Madhya Pradesh News: विदिशा जिले की गंजबासौदा तहसील में स्थित कृषक उपज मंडी को भले ही मध्य प्रदेश की दूसरे नंबर की मंडी (second largest market of Yield in Madhya Pradesh) का दर्जा मिल गया हो, लेकिन यहां आज भी किसान व्यवस्थाओं के अभाव में अपनी उपज बेचने में संघर्ष करते हैं. वैसे तो इस मंडी को ए ग्रेट की मंडियों में शामिल कर लिया गया है लेकिन आज भी गंजबासौदा कृषक मंडी (Ganjbasoda Farmers Market) में अव्यवस्थाओं का आलम है. किसान अब परेशान होकर मंडी व्यवस्था पर सवाल उठा रहे हैं. वहीं मंडी सचिव इस पूरी अव्यवस्थाओं को मंडी बोर्ड का एक सिस्टम बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं.
मंडी में नहीं है भोजन का इंतजाम
गंजबासौदा कृषक मंडी जिले के साथ प्रदेश की बड़ी मंडियों में शुमार है. शहर के साथ दूर दराज के किसान भी बड़ी तादाद में उपज लेकर यहां पहुंचते हैं. किसानों की मानें तो मंडी में अव्यवस्थाओं का आलम इस कदर है कि किसानों को परेशानी के अलावा कुछ हासिल नहीं होता. मंडी में किसानों को बैठने की तक की उचित व्यवस्था नहीं है. सरकार अन्नदाता किसानों को पांच रुपए में भर पेट भोजन कराने का दावा कर रही है लेकिन यहां महीनों से कैंटीन बंद है. मंडी के हालात यह है मंडी परिसर में मवेशी घूमते नजर आते हैं.
उपज बेचने के लिए करना पड़ता है लंबा इंतजार
70 किलोमीटर दूर से सोयाबीन की फसल बेचने गंजबासौदा मंडी आए किसान बताते हैं कि वे अपने नंबर का इंतजार कई दिनों से कर रहे हैं, अभी तक उनका अनाज नहीं बिक पाया है. जिसकी वजह से इन किसानों को यहां रुकना पड़ता है, लेकिन मंडी में किसानों के लिए खाने का कोई इंतजाम नहीं है.
दूसरे किसान सोयाबीन की फसल लेकर आए हैं, उन्होंने बताया कि वे भी काफी देर से खड़े हैं, लेकिन तुलाई के लिए कोई खास व्यवस्था नहीं है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि मंडी परिसर में जब भी वे ट्राली लेकर आते हैं उन्हें बहुत परेशानी का सामना करना पड़ता है. मंडी में अच्छी सड़क तक नहीं है.
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