Madhav National Park Shivpuri: बुधवार यानी 16 अप्रैल को राजस्थान के रणथंभौर टाइगर रिजर्व में गणेश मंदिर के रास्ते में एक बाघिन ने अपनी दादी के साथ चल रहे 7 साल के बच्चे को उठा लिया और उसे मार दिया. बाघिन काफी देर तक बच्चे के शव पर बैठी रही...ये खौफनाक वारदात ये बताने के लिए काफी है कि बाघ अब न सिर्फ जंगल और शहर के बीच की नाजुक सीमाओं को लांघ रहे हैं बल्कि हिंसक भी हो रहे हैं.
बाघों की ये खतरनाक सक्रियता मध्यप्रदेश के शिवपुरी में मौजूद माधव नेशनल पार्क टाइगर रिजर्व के आसपास भी देखने को मिल रही है. यहां बाघ न सिर्फ नेशनल हाईवे पर बेखौफ घूम रहे हैं बल्कि हमले भी कर रहे हैं. यहीं के मगरौनी थाना क्षेत्र के दिग्वासा गांव में किसी जंगली जानवर ने एक ही रात में 47 भेड़ों का शिकार कर लिया. दूसरे गांव में 10 बकरियों को मार डाला. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं क्या हमने बिना तैयारी के टाइगर रिजर्व बना दिए? क्या अब शहरों का दायरा जंगल की ओर खतरनाक तरीके से बढ़ चुका है?...तमाम सवाल हैं जिनके जवाब ढूंढने की कोशिश हम इस रिपोर्ट में करेंगे...पहले कुछ फैक्ट्स पर निगाह डाल लेते हैं.
मवेशियों को भी घर के अंदर बांध रहे हैं लोग
दरअसल शिवपुरी के माधव नेशनल पार्क को टाइगर रिजर्व का दर्जा तो दे दिया गया लेकिन इसके लिए मुकम्मल तैयारी नहीं की गई. ग्राउंड जीरो से NDTV की रिपोर्ट में कई खुलासे हुए. बता दें कि यहां बीते दिनों टाइगर को नेशनल हाईवे 46 पर सतनवाड़ा के पास सड़क पार करते देखा गया. ये सामान्य बात नहीं है.
माधव नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व में घूमता बाघ
बाघ की तस्वीरें सामने आने के बाद वन विभाग सक्रिय हुआ. आनन-फानन में हाईवे के कॉरिडोर को बंद करने के लिए गेट लगाए गए. लेकिन गेट शायद ही किसी जंगली जानवर को प्रभावी तरीके से रोक पाने में सफल होंगे. इतना नहीं माधव नेशनल पार्क का 2-3 किलोमीटर का इलाका अब भी खुला पड़ा है. जहां से रात के अंधेरे में तेंदुए, भालू और बाघ इंसानी बस्ती में घुस जा रहे हैं. ग्रामीणों के बीच दहशत का ये आलम है कि गांव के लोग अपने मवेशियों को अब घर के अंदर बांध रहे हैं. लोगों की परेशानी ये भी है कि जानवरों के हमले में मरने वाले पालतू जानवरों की कोई सुध नहीं ले रहा है. प्रशासन इसके लिए मुआवजा भी नहीं दे रहा है.
बाघों-इंसानों में छिड़ा अनचाहा युद्ध
स्थानीय लोगों ने बताया कि सिर्फ अप्रैल महीने में ही माधव नेशनल पार्क से सटे गांवों में 5 से ज्यादा हमले दर्ज हो चुके हैं. मगरौनी थाना क्षेत्र के दिग्वासा गांव में जंगली जानवर ने एक ही रात में 47 भेड़ों का शिकार कर लिया. दूसरे गांव में 10 बकरियों को मार डाला. तेंदुए और भालू के हमलों की खबरें अलग-अलग इलाकों से आती ही रहती है. दरअसल माधव नेशनल पार्क के चारों ओर करीब 14 किलोमीटर की घनी रिहायशी बस्ती है. जिसके मद्देनजर यहां बाउंड्री वॉल बनाने की योजना पर काम चल रहा है. टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद भी यहां काम अधूरा पड़ा है. करीब 2 से 3 किलोमीटर का हिस्सा अब भी खुला हुआ है. यही खुलापन जंगल और गांव के बीच संघर्ष को और गहरा बना रहा है. जानकार बताते हैं कि जैसे-जैसे जंगलों पर दबाव बढ़ता है, जानवर अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करने लगते हैं.यही संघर्ष अब इंसानों के दरवाजे पर दस्तक दे रहा है. सवाल ये भी है कि क्या हमने बिना पूरी तैयारी के टाइगर रिजर्व घोषित करके जंगल की पुकार को अनसुना कर दिया? क्या हमने बाघों और इंसानों को एक अनचाहा युद्ध लड़ने के लिए छोड़ दिया है?
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