नेत्रहीन छात्राओं का दर्द: पानी में डूबा गर्ल्स हॉस्टल, जागती रहीं रातभर

नेत्रहीन छात्रा शिवानी यादव ने एनडीटीवी को बताया हमारा खाद्यान्न पूरा गीला हो गया है. हमारे खाने की कोई व्यवस्था नहीं है और सोने की भी कोई व्यवस्था नहीं है, हम लोग कलेक्टर ऑफिस गए थे. वहां भी शिकायत तो बहुत की गई है. लेकिन वहां से कोई नहीं आया.

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मध्य प्रदेश: जबलपुर में बीते 24 घंटों में 10 इंच से ज्यादा बारिश हुई है. भारी बारिश के चलते शहर में जगह-जगह पानी भर गया है. लेकिन नेपियर टाउन स्थित नेत्रहीन कन्या शाला में पानी भर जाने की वजह से करीब 45 नेत्रहीन छात्राएं रात भर जागती रहीं. पानी की वजह से उनके बिस्तर गीले हो चुके थे. सुबह प्राचार्य और स्टाफ जब स्कूल पहुंचे तब जाकर पानी निकालने का प्रयास शुरु हुआ.

"5 सालों से स्कूल में जलजमाव"
प्राचार्य पूरनचंद मिश्रा ने बताया कि स्कूल के हालात से विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया है, उन्होंने प्राचार्य को पानी निकलने तक स्कूल में ही रुकने कहा गया है. प्राचार्य ने बताया कि मैं और पूरा स्टाफ पानी निकलने तक रुकेंगे, भले ही पूरी रात हो जाए. उन्होंने बताया कि स्कूल का पूरा खाद्यान्न भी पानी में भीग गया. बच्चों के लिए खाने की व्यवस्था करा रहे हैं. उन्होंने बताया कि बीते 5 साल से स्कूल में जलजमाव के ऐसे ही हाल बनते हैं. दरअसल, नेपियर टाउन में बनाई गई कल्चरल स्ट्रीट के निर्माण के दौरान नाला संकरा किए जाने के बाद से यह हालात बने हैं.

जलजमाव से छात्राएं परेशान

नेत्रहीन छात्रा शिवानी यादव ने एनडीटीवी को बताया हमारा खाद्यान्न पूरा गीला हो गया है. हमारे खाने की कोई व्यवस्था नहीं है और सोने की भी कोई व्यवस्था नहीं है, हम लोग कलेक्टर ऑफिस गए थे. वहां भी शिकायत तो बहुत की गई है. लेकिन वहां से कोई नहीं आया. हम लोग कुछ नहीं कर सकते. बैठने की भी जगह नहीं है. पानी भरा है.

"मैं भी रात भर जागती रहती हूं..."
नेत्रहीन छात्रा किरण कुमारी ने एनडीटीवी को बताया कि सारा समान गीली हो गई है और दीवाल में भी करंट आ जाता है. 2 घंटे से हम लोग खड़े हैं. पानी निकलने का नाम नहीं ले रहा है. हम चाहते हैं कि हमारी बिल्डिंग जल्दी-जल्दी हमें मिल जाए और इन सब बच्चों के साथ मैं भी रात भर जागती रहती हूं.

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जलजमाव से नेत्रहीन छात्राएं परेशान

जहरीले जीव जंतुओं का भी रहता है खतरा
नेत्रहीन छात्राओं  ने बताया कि हर साल पानी भरने के दौरान जलीय जीव मेढ़क वगैरह भी आ जाते हैं. ऐसे में उनके साथ-साथ जहरीले जीव जंतुओं का भी खतरा बना रहता है. नेत्रहीन छात्राएं आंखों से देख नहीं सकतीं, कुछ को आंशिक नेत्रहीनता है. ऐसे में वे इन हालात में कैसे रात भर रह पाईं वो अधिकारियों को सोचना चाहिए.

"नया भवन नहीं किया जा रहा हैंडओवर"
प्राचार्य पूरनचंद मिश्रा ने बताया कि नेत्रहीन कन्या शाला के लिए नया भवन बनकर तैयार है. डेंटिंग पेंटिंग भी हो चुकी है, लेकिन दो साल से उन्हें बस आश्वासन मिल रहा है कि जल्द ही नया भवन उनके हैंडओवर कर दिया जाएगा. लेकिन ऐसे आश्वासनों को सुनते-सुनते 2 साल बीत रहे हैं. ऐसे में नेत्रहीन छात्राओं को बारिश के दौरान इन हालातों का सामना करना पड़ता है. मिश्रा ने बताया कि स्कूल में 89 छात्राएं पढ़ती हैं, जिनमें से 45 छात्राएं स्कूल में वर्तमान में उपस्थित थीं.

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बताया जा रहा है कि शहर में हुई भारी बारिश में ही यह हालात बने हैं, इससे पहले हुई बारिश में भी स्कूल के भीतर पानी आ पहुंचा था. बताया जाता है कि नेत्रहीन छात्राओं को हो रही इस असुविधा के लिए प्रशासन की लालफीताशाही जिम्मेदार है, जो नया भवन तैयार हो जाने के बावजूद भी उसे सौंपने में दो साल लगा चुकी है. 

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