MP News: गिद्ध संरक्षण का मुख्य केंद्र बना एमपी, 'विदेशी मेहमानों' की हुई भारत में Geotagging

Vultures in MP: एमपी का मान एक बार और पूरी दुनिया में बढ़ा है. यूरेशियन गिद्ध की जियो टैगिंग एमपी के विदिशा में हुई है. आइए आपको इसके बारे में विस्तार से जानकारी देते हैं.

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विदिशा में विदेशी गिद्ध की हुई जियो टैगिंग

Vultures Geotagging in India: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में गिद्धों के संरक्षण (Vulture Conservation) की दिशा में एक और महत्वपूर्ण पहल सामने आई है. विदिशा और रायसेन वन मंडल (Vidisha-Raisen Forest Region) के संयुक्त प्रयास से यूरेशियन गिद्धों (Eurosian Vulture) को रायसेन जिले में लाया गया और उनमें से एक गिद्ध को जीपीएस टैग (GPS Tag) लगाकर हलाली डैम के पास छोड़ा गया है. यह प्रयोग विदिशा जिले में पहली बार किया गया है और यह निश्चित रूप से गिद्धों के संरक्षण और उनकी निगरानी के लिए एक महत्वपूर्ण पहल है.

गिद्धों की हुई विदिशा वन क्षेत्र में जियो-टैगिंग

गिद्धों की जियो-टैगिंग का उद्देश्य

विदिशा में पहली बार गिद्ध की जियो-टैगिंग की गई, जिसका मुख्य उद्देश्य उनकी आवाजाही, जीवन चक्र और पारिस्थितिक भूमिका को समझना है. जीपीएस टैगिंग से वैज्ञानिकों और वन विभाग को इन पक्षियों की उड़ान भरने के रास्ते, रहने के स्थान और भोजन खोजने के तरीकों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिलेगी. यह डेटा भविष्य में गिद्ध संरक्षण कार्यक्रमों को प्रभावी बनाने में मदद करेगा.

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गिद्धों की घटती संख्या और संरक्षण की जरूरत

गिद्ध फूड चेन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. वे प्राकृतिक सफाईकर्मी के रूप में काम करते हैं और मृत जानवरों के अवशेषों को नष्ट करके बीमारियों के प्रसार को रोकते हैं. लेकिन, पिछले कुछ दशकों में इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है. डाइक्लोफेनाक जैसे पशु चिकित्सा में उपयोग होने वाले दवाओं, खाद्य स्रोतों की कमी और प्राकृतिक आवासों के नष्ट होने के कारण गिद्धों की कई प्रजातियां संकट में हैं.

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एमपी में विदेशी गिद्धों की हुई जियो-टैगिंग

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विदिशा और रायसेन बन सकते हैं गिद्ध संरक्षण के नए केंद्र

गिद्धों की गणना और जियो-टैगिंग के ये प्रयास इस बात का संकेत हैं कि विदिशा और रायसेन जिले गिद्ध संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण केंद्र बन सकते हैं. इससे पहले, मध्य प्रदेश में गिद्धों की जियो-टैगिंग केवल पन्ना में ही की गई थी. अब विदिशा में इस प्रक्रिया को अपनाकर एक नई शुरुआत की गई है, जिससे यह संभावना बढ़ गई है कि भविष्य में इस क्षेत्र में गिद्धों की संख्या और उनकी विविधता बढ़ेगी.

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