उज्जैन में क्यों निकाली जाती है महाकाल की सवारी? यहां समझें इतिहास और महत्व

Baba Mahakal Ujjain : क्या आप जानते हैं उज्जैन में महाकाल की सवारी क्यों निकाली जाती है और इसका इतिहास कितना पुराना है? आइए हम आपको बताते हैं..

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क्यों निकाली जाती है मप्र के उज्जैन में महाकाल की सवारी

Ujjain Mahakal Sawari: मध्य प्रदेश के उज्जैन में भगवान महाकालेश्वर (Mahakaleshwar) विराजित हैं, जो शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. उज्जैन में महाकाल मंदिर (Mahakal Mandir) में दर्शन करने के लिए भोलेनाथ के भक्तों का तांता साल भर लगा रहता है लेकिन ये भीड़ उस समय और बढ़ जाती है, जब सावन का महीना आता है और "उज्जैन महाकाल की सवारी (Ujjain Mahakal KI Sawari)" निकाली जाती है. उज्जैन महाकाल की सवारी का इतिहास (History of Mahakal Sawari in Ujjain) बहुत ही रोचक और महत्वपूर्ण है, इस सवारी को "बाबा महाकाल की सवारी (Baba Mahakal KI Sawari)" भी कहा जाता है लेकिन क्या आप जानते हैं उज्जैन में महाकाल की सवारी क्यों निकाली जाती है और इसका इतिहास कितना पुराना है? आइए हम आपको बताते हैं..

महाकाल की सवारी का इतिहास (Mahakal Ki Sawari Ka Itihas)

महाकाल की सवारी की परंपरा सदियों पुरानी है. इसका उल्लेख प्राचीन ग्रंथों में भी मिलता है. ग्यारहवीं शताब्दी के राजा भोज ने इस परंपरा को बड़े रूप में किया करना शुरू किया, उन्होंने इस जुलूस में कई नए कलाकारों और संगीतकारों को शामिल किया, मुगल सम्राट अकबर और जहांगीर भी इस जुलूस में शामिल हुए थे, सिंधिया वंश के राजाओं ने इस जुलूस को और अधिक भव्य बनाया उन्होंने जुलूस में कई नए रथ और हाथी शामिल किए.

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निकाली जाती है भव्य यात्रा (Mahakal Bhavya Yatra)

महाकाल की सवारी एक भव्य यात्रा है,  जिसमें कई तरह के कलाकार, संगीतकार और नर्तक शामिल होते हैं. भगवान महाकाल को एक रथ में बैठाकर शहर में घुमाया जाता है. ये रथ चांदी का बना होता है और इससे कई प्रकार के फूलों से भी सजाया जाता है. लाखों श्रद्धालु इस यात्रा में शामिल होते हैं और महाकाल के जयकारे लगाते हैं. महाकाल की एक झलक पाने के लिए भक्तों की भीड़ हफ्तों पहले से शुरू हो जाती है. जुलूस में शामिल होने वाले विभिन्न कलाकारों में भंडारी, नागा साधु, ढोल नगाड़े वाले, तलवारबाज़, घुड़सवार भी शामिल होते हैं.

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महीनों पहले से होने लगती है सवारी की तैयारियां (Preparation Of Mahakal Ki Sawari)

महाकाल की सवारी भगवान महाकाल के प्रति भक्तों की श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है. यह जुलूस भगवान महाकाल की शक्ति और महिमा का भी प्रतीक है. उज्जैन शहर का महत्वपूर्ण सांस्कृतिक उत्सव महाकाल की सवारी शहर की समृद्ध संस्कृति और विरासत को दर्शाता है. इसकी तैयारियों में महाकाल के मंदिर के पुजारी से लेकर मंदिर समिति के सभी सदस्य और भक्तगण महीनों पहले से जुट जाते हैं.

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महाकाल की सवारी का महत्व (Mahakal Ki Sawari Ka Mahatv)

भक्त महाकाल को उनकी पसंद के भोग अर्पित करते हैं. इन भोगों में फूल, फल, मिठाई, दूध शामिल है. महाकाल की सवारी के दौरान कई भक्त महाकाल के जयकारे लगाते हैं और उनके नाम का जाप करते हैं. महाकाल की सवारी एक भव्य और पवित्र जुलूस है. जो महाकाल के प्रति श्रद्धा और भक्ति दर्शाता है, उज्जैन शहर के साथ साथ अब दूर-दूर से लोग महाकाल की एक झलक पाने के लिए यहां पहुंचते हैं.

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Disclaimer: (यहां दी गई जानकारी ज्योतिष व लोक मान्यताओं पर आधारित है. इस खबर में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता के लिए NDTV किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी या दावा नहीं करता है.)