Ujjain Mahakal: महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान झुलसे महाकाल के सेवक ने तोड़ा दम, यहां चल रहा था इलाज

Ujjain Mahakal Bhasm Aarti: उज्जैन कलेक्टर ने बताया कि मुंबई के अस्पताल में इलाज के दौरान महाकाल के सेवक सत्यनारायण सोनी की जान नहीं बचाई जा सकी. वह शुगर की बीमारी से भी पीड़ित थे. कलेक्टर ने आगे कहा कि महाकालेश्वर मंदिर अग्निकांड में झुलसे तीन व्यक्ति इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती हैं, जबकि अन्य सभी लोग इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं.

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Mahakal Fire Incident: काल गणना के केंद्र बिंदु से विख्यात धार्मिक नगरी उज्जैन में देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकाल ज्योतिर्लिंग (Mahakal Temple) मौजूद है. होली (Holi 2024) के दिन महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) में भस्म आरती (Bhasm Aarti) के दौरान आग लग गई थी, इस घटना में मंदिर के पुजारी सहित 14 लोग झुलस गए थे. अब इस अग्निकांड को लेकर खबर आ रही है कि महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में भस्म आरती के दौरान गुलाल उड़ाए जाने की वजह से जो आग भड़की थी उसमें झुलसे 14 लोगों में से एक 79 वर्षीय सेवक की इलाज के दौरान बुधवार 10 अप्रैल को सुबह मौत हो गई है. इस खबर की जानकारी मंदिर प्रशासन की तरफ से दी गई है.

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कौन हैं ये सेवादार? कहां चल रहा था इलाज?

उज्जैन कलेक्टर नीरज कुमार सिंह (Ujjain Collector Neeraj Kumar Singh) के अनुसार महाकालेश्वर मंदिर के 79 वर्षीय सेवादार सत्यनारायण सोनी को पहले इंदौर (Indore) के एक निजी अस्पताल (Private Hospital) ले जाया गया था, लेकिन वहां उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ तब उन्हें मुंबई (Mumbai) के नेशनल बर्न्स सेंटर (National Burns Center) में एडमिट करवाया गया था.

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उज्जैन कलेक्टर ने बताया कि मुंबई के अस्पताल में इलाज के दौरान महाकाल के सेवक सत्यनारायण सोनी की जान नहीं बचाई जा सकी. वह शुगर की बीमारी से भी पीड़ित थे. कलेक्टर ने आगे कहा कि महाकालेश्वर मंदिर अग्निकांड में झुलसे तीन व्यक्ति इंदौर के श्री अरबिंदो इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज में भर्ती हैं, जबकि अन्य सभी लोग इलाज के बाद स्वस्थ हो चुके हैं.

कैसे लगी थी आग?

अधिकारियों ने शुरुआती जांच रिपोर्ट में बताया है कि महाकालेश्वर मंदिर में होली (Holi Festival) के पर्व पर 25 मार्च को कपूर आरती पर गुलाल गिरने से आग लगी थी. वहीं रंगपंचमी पर महाकाल मंदिर समिति ने पुजारियों ओर पुरोहितों को केसर और टेसू के फूलों से बना एक लोटा प्राकृतिक रंग उपलब्ध कराया था.

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