MP Transport Constable Recruitment: एमपी में रद्द होंगी ये ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल की नियुक्तियां, आदेश जारी 

MP Transport Constable Recruitment 2012: मध्यप्रदेश में 45 ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल की नियुक्तियों को अवैध बताकर निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए. दरअसल इन पदों पर महिलाओं की भर्ती होनी थी, लेकिन पुरुषों की भर्ती कर दी गई.

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MP Transport Constable Recruitment 2012 Update: मध्यप्रदेश में 45 ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल की नियुक्तियों को अवैध बता कर निरस्त करने के आदेश जारी कर दिए गए. 2012 में हुई 45 ट्रांसपोर्ट कांस्टेबलों की भर्ती की नियुक्तियों को निरस्त करने के निर्देश परिवहन सचिव सिबि चक्रवर्ती ने नियुक्तियों को निरस्त करने के आदेश जारी किए गए. दरअसल इन पदों पर महिलाओं की भर्ती होनी थी, लेकिन पुरुषों की भर्ती कर दी गई. हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के बाद अब विभाग की और से विभाग ने इसके आदेश जारी किए हैं. 

ये है मामला 

दरअसल 24 मई 2012 को 198 परिवहन आरक्षकों की भर्ती के लिए विज्ञापन निकाला गया था.12 अगस्त 2012 को परीक्षा हुई थी. इसमें 1 लाख 47 हजार परीक्षार्थियों ने हिस्सा लिया था. इनमें महिलाओं के लिए कुल 59 पद आरक्षित किए गए थे. भर्ती प्रक्रिया पूरी होने के बाद 2013 में ही एक महिला अभियार्थी हिमाद्रि राजे ने ग्वालियर हाईकोर्ट में याचिका दायर कर ट्रांसपोर्ट कांस्टेबल भर्ती में अनियमितताओं का आरोप लगाया था.

नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया

हिमाद्रि ने उस समय ये तर्क दिया था कि पुरुष उम्मीदवारों की तरह महिला उम्मीदवारों के लिए भी ऊंचाई और सीने के मापदंड रखना अनुचित है. 2014 में हाईकोर्ट में इस याचिका में फैसला सुनाते हुए हिमाद्रि राजे की याचिका के पक्ष में फैसला सुनाया और नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया. राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को फिर सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज भी किया. लेकिन 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने भी हाई कोर्ट के फैसले को सही माना और नियुक्तियों को निरस्त करने के निर्देश भी जारी कर दिए थे.

सरकार ने इसको लेकर रिव्यु पेटीशन भी दायर की थी, जिसको भी सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया. हालांकि, सालों से नियुक्तियों को लेकर कुछ कार्रवाई नहीं हुई, जिसके बाद याचिका कर्ता हिमाद्रि राजे ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दायर की.

BJP और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति जारी

अवमानना याचिका पर सुप्रीमकोर्ट की ओर से 13 सितंबर को होने वाली सुनवाई में 45 कॉन्स्टेबल की नियुक्तियों के संबंध में कार्रवाई कर आदेश पेश करना था, लेकिनआदेश 19 सितंबर को जारी हुआ है. हालांकि, किन्हीं कारणों 13 सितंबर की सुनवाई टल गई थी. अब अगली सुनवाई से पहले कार्रवाई करने की तैयारी है. हालांकि, प्रदेश में इस मामले को लेकर भी सियासत शुरू हो गई. BJP और कांग्रेस में आरोप प्रत्यारोप की राजनीति जारी है.

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हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं

कांग्रेस प्रवक्ता अभिनव बरौलिया ने आरोप लगते हुए कहा व्यापम वह कांड है, जिसे कांग्रेस पार्टी ने उठाया था. भ्रष्टाचार का एक और बड़ा कांड जिसके लिए हम जैसे कार्यकर्ता होने लाठी डंडे खाए थे और लगातार जिस तरह से व्यापम कांड में हत्याएं हुईं थी. वह भी जग जाहिर है. हम न्यायपालिका का सम्मान करते हैं कि 12 साल के बाद जो निर्णय आया है, उसे जो मगरमच्छ छुपे हुए थे, जिन्हें बचाया गया था. वह भी सामने आएगा. हम चाहते हैं कि इस व्यापम कांड में जो-जो शामिल है उनका खुलासा हो.

BJP प्रवक्ता मिलन भार्गव ने कहा की यह देश और प्रदेश कानून और संविधान से चलता है, जहां कानून सर्वोपरि है.  सर्वोच्च न्यायालय ने यदि किसी विषय को लेकर संज्ञान लेकर आदेशित किया है, तो हमारी सरकार के हमारे विधि विशेषज्ञ पढ़ेंगे भी और यदि और यह हमारा कर्तव्य है.

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कांग्रेसियों पर मामला दर्ज

यह कोई पश्चिम बंगाल नहीं है यह कर्नाटक की सरकार नहीं जो कानून से ऊपर अपने आप को समझे मानवता से ऊपर अपने आप को समझे कांग्रेसियों का काम है, हर बात पर राजनीति करना. व्यापम जैसे कांड की कांग्रेस से जांच को प्रभावित करने के लिए षड्यंत्र प्रपंच रचते रहे. सबूत से छेड़छाड़ की इन्हीं कांग्रेसियों पर मामला दर्ज है.

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