
Khandwa News: खंडवा जिले में पानी नहीं मिलने की समस्या से परेशान होकर एक महिला ने राष्ट्रपति के नाम पत्र लिख इच्छा मृत्यु (Euthanasia) की मांग कर दी. बता दें कि खंडवा में आए दिन नर्मदा जल की पाइप लाइन फट जाती है. इस कारण शहर में जल संकट की स्थिति बन जाती है. लोगों का कहना है कि कभी-कभी तो तीन से चार दिन तक नलों में पानी नहीं आता. इसी तरह जब पहले पानी को लेकर संकट गहराया तो महिलाओं ने 20 अप्रैल को चक्का जाम कर दिया था.
इसके बाद उन पर नगर निगम ने एफआईआर तक करवा दी, जिसके बाद नगर निगम और जिला प्रशासन की बड़ी फजीहत हुई. आम आदमी से लेकर बड़े नेताओं तक ने इस कार्रवाई को गलत बताया, लेकिन अब पानी नहीं मिलने से परेशान होकर एक महिला ने इच्छा मृत्यु की मांग कर डाली.

पाइप लाइन से बहता पानी.
सालभर से पानी की समस्या से जूझ रहे
खंडवा में लोग गर्मी में पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. ये बात गर्मी भर की नहीं है, बल्कि खंडवा में ये नजारा अब साल भर का हो गया है. क्योंकि यहां पानी सप्लाई के लिए बिछाई गई नर्मदा जल की पाइप लाइन फटती ही रहती है. ऐसे में सर्दी हो या गर्मी या फिर बरसात, खंडवा में पानी का मुद्दा हमेशा मुंह बाहे खड़ा रहता है, लेकिन प्रशासन 'जल्द ही समस्या का हल किया जाएगा' कहकर पल्ला झाड़ लेता है.
इसी महीने 4-5 बार फटी पाइप लाइन
लोगों का कहना है कि अप्रैल माह में ही 4 से 5 बार पानी की लाइन फट चुकी है. 20 अप्रैल को भी खंडवा के इंदिरा चौक की रहने वाली महिलाओं ने चक्का जाम कर दिया था. पानी मांग रही इन महिलाओं और एसडीएम में तीखी बहस हो गई थी. एसडीएम ने सारेआम कार्रवाई की धमकी दी. नतीजा यह हुआ कि महिलाओं पर एफआईआर हो गई.
ऐसे में अब भी पानी की सप्लाई नहीं हो रही है तो महिला ने परेशान होकर राष्ट्रपति के नाम खत लिख कर इच्छा मृत्यु की ही मांग कर डाली है. उनका कहना है कि उन्हें अपने खाली बर्तन लेकर घंटों नल में पानी आने का इंतजार करना पड़ता था. जब शिकायत लेकर जाएं तो जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी निभाने के बदले उन्हें अपशब्दों से नवाजते हैं. इतना ही नहीं उन्हें कार्रवाई के नाम पर डराते भी हैं.
पानी की समस्या को लेकर पूरा शहर त्राहिमाम त्राहिमाम कर रहा है लेकिन, नगर निगम में सत्ता में बैठी भाजपा की महापौर को लगता है कि लोग कांग्रेस के इशारे पर आंदोलन और इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं.
क्या बोलीं महापौर
महापौर अमृता अमर यादव ने बताया कि पानी मांगने पर जब FIR हुई तो इसको लेकर लोगों ने खुलकर सत्ता पक्ष के खिलाफ नाराजगी जताई. इसमें संसद में कानून बनाने वाले सांसद आगे आए और उन्होंने इस मामले में FIR को ना सिर्फ गलत बताया, बल्कि कहा कि अगर जनता को समस्या है और वो उसके लिए आंदोलन कर रही है तो उनकी समस्या का समाधान करना हम जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का काम है.
सांसद क्या बोले
सांसद ज्ञानेश्वर पाटिल ने कहा कि इस मामले को समझने के बाद रहीम का वह दोहा याद आता है जिसमें रहीम ने कहा था "रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून. पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून." जहां रहीम पानी बचाने की बात कर रहे हैं तो वहीं, वह यह भी बता रहे हैं कि मनुष्य को जीवन में विनम्र भी रहना चाहिए यानी जनता अगर समस्या से जूझ रही है तो जिम्मेदार उनके आंदोलन चिढ़ने की बजाए उनकी समस्या को दूर करने की कोशिश करें, ताकि जनता उन्हें फिर से चुन सके.
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