Dongargarh: डोंगरगढ़ में इस बार नवरात्रि होगी खास, जाने से पहले जान लें यहां की अनोखी कहानी

Dongargarh: डोंगरगढ़ में इस बार भी नवरात्रि बेहद खास होने वाली है लेकिन, यहां जाने से पहले जान लें इस जगह की ऐतिहासिक और दिलचस्प कहानी.

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Dongargarh: छत्तीसगढ़ में नवरात्रि को लेकर तैयारियां तेज हो गई है. खासतौर पर हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरे डोंगरगढ़ में मां बम्लेश्वरी (Bambleshwari Temple)  के दर्शनार्थियों के लिए और नवरात्रि मेले को लेकर विशेष प्रबंध भी किए जा रहे हैं. बता दें कि राजनांदगांव जिले में स्थित डोंगरगढ़ लोक आस्था के साथ-साथ ऐतिहासिक और पुरातत्व महत्व का केंद्र है. यहां हर साल लाखों की तादाद में श्रद्धालु बमलाई दाई यानी मां बम्लेश्वरी के दर्शन करने आते हैं.

वहीं नवरात्रि के मौके पर यहां लगने वाले मेले में भक्तों का जनसैलाब किसी को भी हैरत में डाल सकता है. धर्म नगरी के रूप में विख्यात डोंगरगढ़ में साल में आने वाले दोनों नवरात्रों में भव्य मेले का आयोजन होता है. लिहाजा इस बार आगामी तीन अक्टूबर से शुरू होने वाले ‘क्वांर नवरात्रि' को लेकर जिला प्रशासन और मंदिर ट्रस्ट ने अपनी कमर कस ली है. 

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क्यों डोंगरगढ़ खींचे चले आते हैं लोग? 

ऐसे तो छत्तीसगढ़ में दंतेश्वरी देवी मंदिर, चंद्रहासिनी मंदिर समेत अन्य शक्तिपीठों में भी नवरात्रि के दौरान भक्तों का हुजूम उमड़ता है, लेकिन धार्मिक मान्यताओं, ऐतिहासिक साक्ष्यों और अनेक किवदंतियों की वजह से मां बम्लेश्वरी देवी मंदिर का विशेष महत्व है. 

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लोक मान्यता है कि 2200 साल पहले डोंगरगढ़ का नाम कामाख्या नगरी था. यहां राजा वीरसेन का शासन था. निःसंतान राजा ने पुत्र रत्न की कामना के लिए महिष्मति पुरी में स्थित शिवजी और भगवती दुर्गा की उपासना की. इसके बाद रानी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. इस कहानी के मुताबिक, भगवान शिव और मां दुर्गा की कृपा से राजा वीरसेन को संतान की प्राप्ति हुई थी. लिहाजा राजा ने कामाख्या नगरी में मां बम्लेश्वरी का भव्य मंदिर बनवाया. अब मौजूदा दौर में लोग शिव और शक्ति स्वरूपा मां बम्लेश्वरी के दरबार में अपनी हाजिरी लगाकर खुद को धन्य समझते हैं. 

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कामकंदला-माधवनल की प्रेम कहानी भी है मशहूर

कामकंदला और माधवनल की ऐतिहासिक प्रेम कहानी भी यहां की फिजाओं में आज भी तैरती है. मान्यता है कि कामकंदला, राजा कामसेन के राज दरबार में नर्तकी थी. वहीं माधवनल उस दौरान वहां निपुण संगीतज्ञ हुआ करते थे. कामकंदला और माधवनल एक दूसरे को प्रेम पत्र भी लिखते थे. लेकिन एक दिन उनके पत्रवाहक को राजा मदनादित्य ने पत्र ले जाते पकड़ लिया और इस तरह सारा सच उनके सामने आ गया. मदनादित्य ने कामकंदला को राजद्रोह के आरोप मे बंदी बना लिया गया. जबकि माधवनल को पकड़ने के लिए सिपाहियों को भेजा गया. लेकिन सिपाहियों को आते देख माधवनल पहाड़ी से निकल भागा और उज्जैन जा पहुंचा.

विक्रमादित्य से भी है डोंगरगढ़ का रिश्ता! 

जनश्रुति के मुताबिक, जब  माधवनल उज्जैन पहुंचे तब वहां राजा विक्रमादित्य का शासन था. माधवनल की कहानी सुनकर राजा ने अपनी सेना लेकर कामाख्या नगरी पर चढ़ाई कर दी. भयंकर युद्ध के बाद विक्रमादित्य विजयी हुए और मदनादित्य, माधवनल के हाथो मारा गया. 

इसलिए कहा जाता है डोंगरगढ़...

मान्यता है कि इस जंग से वैभवशाली कामाख्या नगरी तबाह हो गई. चारो ओर डोंगर ही शेष रह गए. इस तरह इसका नाम डुंगराज्य पड़ा. कालांतर में इसे ही डोंगरगढ़ कहा जाने लगा.

विक्रमादित्य ने ली प्रेम की परीक्षा! 

जानकार बताते हैं कि युद्ध के बाद विक्रमादित्य ने कामकंदला और माधवनल की प्रेम की परीक्षा लेने की ठानी. उनकी ओर से मिथ्या सूचना फैलाई गई कि युद्ध में माधवनल की मृत्यु हो गई. यह बात जब कामकंदला तक पहुंची तो उन्होंने तालाब में कूदकर अपनी जान दे दी. मान्यता है कि वह तालाब आज भी कामकंदला के नाम से प्रसिद्ध है. वहीं कामकंदला की जान देने की बात सुनकर माधवनल ने भी अपने प्राण त्याग दिए. 

उधर, यह सब देख राजा विक्रमादित्य ने मां बगुलामुखी की आराधना की और खुद भी अपनी जान देने के लिए तैयार हो गए. तब देवी ने प्रकट होकर उनको आत्महत्या करने से रोका. लेकिन विक्रमादित्य ने माधवनल और कामकंदला के जीवन के साथ यह वरदान भी मांगा कि माता बगुलामुखी अपने जागृत स्वरूप में यहां की पहाड़ी में प्रतिष्ठित हों. मान्यता है कि तब से मां बगुलामुखी (अपभ्रंश- बमलाई देवी) डोंगरगढ़ में प्रतिष्ठित हैं.

प्रशासन ने कर ली तैयारी, विधायक ने क्या कहा? 

आगामी नवरात्र और मेले के आयोजन को लेकर मंदिर ट्रस्ट और जिला प्रशासन की बुधवार को बैठक हुई. इस दौरान मेले की तैयारी समेत पद यात्रियों की सुविधा और अन्य विषयों पर चर्चा की गई. बैठक में कलेक्टर संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक मोहित गर्ग और मंदिर ट्रस्ट के पदाधिकारी और जनप्रतिनिधि मौजूद रहे.  बैठक में कलेक्टर ने सभी विभागों के अधिकारियों को तैयारियों के संबंध में आवश्यक दिशा निर्देश दिए. वहीं एसपी ने भी नवरात्रि में चाक-चौबंद सुरक्षा-व्यवस्था की तैयारी होने की बात कही. 

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बैठक के दौरान विधायक हर्षिता बघेल ने मेले में अतिरिक्त बायो टॉयलेट की व्यवस्था करने की ओर अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया. जबकि मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने रोप-वे के संचालन और मेंटेनेंस के संबंध में जानकारी साझा की. इस दौरान कहा गया कि माता के दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं को सुगमता से दर्शन हो और वे डोंगरगढ़ से अपने साथ अच्छी यादें ले जाएं यह सबकी प्राथमिकता होनी चाहिए.

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