शाजापुर में स्कूल बेहाल: एक कमरे में लग रही हैं पांच कक्षाएं, शौचालय पर लटके ताले

शाजापुर जिला मुख्यालय पर सोमवारिया प्राथमिक स्कूल भवन लंबे समय से जर्जर हालत में है और जर्जर भवन होने के चलते स्कूल का एक हिस्सा पहले ही पूरी तरह गिरा दिया गया.

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कम जगह में ज्यादा कक्षाएं संचालित हो रही हैं

शाजापुर: मध्यप्रदेश का शिक्षा विभाग हर साल बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल भवनों और अन्य संसाधनों पर करोड़ों रुपए खर्च करता है. लेकिन जमीनी हालात बेहद खराब है. प्रदेश के स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार के गृह जिले शाजापुर में भी कई स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं और इन्हीं जर्जर स्कूल भवनों में बच्चे पढ़ने को मजबूर हैं, कहीं खिड़की टूटी हुई है तो कहीं भवनों की छत टपक रही है और कुछ स्कूल भवन तो जर्जर होने के चलते अब उपयोग के लायक ही नहीं रहे. ऐसे में कम जगह में ज्यादा कक्षाएं संचालित हो रही हैं. शाजापुर जिला मुख्यालय पर सोमवारिया प्राथमिक स्कूल भवन लंबे समय से जर्जर हालत में है और जर्जर भवन होने के चलते स्कूल का एक हिस्सा पहले ही पूरी तरह गिरा दिया गया. लेकिन नया निर्माण नहीं हो पाया और अब यहां पर एक ही कमरे में 1 से लेकर 5वीं तक की क्लास लग रही है.

सोमवारिया प्राथमिक स्कूल भवन लंबे समय से जर्जर हालत में है

स्कूल की शिक्षिका रेखा चौहान ने एनडीटीवी से बातचीत के दौरान बताया कि जगह की कमी के चलते 5 कक्षाओं के बच्चों को एक ही कमरे में बैठाया जाता है. क्योंकि स्कूल में एक ही कमरा है और एक ही कमरे में सभी कक्षाएं संचालित होने से असुविधा होती है. लेकिन इसका कोई हल फिलहाल शिक्षकों के पास भी नहीं है. कमोबेश कुछ यही हाल कमरदीपूरा प्राथमिक स्कूल का भी है. यहां पर अतिरिक्त कक्ष पूरी तरह से जर्जर है, जिसे अनुपयोगी बताकर अब पूरी तरह से बंद कर गया और अब यहां पर तीन कमरों में 5 कक्षाएं संचालित हो रही है, जिसमें स्कूल का कार्यालय भी शामिल है.

स्कूल की प्रधान अध्यापिका सलमा कुरैशी ने बताया कि अतिरिक्त कक्ष जर्जर होने से उस पर ताला लगाकर उसका उपयोग बंद कर दिया गया और अब तीन कमरों में 5 कक्षाएं संचालित हो रही है.

एक कमरे में 2 कक्षाएं संचालित होने से परेशानी होती है लेकिन फिलहाल जितनी जगह है उसी में बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा रहा है.

सोमवारिया प्राथमिक स्कूल की टपकती हुई छत की तस्वीर

शिक्षक बताते हैं कि स्कूल के पिछले हिस्से में एक बड़ा सा तालाब है. बाउंड्रीवॉल न होने से यहां पर बच्चों के तालाब के नजदीक जाने का खतरा हमेशा बना रहता है. शिक्षकों का मानना है कि अतिरिक्त कक्ष में सुधार हो जाए या फिर नया भवन बन जाए तो बच्चों को बैठने के लिए ज्यादा सुविधा मिल पाएंगी. 

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शौचालय पर लगा है ताला
स्कूल शिक्षा विभाग ने बालक और बालिकाओं के लिए हर स्कूल में अलग-अलग शौचालय का निर्माण करवाया है. लेकिन कई स्कूलों में इन शौचालयों पर ताले लगे हुए हैं. शिक्षक खुद स्वीकार करते हैं कि साफ-सफाई के अभाव में बच्चों के साथ उन्हें भी इनका उपयोग करने में परेशानी होती है. वहीं कई स्कूलों में बाउंड्रीवॉल न होने से परिसर में गाय और अन्य मवेशी आसानी से घूमते देखे जा सकते हैं.

भव्य और सुंदर सीएम राईज स्कूल भवन

जिले में बना है सीएम राइज स्कूल 
शाजापुर जिले में शिक्षा की दो तस्वीरें सामने आती हैं, एक तरफ जर्जर स्कूल भवन है, तो दूसरी ओर भव्य और सुंदर सीएम राईज स्कूल भवन. जी हां, शाजापुर जिला प्रदेश का पहला जिला है, जहां पर 24 करोड़ 99 लाख की लागत से सीएम राइज स्कूल बनकर तैयार हो चुका है.  जिसका हाल ही में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकार्पण किया. स्कूल शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार मीडिया से चर्चा के दौरान कह चुके हैं कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ नए स्कूल भवनों के आधुनिकीकरण और निर्माण का कार्य चल रहा है, जल्द ही इसके परिणाम दिखेंगे.

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32 जर्जर स्कूल भवनों को गिराने की कारवाई जारी 
शाजापुर जिले में जर्जर स्कूल भवनों को लेकर एनडीटीवी ने जब जिला शिक्षा केंद्र के डीपीसी राजेंद्र शिप्रे से बात की तो उन्होंने कहा कि जिले में 32 स्कूल भवन पूरी तरह से जर्जर हो चुके थे, जिन्हें डिस्मेंटल करने के लिए पीडब्ल्यूडी को जानकारी भेजी जा चुकी है और यह कारवाई जारी है.

राज्य शिक्षा केंद्र को आवश्यकतानुसार नए भवन बनाने के लिए प्रस्ताव बनाकर भेजे गए हैं, स्कूलों में शौचालय और परिसर की साफ सफाई और अन्य कार्यों के लिए समग्र शिक्षा अभियान की गाइडलाइन के तहत नामांकन के आधार पर राज्य शिक्षा केंद्र से विद्यालयों को बजट आवंटित होता है इसके अलावा भी जहां भी अव्यवस्था की शिकायत मिलेगी शिकायत को दूर किया जाएगा.

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