MP का अनूठा दशहरा; कालादेव का रहस्य, राम vs रावण दल में होती है पत्थरों की बरसात, लेकिन चोट किसी को नहीं

Dussehra 2025, Vijayadashami: भारत में दशहरे की हजारों कहानियां हैं – कहीं रावण दहन होता है, कहीं मेले लगते हैं. लेकिन कालादेव का दशहरा हर मायने में सबसे अलग और रहस्यमय है. यहां रावण की स्थायी प्रतिमा है. यहां असली राम बनाम रावण की जंग होती है. यहां पत्थरों की बौछार होती है, लेकिन चोट नहीं लगती. यही वजह है कि यह आयोजन भारत के सबसे अनूठे दशहरों में गिना जाता है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
MP का अनूठा दशहरा; कालादेव का रहस्य, राम vs रावण दल में होती है पत्थरों की बरसात, लेकिन चोट किसी को नहीं

Vijayadashami 2025: दशहरे (Dassahra 2025) का नाम आते ही हमारे दिमाग में एक ही तस्वीर बनती है, रावण का दहन, आतिशबाज़ी और "जय श्रीराम" के जयकारे. लेकिन मध्यप्रदेश के विदिशा (Vidisha) जिले का कालादेव गांव (Kaladev Village) इस परंपरा को बिल्कुल अलग अंदाज़ में निभाता है. यहां दशहरा किसी धार्मिक नाटक या पुतले के दहन तक सीमित नहीं, बल्कि पत्थरों की असली बरसात के बीच मनाया जाता है. कालादेव का दशहरा सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि आस्था और रहस्य का संगम है. यहां हर साल पत्थरों की बरसात होती है, लेकिन कालादेव के लोगों पर कोई चोट नहीं लगती. यही इसे असली ‘चमत्कार' बनाता है.

राम दल बनाम रावण दल : पत्थरों की अनोखी जंग

लटेरी तहसील के इस छोटे से गांव में दशहरा आते ही रणभूमि का दृश्य बन जाता है. मैदान में रावण की विशाल स्थायी प्रतिमा खड़ी होती है. उससे करीब 200 मीटर दूर राम का ध्वज गाड़ा जाता है.

जैसे ही कालादेव के ग्रामीण "रामदल" के रूप में ध्वज की परिक्रमा शुरू करते हैं, वैसी ही रावणदल के रूप में खड़े आदिवासी और बंजारे अपने हाथों में गोफन (गुलेल) थामकर पत्थरों की बरसात कर देते हैं.

लेकिन चमत्कार यही है – पत्थर चारों ओर गूंजते हैं, हवा चीरते हुए गुजरते हैं, लेकिन रामदल के स्थानीय लोगों को चोट नहीं लगती.  अगर कोई बाहरी व्यक्ति रामदल में शामिल हो जाए तो पत्थर उसे लग जाते हैं.

पत्थरों की बरसात, पर कोई घायल नहीं!

इस परंपरा में सबसे अद्भुत बात यही है कि जहां चारों ओर पत्थरों की आवाज़ और टकराहट गूंजती है, वहीं रामदल के लोग हंसी-खुशी, जयकारे लगाते हुए सुरक्षित अपने स्थान पर लौट आते हैं. न कोई घायल होता है, न किसी का खून निकलता है. स्थानीय लोग कहते हैं कि यह श्रीराम का चमत्कार है, जो सदियों से उनके गांव पर रक्षा कवच बनकर कायम है.

Advertisement

सदियों पुरानी परंपरा, अनकही कहानी

गांववालों के अनुसार यह परंपरा कितनी पुरानी है, इसका कोई सटीक अंदाज़ा नहीं. बुजुर्ग कहते हैं कि "हमारे दादा-परदादा ने भी यही दशहरा देखा है." यह परंपरा पीढ़ी दर पीढ़ी चली आ रही है और इसका रहस्य आज तक कोई सुलझा नहीं पाया. यहां दशहरे का मतलब केवल रावण के पुतले को जलाना नहीं, बल्कि अच्छाई-बुराई की असली टक्कर को जीना है.

आयोजन का दृश्य : मानो असली रणभूमि

शाम ढलते ही हजारों लोग कालादेव के मैदान में जुट जाते हैं. चारों तरफ "जय श्रीराम" के नारे गूंजते हैं. रावण की प्रतिमा को सजाया जाता है. आदिवासी और बंजारे गोफन में पत्थर भरकर कतार में खड़े हो जाते हैं. रामदल ध्वज की परिक्रमा करने निकलता है और देखते ही देखते मैदान रणभूमि बन जाता है. लोग सांसें थामे देखते रहते हैं कि किस तरह पत्थर बरस रहे हैं और फिर भी रामदल के लोग एकदम सुरक्षित रहते हैं.

Advertisement

पत्थरों की बरसात के बाद रामलीला

जब रामदल ध्वज की परिक्रमा कर अपने स्थान पर लौट आता है, तब रावणदल पत्थर फेंकना बंद कर देता है. इसके बाद मंच पर राम-रावण युद्ध की लीला होती है. रावण की हार और राम की विजय के साथ पूरा मैदान उत्सव में बदल जाता है.

भारत का सबसे अनूठा दशहरा

भारत में दशहरे की हजारों कहानियां हैं – कहीं रावण दहन होता है, कहीं मेले लगते हैं. लेकिन कालादेव का दशहरा हर मायने में सबसे अलग और रहस्यमय है. यहां रावण की स्थायी प्रतिमा है. यहां असली राम बनाम रावण की जंग होती है. यहां पत्थरों की बौछार होती है, लेकिन चोट नहीं लगती. यही वजह है कि यह आयोजन भारत के सबसे अनूठे दशहरों में गिना जाता है.

Advertisement

हजारों की भीड़, रोमांच और रहस्य

भोपाल से लगभग 150 किमी और विदिशा मुख्यालय से करीब 120 किमी दूर यह गांव हर साल दशहरे पर हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों का आकर्षण बनता है. लोग यहां केवल दशहरा देखने नहीं आते, बल्कि इस अद्भुत चमत्कार को अपनी आंखों से महसूस करने आते हैं.

यह भी पढ़ें : MP का अनोखा गांव; विजयादशमी पर मनाया जाता है मातम, यहां रावण बाबा की होती है पूजा, जानिए क्या है कहानी

यह भी पढ़ें : RSS 100 Years: पहली बार भारतीय मुद्रा में भारत माता, PM मोदी ने का- संघ के खिलाफ साजिशें भी हुई

यह भी पढ़ें : OBC Reservation: ओबीसी आरक्षण को लेकर फेक न्यूज; MP सरकार ने जारी किया स्पष्टीकरण, देखिए यहां

यह भी पढ़ें : DA Hike 2025: केंद्रीय कर्मचारियों की बल्ले-बल्ले; मोदी सरकार का दिवाली गिफ्ट, 3% डीए बढ़ाया, ऐसे समझें गणित

Topics mentioned in this article