ये है MP का सबसे बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग, 20 सालों में नहीं बनी सड़क, मुसाफिरों को 50 KM तक गड्डों में ढूंढनी पड़ती है रोड

National Highway MP: हाइवे के लिए जो पुरानी सड़कें थी वो भी अब गायब हो गई है और अब सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे हैं. सफर करते समय मुसाफिरों को गड्डों में सड़कें ढूंढनी पड़ती है. 20 सालों में इस रोड ने कई घरों की चिराग को बुझा दी है.

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राष्ट्रीय राजमार्ग-39 बदहाल. 40 से 50 KM सड़क में गड्ढे.

Worst National Highway MP: मध्य प्रदेश के रीवा और रांची को जोड़ने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-39 देश और प्रदेश का सबसे बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग है. बदहाली का यह हाल है कि यहां 40 से 50 किलोमीटर क्षेत्र में सड़क में गड्ढे नहीं बल्कि गड्डों में सड़क ढूंढनी पड़ती है, जिसके चलते यहां आये दिन हादसे होते हैं. दो पहिया वाहन चालक जान हथेली पर लेकर यहां से सफर करते दिखाई देते हैं. 

बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग-39, खतरों में लोगों की जिंदगी

दरअसल, विंध्य क्षेत्र के सिंगरौली और सीधी इलाके से होकर रांची की ओर जाने वाला राष्ट्रीय राजमार्ग-39 इस वक्त प्रदेश का सबसे बदहाल राष्ट्रीय राजमार्ग बना हुआ है. सीधी सिंगरौली में लगभग 40 से 50 किलोमीटर के एरिया में सड़क का नामोनिशान ढूंढने से नहीं मिल रहा है. पूरे रास्ते बड़े-बड़े गड्ढे जिनसे होकर छोटे और बड़े वाहनों को निकलना पड़ रहा है. जिसके चलते आए दिन हादसे होते हैं.

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पिछले 20 वर्षो से राष्ट्रीय राजमार्ग अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है, लेकिन ना तो राष्ट्रीय राजमार्ग के अधिकारियों को और ना ही जिले के  जनप्रतिनिधियों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.

रीवा-रांची को जोड़ती है NH-39

राष्ट्रीय राजमार्ग की यह दशा कैसे हुई, इसे लेकर NDTV ने ग्राउंड जीरो पर जाकर इसकी पड़ताल की. सिंगरौली जिला मुख्यालय से 20 किलोमीटर दूरी का सफर तय करने के बाद NDTV की टीम जब मोरवा पहुंची तो वहां के स्थानीय लोगों ने बताया कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग 39 है जो रीवा से रांची को जोड़ती है. 20 सालों से यह राजमार्ग बन रही है, लेकिन सीधी सिंगरौली में आकर इसका विकास रुक गया है. ऐसा लगता है कि हम लोग अब इस सड़क पर नहीं चल पायेंगे.

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खतरे में मुसाफिरों की जान

इस सड़क में दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं. इन सड़कों से ज्यादातर कोल परिवहन करने वाली बड़ी गाड़ियां गुजरती हैं. जिससे आये दिन लगातार सड़क हादसे हो रहे है. रोजाना किसी न किसी घर का चिराग बुझ रहा है... हाइवे के लिए जो पुरानी सड़कें थी वह भी अब गायब हो गई है और सड़क के नाम पर सिर्फ गड्ढे हैं. हाइवे की इस सड़क को देखकर ऐसा लगता ही नहीं है कि यह सड़क भी है. 

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स्थानीय राहगीर मोहम्मद आनीश कहते हैं कि मैं 2012 से सिंगरौली में आया...  तब से इस रोड को बनते देख रहा हूं. मेरे कई दोस्त इस सड़क पर अपनी जान गवां चुके हैं. 

इस राजमार्ग पर सफर करने वाले लोगों की सबसे बड़ी मांग है कि प्रशासन इस दिशा में जल्द कार्रवाई करे, ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो सके. यदि प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर ध्यान नहीं देगी तो आने वाले समय में यह समस्याएं और भी बढ़ सकती हैं. 

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