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Bangladesh Violence: हसीना के देश छोड़ने के बाद और बिगड़े बांग्लादेश में हालात, प्रदर्शनकारियों ने ढाका में शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा तोड़ी  

Sheikh Hasina Resignation: छात्रों के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन ने पिछले कई हफ्तों में प्रधानमंत्री हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी दबाव डाला. छात्र 1971 में खूनी गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

Bangladesh Violence: हसीना के देश छोड़ने के बाद और बिगड़े बांग्लादेश में हालात, प्रदर्शनकारियों ने ढाका में शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा तोड़ी  

 Bangladesh Violence: शेख हसीना के बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और देश छोड़कर भागने की खबर के बाद छात्रों के नेतृत्व में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री के आधिकारिक आवास 'गणबंधन' पर धावा बोल दिया. प्रदर्शनकारियों ने ढाका में बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और शेख हसीना के पिता शेक्ष मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को भी तोड़ दिया. स्थानीय मीडिया के अनुसार, ढाका की सड़कों पर करीब चार लाख प्रदर्शनकारी हैं.  

इससे पहले राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में बांग्लादेश के सेना प्रमुख जनरल वाकर-उज-जमान ने घोषणा की कि शेख हसीना ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और देश को चलाने के लिए जल्द ही अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा. जनरल वाकर-उज-जमान ने नागरिकों से बांग्लादेश की सेना पर भरोसा बनाए रखने का आग्रह किया और कहा कि सुरक्षा बल आने वाले दिनों में देश में शांति सुनिश्चित करेंगे.

प्रदर्शन में अब तक 300 से ज्यादा मौतें

सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि वह जल्द ही राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से मुलाकात करेंगे. रविवार को पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 100 से अधिक लोगों की मौत और 1,000 से अधिक लोगों के घायल होने के बाद यह घटनाक्रम हुआ. बांग्लादेश के प्रमुख अखबार 'द डेली स्टार' ने बताया," तीन सप्ताह से जारी सरकार विरोधी प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या 300 को पार कर गई है. नागरिक आंदोलन के दौरान बांग्लादेश के इतिहास में यह सबसे खूनी दौर."

आरक्षण के खिलाफ चल रहा है प्रदर्शन

छात्रों के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन ने पिछले कई हफ्तों में प्रधानमंत्री हसीना के नेतृत्व वाली सरकार पर भारी दबाव डाला.छात्र 1971 में खूनी गृहयुद्ध में पाकिस्तान से बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें- Bangladesh में आखिर ऐसा क्या हुआ कि सेख हसीना हुई इस्तीफा देने पर मजबूर, जानें 300 लोगों के मौत की क्या रही वजह

बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की ओर से आरक्षण को घटाकर पांच प्रतिशत करने के बाद छात्र नेताओं ने विरोध प्रदर्शन रोक दिया था, लेकिन भड़के प्रदर्शनकारियों ने कहा कि सरकार ने उनके सभी नेताओं को रिहा करने के उनके आह्वान को नजरअंदाज कर दिया. उन्होंने कहा कि पीएम हसीना को पद से इस्तीफा देना चाहिए.इसी के साथ एक बार फिर से प्रदर्शन का दौर शुरू हो गया. 

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