रोड नहीं तो वोट नहीं... मध्य प्रदेश के इस गांव ने किया मतदान का बहिष्कार, आखिर क्या है वजह?

ग्रामीण दीवान सिंह लोधी का कहना है कि सड़क किसी भी गांव के विकास की गाथा बयां करती है. आजादी के बाद से आज तक ग्रामवासियों ने सड़क नहीं देखी. पांच साल में मतदान का यह पर्व आता है. हम लोग मतदान करना चाहते हैं पर जब कोई हमारी सुध लेने वाला ही नहीं है तो हम लोगों ने मतदान नहीं करने का फैसला लिया है.

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गांव वालों ने किया मतदान का बहिष्कार

MP Assembly Election 2023: मध्य प्रदेश चुनाव (MP Election) में निर्वाचन आयोग (Election Commission) की तरफ से भले ही शत प्रतिशत मतदान कराने की पुरजोर तैयारी की जा रही है. मतदाता जागरूकता अभियान के लिए तमाम तरह के जतन भी किए जा रहे हों पर आज भी जिले भर के कई ग्राम ऐसे हैं जो मूलभूत सुविधाओं के लिए मतदान (Voting in Madhya Pradesh) का बहिष्कार कर रहे हैं. इन ग्राम वासियों का कहना है कि भले ही हम आजाद देश के गांव हों पर सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से आज भी हम लोग कोसों दूर हैं. कोई ग्रामवासी मतदान का बहिष्कार नहीं करना चाहता पर हुक्मरानों की कार्यशैली के चलते हम ग्रामवासियों को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है. 

'सड़क नहीं तो वोट नहीं'

कुरवाई तहसील के धातरिया ग्राम पंचायत सफली ग्राम करीब 300 से 500 आबादी वाला गांव है. यहां के लोग गांव के बाहर बड़े-बड़े पोस्टर लगाकर नेताओं को वोट नहीं देने का संदेश दे रहे हैं. गांव में लगे पोस्टरों पर लिखा है, 'सड़क नहीं तो वोट नहीं'. ग्राम वासियों का कहना है कि इस गांव में केवल चुनाव के समय ही नेता सिर्फ वोट मांगने आते हैं. वोट लेने के बाद कोई भी नेता या प्रशासनिक अधिकारी इस गांव की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देखता. हम लोगों ने अब फैसला लिया है कि अब सड़क नहीं तो वोट भी नहीं.

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मजबूरी में किया मतदान का बहिष्कार 

गांव के लोगों का कहना है कि हम मतदान तो करना चाहते हैं. हम मतदान का बहिष्कार नहीं करना चाहते पर नेताओं और प्रशासनिक अधिकारियों की कार्यशैली के चलते इन लोगों ने हम लोगों को मतदान का बहिष्कार करने के लिए मजबूर कर दिया है. हम लोग कई बार अधिकारियों और नेताओं से अपने गांव की सड़क के लिए गुहार लगा चुके हैं लेकिन आज तक सुनवाई नहीं हो सकी. 

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महज़ तीन किलोमीटर की सड़क नही बन सकी ग्राम सफली में

ग्रामीण गांव सफली में महज तीन किलोमीटर की सड़क की मांग कर रहे हैं. गांव के लोगों का कहना है कि यह गांव की मुख्य सड़क है. इस सड़क के लिए सालों से ग्रामीण गुहार लगा रहे हैं लेकिन सुनवाई नहीं हुई. बारिश के समय सड़क दलदल में तब्दील हो जाती है. बच्चों को हाथों में चप्पल लेकर सड़क पार करनी पड़ती है. कोई बीमार हो जाता है तो गांव तक एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती. इतना ही नहीं पूरी बारिश ग्रामवासियों को गांव में ही कैद होने के लिए मजबूर होना पड़ता है. 

क्या कहते हैं ग्रामीण? 

ग्रामीण दीवान सिंह लोधी का कहना है कि सड़क किसी भी गांव के विकास की गाथा बयां करती है. आजादी के बाद से आज तक ग्रामवासियों ने सड़क नहीं देखी. पांच साल में मतदान का यह पर्व आता है. हम लोग मतदान करना चाहते हैं पर जब कोई हमारी सुध लेने वाला ही नहीं है तो हम लोगों ने मतदान नहीं करने का फैसला लिया है. हम लोगों ने गांव में नेताओं के आने पर साफ मना कर दिया है. अब हमारे गांव में नेता वोट मांगने न आएं क्योंकि अब जब तक गांव में रोड नहीं तब तक वोट नहीं. 

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क्या कहते हैं जिम्मेदार अधिकारी?

पठारी तहसील के तहसीलदार अभिषेक पांडे को जब सफली ग्राम के बारे में मतदान बहिष्कार की खबर एनडीटीवी द्वारा खबर दी गई तो तहसीलदार अभिषेक पांडे ने अजीबोगरीब जवाब देते हुए कहा, 'यह आचार संहिता के बाद का मामला है. आचार संहिता के पहले मैं पठारी में था. आचार संहिता के बाद से मेरी चुनाव में ड्यूटी लगी है. मुझे मामला मालूम है पर इस संबंध में एसडीएम अधिकारी ज्यादा बेहतर बता सकते हैं.'