सतना में स्कूली छात्रों का अनोखा प्रयोग, मात्र 150 रुपए में बनाई प्रदूषण मुक्त गणेशजी की मूर्तियां

व्यंकट क्रमांक 1 स्कूल के शिक्षक डॉ रामानुज पाठक ने वर्ष 2021 में सबसे पहले अपनी प्रयोगशाला में नवाचार करते हुए फिटकरी की मूर्तियां बनाई थीं. इसके बाद से वे लगातार छात्रों की मदद से उत्कृष्ट विद्यालय की प्रयोगशाला में फिटकरी की गणेश मूर्तियां तैयार कर रहे हैं.

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सतना में स्कूली छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर फिटकरी से मूर्ति बनाने का अनोखा तरीका तैयार किया है.
सतना:

गणेश महोत्सव का समय जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, हर तरफ भगवान गणेश की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. इसी के तहत सतना में स्कूली छात्रों और शिक्षकों ने मिलकर मूर्ति बनाने का अनोखा तरीका तैयार किया है. सतना के उत्कृष्ट उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के शिक्षक और छात्रों ने रसायन विज्ञान की प्रयोगशाला से एक ऐसा फार्मूला ढूंढ़ निकाला है, जिसके बाद तमाम देवी-देवताओं की मूर्तियों के निर्माण में न केवल लागत घट सकती है, बल्कि जल संरक्षण में भी मदद मिलेगी. यह फार्मूला तैयार करने के बाद कक्षा 12वीं के छात्रों ने मात्र डेढ़ सौ रुपए के खर्च में दो से तीन फिट की मूर्तियां तैयार कर दी हैं. यह सभी मूर्तियां फिटकरी से बनीं हैं जिनका दाम बेहद कम है. इसके अलावा जब मूर्तियों को जलाशयों में विसर्जित किया जाएगा तब यह आसानी से घुल जाएंगी और पानी को भी शुद्ध करने में सहायक होंगी.

फिटकरी की ये मूर्तियां पानी को भी शुद्ध करने में सहायक होंगी.

दो साल यहां तैयार हो रहे अनोखे गणेश

आमतौर पर बाजार में चॉकलेट, प्लास्टर ऑफ पेरिस और मिट्टी की मूर्तियां तैयार कर बेची जाती हैं. ऐसे में मूर्तियों के दाम काफी ज्यादा होते हैं. स्कूल के शिक्षक डॉ रामानुज पाठक ने वर्ष 2021 में सबसे पहले अपनी प्रयोगशाला में इनोवेशन करते हुए फिटकरी की मूर्तियां बनाई थीं. इसके बाद से वे लगातार छात्रों की मदद से उत्कृष्ट विद्यालय की प्रयोगशाला में फिटकरी की गणेश मूर्तियां तैयार कर रहे हैं.

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जल प्रदूषण रोकने और पर्यावरण संरक्षण में होंगी सहायक

जल प्रदूषण भारत सहित पूरे विश्व की समस्या है. भारत में मूर्तियों के विसर्जन से काफी जल प्रदूषण होता है. फिटकरी को प्राकृतिक रूप से जल शोधक माना जाता है. यदि फिटकरी से बनी मूर्तियों को जल में विसर्जित किया जाएगा तो जल शोधन में काफी मदद मिलेगी. डॉक्टर रामानुज पाठक ने कहा कि शासन, प्रशासन और आमजन मिलकर यदि एक्सीलेंस का यह इनोवेशन लैब से लैंड तक पहुंचाएं तो आस्था के साथ-साथ पर्यावरण सुरक्षित करने में भी मदद मिलेगी. विद्यालय के प्राचार्य सुशील श्रीवास्तव ने कहा कि यदि सब लोग इस प्रकार की मूर्तियां लें तो निश्चित ही सकारात्मक सुधार देखने को मिल सकता है.

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फिटकरी से बनी मूर्तियों को जल में विसर्जित करने से जल शोधन में काफी मदद मिलेगी.

कैसे तैयार करते हैं फिटकरी की मूर्तियां 

उत्कृष्ट विद्यालय के रसायन विज्ञान के उच्च माध्यमिक शिक्षक डॉ रामानुज पाठक ने जानकारी देते हुए बताया कि बाजार में तकरीबन 30 रुपए में 1 किलो फिटकरी मिलती है. उन्होंने बताया कि इस वर्ष कक्षा 12वीं के छात्रों ने मिलकर 15 किलो फिटकरी से तकरीबन तीन गणेश प्रतिमाएं बनाई हैं. जिनकी लंबाई चौड़ाई डेढ़ से 2 फिट है और एक मृर्ति का वजन लगभग 5 किलो है. फिटकरी की गणेश मूर्तियां बनाने के पहले मिट्टी एवं आटे से मूर्तियों के सांचे बनाए गए. जिसके बाद में फिटकरी को पिघलाकर उन सांचों में ढाला गया. उन्होंने बताया कि गणेश मूर्तियां तैयार करने में राज डोहर, शिवदीप शुक्ला, विक्रम चतुर्वेदी, सत्येंद्र डोहर, रोहित कुशवाहा, सत्यम कुशवाहा, सागर सोनी, आतिश प्रताप सिंह, आंशिक रजक, साक्षी पांडे, आयुषी मिश्रा, सृजल मिश्रा, स्नेहा पांडे, आदि विद्यार्थियों ने अपना अमूल्य योगदान दिया है.

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