Hamida Banu: पुरुष पहलवानों को चित्त करने वाली हमीदा पति की पिटाई से नहीं बच पायीं, क्यों गूगल ने बनाया डूडल?

Dilaram Hamida Banu: उत्तर प्रदेश में जन्मी हमीदा बानु को समाचार पत्रों में "अलीगढ़ का अमेज़ॅन" कहा जाता था. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार हमीदा का वजन 108 किलोग्राम था और लंबाई 5 फीट 3 इंच (1.6 मीटर) थी. वह दिन में 9 घंटे सोती है और 6 घंटे ट्रेनिंग करती थीं.

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Hamida Banu Wrestler:1940 और 50 के दशक में जब पहलवानी के खेलों में पुरुषों का राज था तब भारतीय महिला पहलवान हमीदा बानु का स्टारडम देखने लायक था. हमीदा बानु के शानदार कारनामों ने उन्हें वैश्विक प्रसिद्धि दिलाई थी, लेकिन फिर वह अचानक से गायब हो गईं. शनिवार 4 मई को गूगल ने अपने होम पेज पर Google Doodle के जरिये हमीदा बानु को याद कर रहा है. ऐसा क्या हुआ था आज के दिन कि गूगल ने उन्हें याद किया? कैसा था हमीदा जीवन? आपके इन्हीं सवालों के जवाब हम यहां देने जा रहे हैं...

मुझे हराओ और शादी कर लो 

हमीदा बानु को कई लोग भारत की पहली पेशेवर महिला पहलवान कहते हैं. 1954 में आज ही के दिन हमीदा बानु ने उस वक्त के प्रसिद्ध कुश्तीबाज बाबा पहलवान को हराया था. बीबीसी उर्दू की रिपोर्ट के अनुसार हमीदा ने अपने दौर में ऐसी शर्त रखी थी कि लोग हैरान थे. उन्होंने कहा था मुझे एक मुकाबले में हराओ और मैं तुमसे शादी कर लूंगी. जब हमीदा 30 वर्ष की थीं तब उन्होंने ऐसा ऐलान किया था. उस समय की समाचार रिपोर्टों के अनुसार, यह एक असामान्य चुनौती थी. यह उन्होंने फरवरी 1954 में पुरुष पहलवानों के लिए रखी थी.

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इस ऐलान के बाद हमीदा बानु ने उत्तरी पंजाब राज्य के पटियाला और पूर्वी पश्चिम बंगाल राज्य के कोलकाता से आए दो पुरुष कुश्ती चैंपियनों को हराया था.

अपनी तीसरी फाइट के लिए जब हमीदा पश्चिमी राज्य गुजरात के वडोदरा (तब बड़ौदा) पहुंचीं तब पूरे शहर में हलचल मच गई थी. इस बार उनको छोटे गामा पहलवान से लड़ना था, जो कि बड़ौदा के महाराजा द्वारा संरक्षित पहलवान था. लेकिन अंतिम समय में पर गामा यह कहते हुए लड़ाई से हट गए कि वह किसी महिला से नहीं लड़ेंगे. उसके बाद बानु अपने अगले प्रतिद्वंद्वी बाबा पहलवान से फाइट की. 3 मई 1954 की रिपोर्ट के अनुसार मुकाबला एक मिनट और 34 सेकंड तक चला, यहां हमीदा ने जीत हासिल की थी. उस समय तक हमीदा ने 300 से अधिक मैच जीतने का दावा किया था.

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"अलीगढ़ का अमेज़ॅन" 

उत्तर प्रदेश में जन्मी हमीदा बानु को समाचार पत्रों में "अलीगढ़ का अमेज़ॅन" कहा जाता था. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार हमीदा का वजन 108 किलोग्राम था और लंबाई 5 फीट 3 इंच (1.6 मीटर) थी. वे अपनी डेली की डाइट में 5.6 लीटर दूध, 2.8 लीटर सूप, 1.8 लीटर फलों का रस, एक चिकन, लगभग 1 किलो मटन और बादाम, आधा किलो मक्खन, 6 अंडे, दो बड़ी रोटियां और दो प्लेट बिरयानी शामिल करती थीं. वह दिन में 9 घंटे सोती है और 6 घंटे ट्रेनिंग करती थीं.

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रूढ़िवादी सोच के कारण हमीदा को मिर्ज़ापुर छोड़कर अलीगढ़ जाने के लिए मजबूर होना पड़ा था. यहीं उन्होंने उन्होंने सलाम पहलवान नाम के एक स्थानीय पहलवान से प्रशिक्षण लिया था.

कोच से शादी, उसके बाद गुमनामी

कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार 1954 में हमीदा ने मुंबई में हुई एक फाइट में रूस की "फीमेल बियर" कहलाने वाली वेरा चिस्टिलिन को एक मिनट से भी कम समय में हरा दिया था. उसी वर्ष, हमीदा ने घोषणा की कि वह यूरोप जाकर वहां के पहलवानों से लड़ेंगी. लेकिन कुछ ही समय बाद, वे कुश्ती के दंगलों से गायब हो गईं. उनकी शादी कोच सलाम पहलवान से हुई थी, पति को उनके यूरोप जाने का विचार पसंद नहीं आया था. एक ओर सलाम पहलवान की बेटी सहारा का कहना है कि उनके पिता ने बानु से शादी की थी, हमीदा के पोते फ़िरोज़ शेख जो 1986 में बानु की मृत्यु तक उसके साथ रहे, इससे सहमत नहीं थे. उनका कहना था कि ''बानु उनके (सलाम के) साथ रही, लेकिन उनसे कभी शादी नहीं की.'' शेख के अनुसार  "यूरोप जाने से रोकने के लिए, सलाम ने बानु को लाठियों से पीटा, जिससे उसके हाथ टूट गए थे." हमले में उनके पैर भी फ्रैक्चर हो गए थे. वह खड़ी होने में असमर्थ थीं. बाद में वह ठीक हो गई, लेकिन लाठी के बिना वह वर्षों तक ठीक से चल नहीं पाती थीं." अंतिम दिनों में बानु ने दूध बेचकर और कुछ इमारतें किराये पर देकर अपना गुजारा किया. जब उसके पास पैसे खत्म हो जाते थे, तो वह सड़क के किनारे घर का बना नाश्ता बेचती थीं.

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