Madhya Pradesh News in Hindi : जहां एक तरफ नौतपा अपने चरम पर हैं तो वहीं, दूसरी ओर अपनी जिंदगी बचाने के लिए बरसाती नालों पर झिराया बना कर बैंगा समुदाय के लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं. जबकि प्रशासन मध्य प्रदेश में जनमन योजना के तहत विशेष संरक्षित जनजाति का दर्जा प्राप्त समुदायों के लिए पक्के घर, बिजली और साफ पानी की व्यवस्था करने के लिए जोर दें रहा है. मगर अभी तक प्रशासन की तरफ से घर और बिजली तो दूर साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं हो सकी है.
बैगा जनजातीय दूषित पानी पीने को मजबूर
हम बात रहे हैं अनूपपुर जिले के पुष्पराजगढ़ ब्लॉक के ग्राम पंचायत मझगंवा की.... जहां पर भट्ठीबहरा गांव जिसे बैगा गांव के नाम से जाना जाता है. यहां पर 50 घरों के लगभग 300 बैगा जनजातीय की आबादी है. इस बैगा गांव में आज भी पीने के लिए साफ पानी तक की व्यवस्था नहीं है. ग्रामीण अपने से ही जमीनों को खोदकर पानी की व्यवस्था कर रहे हैं. पानी भी ऐसा की आप इसका रंग ही देख कर पीने के लिए मना कर देंगे. पर जिंदगी बचाने के लिए बैंगा समुदाय के लोग यही दूषित पानी पीने को मजबूर है.
जवाब देने से कतरा रहे जिम्मेदार अधिकारी
कहने को तो इस गांव में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तरफ से कई बोरवेल कराए गए है पर सभी बोर बंद पड़े हुए है. यही नहीं, जन-मन योजना के तहत हर घर जल देने के लिए बिना पानी की टंकी बनाए ही घर घर पानी की पाइप लाइन डाल दी गई है जिससे ग्रामीण अपने आप को ठगा महसूस कर रहे है. इस पूरे मामले में जब NDTV ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग से संपर्क किया तो कैमरे के सामने अपना पक्ष रखने से मना कर दिया. जनपद पंचायत पुष्पराजगढ़ के मुख्यकार्यपालन अधिकारी भी कैमरे से बचते नजर आए. लिहाजा, इस गांव की पेय जल समस्या को लेकर अधिकारी ने प्रयास किए हो या नहीं... लेकिन परिणाम आज तक जीरो ही रहा है.
यह भी पढ़ें - Heat Wave: छ्त्तीसगढ़ में जारी है गर्मी का कहर, अधिकांश जिलों में पारा 45 से ऊपर
यह भी पढ़ें - MP Today Weather: MP में 48 डिग्री का टॉर्चर, लू के थपेड़ों से जीना हुआ मुहाल