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Shri Hospital Fraud : 'डॉ. डेथ' के बाद अब एमपी में सामने आया फर्जी अस्पताल, भनक लगते ही विभाग ने किया सील

Vidisha Shri Hospital Fraud : अभी दमोह के मिशन अस्पताल का मामला ठंडा भी नहीं हुआ कि विदिशा से और एक घोर लापरवाही और फर्जीवाड़ा से जुड़ा मामला सामने आ गया.  जिले में बिना रजिस्ट्रेशन के चल रहा 'श्री अस्पताल', मरीजों की जान से खिलवाड़ कर रहा था. विभाग ने कार्रवाई की.

Shri Hospital Fraud : 'डॉ. डेथ' के बाद अब एमपी में सामने आया फर्जी अस्पताल, भनक लगते ही विभाग ने किया सील

Vidisha Shri Hospital Fraud : दमोह का मिशन अस्पताल इन दिनों इतना चर्चा में है कि इसका नाम ही काफी है. फर्जी डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव उर्फ एन. जॉन कैम की करतूतों ने स्वास्थ्य विभाग पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. खैर इस मामले के बाद विभाग ने तुरंत एक्शन लिया. वहीं, विदिशा जिले से भी स्वास्थ्य व्यवस्था की खोलने वाली खबर सामने आई है. ये स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही और निजी अस्पताल संचालकों की मनमानी का बड़ा उदाहरण है. बंद हो चुके चौरसिया अस्पताल की बिल्डिंग में 'श्री अस्पताल' नाम से एक नया निजी अस्पताल बिना किसी रजिस्ट्रेशन के संचालित किया जा रहा था.

न तो अस्पताल को संचालित करने की अनुमति थी, न ही मरीजों को भर्ती करने की इजाजत. लेकिन इसके बावजूद यह अस्पताल पूरी क्षमता से काम कर रहा था. जब जिला स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी भनक लगी तो अस्पताल सील किया गया.

174 बंद नर्सिंग होम की सूची में था, चौरसिया अस्पताल

लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने प्रदेशभर के 174 ऐसे अस्पतालों की सूची बनाई थी, जिन्हें तय मानकों के अनुसार संचालन की अनुमति नहीं थी. विदिशा का चौरसिया अस्पताल भी इन्हीं में शामिल था और 31 मार्च तक इसे पूरी तरह बंद कर दिया गया था. लेकिन अस्पताल की बंदी सिर्फ कागजों तक सीमित रही। उसी भवन में 'श्री अस्पताल' नाम से नया अस्पताल शुरू कर दिया गया. बिना किसी वैध अनुमति और पंजीयन के.

बिना ICU, डॉक्टरों और लाइसेंस के मरीजों को दी जा रही थी ड्रिप

जांच में पता चला कि अस्पताल में 3 मरीज भर्ती थे, जिन्हें ड्रिप लगाई जा चुकी थी. अस्पताल में 10 बेड लगे थे और दो मंजिला भवन में सुविधाओं की कमी के बावजूद अस्पताल ओपीडी और इनडोर भर्ती मरीजों को सेवा दे रहा था. हालांकि,  अस्पताल का संचालन पुराने चौरसिया अस्पताल के नाम से नहीं, बल्कि 'श्री अस्पताल' के नाम पर किया जा रहा था. लेकिन न तो इसका पंजीकरण था और न ही स्वास्थ्य विभाग से मान्यता.

डॉक्टर बीएल शर्मा और शैलेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई

जांच के दौरान अस्पताल में डॉ. बीएल शर्मा और डॉ. शैलेंद्र सिंह के दस्तावेज और पर्चे मिले. जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. योगेश तिवारी  के अनुसार, बिना परमिशन के चल रहे अस्पताल को सील किया गया.

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पहले भी हुआ था नोटिस- नहीं मिला जवाब

स्वास्थ्य विभाग द्वारा दो महीने पहले भी इस भवन में फिर से अस्पताल शुरू करने के प्रयासों को नोटिस जारी कर रोका गया था. लेकिन न संचालकों ने कोई जवाब दिया और न ही विभाग ने दोबारा फॉलोअप किया, जिससे यह गैरकानूनी गतिविधि दोबारा शुरू हो गई. वहीं, जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. योगेश तिवारी ने कहा,  “बिना अनुमति और पंजीयन के कोई भी अस्पताल नहीं चलाया जा सकता. मरीजों की जान के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी.”

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