Water Crisis: एमपी के इस जिले में नर्मदा किनारे जल संकट, कबाड़ बनी पानी की टंकी

Narsinghpur Water Crisis: नरसिंहपुर जिले में नर्मदा नदी के किनारे बसे लोगों को ही जल संकट का सामना करना पड़ रहा है. यहां के ऐतिहासिक ब्रह्माण्ड घाट में भी घर-घर पानी नहीं पहुंचा है. पिछले तीन-चार साल से शुरू होने के इंतजार में पानी की टंकी कबाड़ हो गई है. आइए आपको यहां की स्थिति के बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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नरसिंहपुर में पानी के लिए लोगों को हो रही भारी परेशानी

Narmada River Water Crisis: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के नरसिंहपुर (Narsinghpur) जिले का ऐतिहासिक नर्मदा तट ब्रह्मांड घाट यूं तो मां नर्मदा के खूबसूरत घाट में शुमार है. कहते हैं कि इस घाट पर कभी भगवान ब्रह्मा ने भी तप किया था. ऐसे स्थान पर भी यदि यहां के लोग पीने के पानी के लिए तरस जाएं, तो बड़ा प्रश्न है. इस ऐतिहासिक नर्मदा तट बरमान कला के किनारे रहने वाले वाशिंदों की पेयजल आपूर्ति के लिए एक टंकी आज से करीब तीन साल पहले बनाई गई थी, लेकिन वह अपने शुरू होने के इंतजार में अब जर्जर होने की कगार पर है. 

बरमान कला ग्राम पंचायत के सचिव अरुण शर्मा बताते हैं कि टंकी तकनीकी वजह से आज तक शोभा की सुपारी बनी है. दलील है कि जमीनी सतह पर निचले स्तर पर टंकी बना दी गई. अब हालात यह है कि ऊंचाई वाले स्थान पर इससे पानी नहीं पहुंच सकता, लिहाजा टंकी आज तक शुरू नहीं हो सकी. एक बार टेस्टिंग के लिए टंकी को शुरू किया गया था, जिसमें कई लीकेज निकले. योजना का शुरू होने का इंतजार होता रहा, लेकिन आज भी पीएचई विभाग के सितम जारी है और जिसका खामियाजा ग्रामीण भुगत रहे हैं.

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क्या है पूरा मामला?

पीएचई विभाग ने नर्मदा नदी के तट पर टंकी बना दी और उनके ठेकेदारों ने घर-घर तक लाइन पहुंचने के नाम पर पाइप लगा दिए. लेकिन, घरों में लगे नल आज भी इन पाइपों से जुड़ने का इंतजार कर रहे हैं. हालत ये है कि इन पाइप लाइनों को बिछाने के लिए गांव की सड़कें तक खोद दी गईं, लेकिन जिसका इंतजार था, वह पानी आज तक नहीं आया. नर्मदा की कृपा गांव पर भरपूर है. बावजूद यहां के बुजुर्ग और जवान क्या, बलकि सभी महिलाएं दूर-दूर से हैंडपंप से पानी ढोने के लिए मजबूर हैं.

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अभी अधूरी है योजना - पीएचई अधिकारी

इस मामले को लेकर जब पीएचई के अधिकारियों से बात की गई, तो उनकी बात ग्राम पंचायत के सचिव से बिल्कुल अलग निकली. उनका कहना था कि कुछ काम और इस योजना में जोड़े गए हैं, जिसके चलते योजना अभी अधर में है. हालांकि, सिस्टम की खामी का नुकसान यहां की आवाम सहने को मजबूर है.

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