'न इलाज मिला न जवाब...' स्वास्थ्य विभाग-PWD की बड़ी लापरवाही, करोड़ों की लागत से बना अस्पताल पड़ा वीरान, जानें वजह

Ujjain Hospital: पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग ने बिना किसी योजना के खेत में अस्पताल बना दिया, लेकिन करोड़ों की लागत से बना ये अस्पताल अब वीरान पड़ा है. दरअसल, अस्पताल तो अब तक शूरू नहीं हो पाया, लेकिन क्षतिग्रस्त जरूर होने लगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
Ujjain Hospital: बड़नगर तहसील में दो मंजिला अस्पताल तो बना दिया, लेकिन यहां तक पहुंचने के लिए रोड नहीं बनाया.

Madhya Pradesh Latest News: मध्य प्रदेश के उज्जैन की बड़नगर तहसील में स्वास्थ्य विभाग और पीडब्ल्यूडी की बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां जिम्मेदारों ने 16 करोड़ रुपये की लागत से दो मंजिला अस्पताल तो बना दिया, लेकिन अस्पताल तक पहुंचने के लिए रोड नहीं बनाया. नतीजतन अस्पताल तो अब तक शूरू नहीं हो पाया, लेकिन क्षतिग्रस्त जरूर होने लगा.

16 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया अस्पताल

उज्जैन से करीब 55 किलोमीटर दूर बड़नगर तहसील के कजलाना गांव में लगभग दो साल पहले 175 गांव के लोगों की सुविधा के लिए 175 बेड का अस्पताल बनाया गया. सरकारी रिकॉर्ड में करीब 16 करोड़ रुपये की लागत से यह अस्पताल बनाया गया, लेकिन अस्पताल तक जाने का रास्ता नहीं बनाया. नतीजतन इसका उद्घाटन नहीं होने से यह शूरू नहीं हो सका. अब हाल यह है कि अस्पताल भवन की दीवारों का रंग फीका होने के साथ खिड़की और दरवाजे सड़ने लगे.

Advertisement

खेत में बनाया अस्पताल 

दरअसल, पीडब्ल्यूडी और स्वास्थ्य विभाग ने बिना किसी योजना के एक खेत में अस्पताल बनाया. पहले इसका पीछे से रास्ता बनाने की योजना थी, लेकिन नहीं बन पाने पर शासन ने चार महीने पहले 58 लाख रुपये की एप्रोच रोड स्वीकृत कर दी. इसके बावजूद काम शुरू नहीं हो पाया. यही वजह है कि शनिवार को अधिकारी निरीक्षण के लिए पहुंचे तो कीचड़ के कारण अस्पताल तक नहीं जा सके.

Advertisement

सीएमएचओ ने मानी गलती 

मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. अशोक पटेल ने माना कि अस्पताल बने करीब दो साल हो चुके हैं, लेकिन सड़क नहीं बनने से इसे चालू नहीं किया जा सका.

Advertisement

वहीं PWD एसडीओ साक्षी तंत्वे ने बताया कि अस्पताल तक पहुंचने वाली सड़क के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है, लेकिन बारिश के कारण काम में देरी हो रही है. उन्होंने कहा पहले सड़क की योजना अस्पताल के पीछे से बनाई गई थी.

ग्रामीणों बोले- 'न इलाज मिला न जवाब'

अस्पताल बनने से आसपास के कजलाना, मालीखेड़ा, टोड़ी, भाटपचलाना जैसे गांवों के लोगों को उम्मीद थी कि इलाज के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा, लेकिन अब ग्रामीणों को दो साल से सिर्फ बंद अस्पताल और टूटी उम्मीदें ही दिख रही हैं. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार ने अस्पताल तो बना दिया, लेकिन वहां  पहुंचने का रास्ता ही नहीं छोड़ा. अब भी हमें इलाज के लिए बड़नगर के स्वास्थ्य केंद्र जाना पड़ता है.

ये भी पढ़े: कौन है बालाघाट की सुमा उइके? पीएम मोदी ने मन की बात में किया जिक्र, जानें 10वीं पास दीदी की अनोखी कहानी

Topics mentioned in this article