पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 10 टन जहरीले कचरे को किया गया नष्ट, खतरनाक स्तर के नीचे ही रहा उत्सर्जन

Union Carbide Toxic Waste News: कचरा जलाने के बाद उत्सर्जन संबंधी सभी स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर थे. अधिकारियों के मुताबिक, विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित अन्य उपकरणों से वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी एकत्र किए जा रहे हैं. आपको बता दें कि दूसरे चरण के दौरान भी कुल 10 टन कार्बाइड कचरे को जलाया गया.

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Union Carbide Toxic Wasted Burnt: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में यूनियन कार्बाइड (Union Carbide) के जहरीले कचरे को धार जिले के निपटान संयंत्र में जलाने के परीक्षण का दूसरा चरण शनिवार रात को समाप्त हो गया. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी श्रीनिवास द्विवेदी ने बताया कि परीक्षण का दूसरा चरण छह मार्च की सुबह 11 बजे शुरू हुआ और आठ मार्च यानी शनिवार की शाम सात बजकर एक मिनट पर समाप्त हुआ.

अधिकारी ने बताया कि उत्सर्जन संबंधी सभी स्तर स्वीकार्य सीमा के भीतर थे. उन्होंने बताया कि विभिन्न क्षेत्रों में स्थापित अन्य उपकरणों से वायु गुणवत्ता के आंकड़े भी एकत्र किए जा रहे हैं. मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी के मुताबिक इंटरनेट सेवा बाधित होने के कारण अपशिष्ट को जलाने की प्रक्रिया में करीब 20 मिनट की देरी हुई. उन्होंने बताया कि निपटान इकाई में कुल 10 टन कार्बाइड कचरे को जलाया गया.

भोपाल त्रासदी के बाद से पड़ा कचरा

भोपाल में 1984 में दो और तीन दिसंबर की दरमियानी रात यूनियन कार्बाइड कारखाने से अत्यधिक जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (एमआईसी) गैस का रिसाव हुआ था. इससे कम से कम 5,479 लोग मारे गए थे और हजारों लोग अपंग हो गए थे. इसे दुनिया की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है. तब से  भोपाल में बंद पड़े यूनियन कार्बाइड कारखाने के 337 टन कचरे के निपटान की योजना के तहत इसे सूबे की राजधानी से करीब 250 किलोमीटर दूर पीथमपुर में एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान संयंत्र में दो जनवरी को पहुंचाया गया था.

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मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेश के अनुसार, इस कचरे के निपटान का परीक्षण सुरक्षा मानदंडों का सख्ती से पालन करते हुए तीन चरणों में किया जाना है और 27 मार्च को उच्च न्यायालय के सामने एक रिपोर्ट पेश की जानी है. अपशिष्ट को जलाने के परीक्षण का पहला चरण तीन मार्च को खत्म हुआ था. 

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