आदिवासियों ने सीहोर कलेक्ट्रेट का किया घेराव; बैठक बीच में छोड़ पहुंचे Shivraj, जानिए क्या कहा

Shivraj Singh in Sehore: सीहोर में आदिवासियों ने कलेक्टर कार्यालय को घेर लिया और प्रदर्शन शुरू कर दिया. बैठक छोड़ प्रदर्शनकारियों के बीच केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान पहुंच गए और मंच से बोले कि मैं आपलोगों के साथ हूं. वन्यजीव अभ्यारण्य की जरूरत नहीं है. इसको लेकर उन्होंने सीएम से मिलकर निरस्त करने की मांग रखने की बात कही.

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Shivraj Singh Chauhan: आदिवासियों की मांग को लेकर शिवराज सिंह ने जताई अपनी सहमति

Shivraj Singh Chauhan: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिले के इछावर और बुधनी विधानसभा क्षेत्र में प्रस्तावित सरदार वल्लभ भाई पटेल अभ्यारण्य का क्षेत्र के आदिवासी विरोध कर रहे हैं. वन भूमि (Forest Land) बेदखली के विरोध में हजारों की संख्या में आदिवासी कलेक्ट्रेट पहुंचे, जहां कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रदर्शन किया और सड़क को जाम कर दिया. इस दौरान कलेक्ट्रेट में केन्द्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) दिशा की बैठक ले रहे थे. बैठक छोड़कर वे प्रदर्शनकारियों के बीच पहुंचे और मंच से उनकी मांगों का ज्ञापन लिया. शिवराज सिंह ने कहा कि किसी का हक नहीं छिनने दिया जाएगा. मैं तुम्हारे साथ हूं. मैं आपके प्रतिनिधि मंडल के साथ मुख्यमंत्री मोहन यादव (Dr. Mohan Yadav) से मिलेंगे और उन्हें बताएंगे कि हमें कोई अभ्यारण की जरूरत नहीं हैं.

शिवराज सिंह चौहान ने दिया आदिवासियों का साथ

आदिवासियों को किया समझाने का प्रयास

इस दौरान, शिवराज सिंह ने कलेक्टर का घेराव करने पहुंचे ग्रामीणों से कहा, 'नए कब्जे की बात हम नहीं कर रहे हैं, लेकिन पुरानी जमीन हमारी है और वह हमारी ही रहेगी. अब इसलिए कोई इस तरह का प्रयास न करें. अभ्यारण के संबंध में बैठके हैं, उसमें सर्व सम्मति से प्रस्ताव करेंगे. पारित किया जाएगा कि हमें इछावर बुधनी में अभ्यारण की कोई जरूरत नहीं है.'

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क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि बुधनी - इछावर विधानसभा से हजारों की संख्या में पहुंचे आदिवासियों ने कलेक्ट्रेट का घेराव कर प्रदर्शन किया. इस बीच, दिशा की बैठक छोड़कर शिवराज सिंह उनके बीच पहुंचे, जहां आदिवासियों ने उनसे कहा कि हम सभी आदिवासी समाज के लोग जिला सीहोर के लोग आपसे निवेदन करते हैं कि सीहोर में हमारे जनजाति समाज के लगभग 200 गांव में दो लाख जनसंख्या निवास करती हैं. पूरा समाज वनपरिक्षेत्र में रहकर वन भूमि पर कृषि काम कर अपना जीवन यापन करते हैं और वन भूमि पर वर्षों से खेती की जाती रही है.

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कुछ किसानों को अपने द्वारा वन अधिकार पत्र बना दिए गए हैं और शेष बचे हमारे जनजाति आदिवासी के वन अधिकार नहीं बन पाए हैं. इससे आए दिन वन विभाग एवं वन विकास निगम द्वारा 25 से 30 वर्ष पुरानी कृषि भूमि पर नया अतिक्रमण बताकर कार्रवाई की जा रही है.

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क्या है आदिवासियों की मांग?

आदिवासियों की मांग है कि सामान्य वनमण्डल अधिकारी जिला सीहोर ने 19 मई के पत्र में जो वन परिक्षेत्र इछावर एवं लाडकुई में आरक्षित वनों को सरदार बल्लभ भाई पटेल अभ्यारण बनाने का, जो प्रस्ताव अधिसूचित किया है, वह तत्काल प्रभार से शासन स्तर पर लिखित में निरस्त किया जाए. वन अधिकार अधिनियम 2006 के अंतर्गत सीहोर जिले के जितने भी वन मित्र पोर्टल पर आवेदन किए गए है, जल्द ही उनका निराकरण कर उनका अधिकार पत्र बनाया जाए. वन विभाग एवं वन विकास निगम द्वारा आए दिन हमारी पुरानी भूमि जो करीब 30 से 35 वर्षों से जिस भूमि पर कृषि कार्य कर रहे है साक्ष्य न होने के अभाव में पुरानी कृषि भूमि को नई बताकर जो कार्रवाई की जा रही है उसे शीघ्र रोका जाए.

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