Yamraj Mandir Gwalior Madhya Pradesh: यमराज का नाम सुनते ही हर किसी के रोंगटे खड़े हो जाते हों. यमराज यानी लोगों के प्राण हरण कर ले जाने वाले भगवान के दूत, परन्तु आपको सुनकर जानकर आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश के ग्वालियर में यमराज का मंदिर भी है. दीपोत्सव शुरू होने से पहले यानी दीवाली के ठीक एक दिन पहले इस मंदिर में यमराज की विशेष पूजा और उनका अभिषेक होता है. इस रोज यमराज की पूजा कर उन्हें खुश करने के लिए न केवल ग्वालियर चम्बल अंचल बल्कि देश भर से लोग पहुंचते हैं. ग्वालियर में देश का एकमात्र यमराज का मंदिर है जो लगभग पौने तीन सौ साल से भी ज्यादा पुराना है.
ग्वालियर में किसने बनवाया यमराज का मंदिर?
ग्वालियर शहर के बीचों-बीच फूल बाग़ इलाके में स्थित मार्कन्डयेश्वर महादेव मंदिर में स्थित है. यहां यमराज की प्रतिमा हैं. ताते हैं कि यमराज के इस मंदिर की स्थापना सिंधिया वंश के राजाओं ने लगभग 275 साल पहले की थी. तब से निरंतर यहां पूजा अर्चना होती है. इसका तांत्रिक महत्व होने के चलते यहां देशभर से लोग पहुंचते हैं और यमराज की पूजा करते हैं.
Yamraj Mandir Gwalior Madhya Pradesh
नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना
वरदान यह था कि आज से तुम हमारे गण माने जाओगे और दीपावली से एक दिन पहले नरक चौदस पर जो भी तुम्हारी पूजा अर्चना होगी और जो कोई तुम्हारा अभिषेक करेगा उसे जब सांसारिक कर्म से मुक्ति मिलने के बाद उसकी आत्मा को कम से कम यातनाएँ सहनी होंगी. साथ ही बाद में उसे स्वर्ग की प्राप्ति होगी. तभी से नरक चौदस पर यमराज की विशेष पूजा अर्चना की जाती है.
यमराज मंदिर के पुजारी क्या बोले?
यमराज मंदिर ग्वालियर के पुजारी पण्डित भार्गव का कहना है कि नरक चौदस के दिन यमराज की पूजा अर्चना भी ख़ास तरीके और नेवैद्य से की जाती है. पहले यमराज की प्रतिमा पर घी, तेल, पंचामृत, इत्र , फूल माला, दूध, दही शहद आदि से अनेक बार अभिषेक किया जाता है.
Yamraj Mandir Gwalior Madhya Pradesh
उसके बाद स्तुति गान, पूजा करने के बाद दीप दान किया जाता है. इनका दीपक भी खास रहता है. इसमें चांदी के चौमुखी दीपक से यमराज की आरती उतारी जाती है. यमराज की पूजा करने के लिए देशभर से लोग ग्वालियर पहुंचते हैं. यमराज को रिझाने की कोशिश करते है.
साल 2025 की दीपावली पर भी भक्तों का यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया है. भक्तों का कहना है कि वे हर साल यहाँ पूजा करने पहुंचते हैं और उनकी मनोकामना पूरी होती है. यमराज का ये मंदिर देश में अकेला होने के कारण पूरे देश की श्रृद्धा का केंद्र हैं.
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