद में लाकर समाज सेवा का एक सुनहरा अवसर दिया है.

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इनका चयन भारतीय राजस्व सेवा में 2010 में हुआ था. इसके बाद इनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया. बात करे इनके परिवार के बारे में तो इनके पिता बैंक आफ इंडिया में अधिकारी रहे है.

आपने हिंदी फिल्मों के ईमानदार, अपनी ड्यूटी के लिए जुनूनी पुलिस अफसर तो देखे होंगे जिनके लिए उनका फर्ज उनकी ड्यूटी सबसे ऊपर होती है और ईमानदारी और सच जिनका एक मात्र मूल मंत्र होता है. ऐसे अफसर रियल लाइफ में दिखने में कम ही मिलते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे ही अफसर से रूबरू कराएंगे. शहडोल जिले मे वर्ष 2022 से पुलिस अधीक्षक (एसपी)  के पद पर तैनात "कुमार प्रतीक",  हमारी फिल्मों की कल्पना वाले अफसर है. एक बार शहडोल में दिनदहाड़े ज्वेलरी शाप से 35 लाख रुपये के जेवर चोरी हो गए. सबको लगा कि अब चोर कैसे पकड़ें जायेंगे लेकिन कुमार प्रतीक की मेहनत और रणनीति से एक महीने के अंदर इस चोरी का पर्दाफाश हो गया. 

कई सालों से कई नाबालिग बच्चे लापता थे कोई उनको ढूंढ़ नहीं पा रहा था लेकिन इनमें से करीब 55 बच्चों को देश भर से ढूंढकर उनके परिजनों को सौप दिया थाआईपीएस कुमार प्रतीक ने. इस तरह के कई कारनामे किए है इस आईपीएस अफसर ने. 

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2012 में हुआ था आईपीएस के लिए चयन

ये भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी है. इनका साल 2012 में भारतीय पुलिस सेवा में चयन हुआ. प्रशिक्षण के बाद इनकी पहली नियुक्ति 2017 में टीकमगढ़ में पुलिस अधीक्षक पद पर हुई. इसके बाद ये सिवनी जिले में एसपी रहे. वर्तमान में कुमार प्रतीक शहडोल जिले में पुलिस अधीक्षक के पद पर हैं.

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रांची के हैं रहने वाले

झारखंड के रांची के  निवासी, "कुमार प्रतीक" ने रांची के बिरला तकनीकी संस्थान से बीटेक मेकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. इनका चयन भारतीय राजस्व सेवा में 2010 में हुआ था. इसके बाद इनका चयन भारतीय पुलिस सेवा में हो गया. बात करे इनके परिवार के बारे में तो इनके पिता बैंक आफ इंडिया में अधिकारी रहे है. इनके परिवार में इनकी पत्नी और एक बेटी भी है.

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जिम जाना शामिल है दिनचर्या में

सुबह उठकर एक्सरसाइज करना और जिम जाना इनकी दिनचर्या में शामिल है. पुलिस अधीक्षक होने के नाते जिले में अपराधों पर नियंत्रण करना इनकी पहली प्राथमिकता रही है. कुमार प्रतीक का कहना है की ईश्वर ने मुझे इस पद में लाकर समाज सेवा का एक सुनहरा अवसर दिया है. अब बात करते हैं जिले में इनके अब तक के कार्यों के बारे में तो इन्होंने जिले में अपराधों को खत्म करने की कोशिश के साथ शहडोल में ऑपरेशन मुस्कान के तहत जनवरी, फरवरी 2023 में 55 नाबालिग बालक - बालिकाओं को देश के कोने कोने से ढूंढ़ने मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इस मुहिम में इन्होंने जिले के 300 से अधिक पुलिस वालों को देश के कोने कोने भेजकर 9 बालक, और 46 बालिकाओं को ढंढकर उनके परिजनों को सौप दिया था.

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35 लाख की चोरी का किया पर्दाफाश

अपने बच्चों को वापिस पाकर इनके परिजन बड़े खुश हुए थे. वहीं अप्रैल 2023 में दिनदहाड़े शहर के ज्वेलरी शॉप से हुई 35 लाख की चोरी का पर्दाफाश भी इन्होंने किया था. इसमें इन्होंने इस चोरी को अंजाम देने वाली महिलाओं को राजस्थान के कोटा से पकड़ा था और चोरी किये जेवर भी बरामद किए थे. 

कई मामलों को सुलझाया

वहीं अपने कार्यकाल के दौरान इन्होंने कई हत्या के प्रकरण भी सुलझाए और कई और मामलों को भी सुलझाया था. इनके कार्यकाल में सैकड़ों लोगो के चोरी हुए लाखो रुपये के मोबाइल भी ढूंढ़कर वापिस किए थे. सिवनी जिले में एसपी रहते हुए लखनादौन के गुटखा व्यापारी के घर से हुई 65 लाख नगद रुपये की चोरी का पर्दाफाश भी इन्होंने एक महीने में कर दिया था जिसमें 8 लोगो को गिरफ्तार कर 63 लाख रुपये बरामद किये गए थे.

इस तरह के कई और छोटे बड़े जनता के हित के काम कुमार प्नतीक ने किए थे. आगे इनका कहना है कि साइबर क्राइम से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है और साइबर पुलिसिंग को बढ़ाने की भी जरूरत है. ऐसे अफसरों पर देश और प्रदेश को नाज है.

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