Extinct Indian tradition : फेरी लगाकर गुजारा करने को क्यों मजबूर हैं हरबोले ?

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  • प्रकाशित: जनवरी 27, 2025

अपनी अनूठी शैली और अलग आवाज में राजा, महाराजाओं और वीरों की गाथा सुनाने वाले हरबोलों को अब कोई सुनने वाला नहीं है. इनकी परम्परा और लोक गायन विलुप्त होने की कगार पर है. खण्डवा जिले (Khandwa district) के ओमकारेश्वर क्षेत्र (Khandwa District) से सीहोर से आए आकाश हरबोला अलसुबह पेड़ों पर चढ़कर कबीर, तुलसीदास के दोहे गा रहे हैं. पराक्रमी राजाओं की वीर गाथाएं और भगवान राम का गुणगान कर रहे हैं, लेकिन इस लोक कला के अब श्रोता नहीं रहे. इन लोक गायकों को मान सम्मान अब नहीं मिलता, जो पहले दिया जाता था. आज की पीढ़ी अब इनको पहचानती नहीं है. 

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