Supreme Court: जबलपुर के निजी स्कूल संचालकों पर मनमानी फीस वसूलने और पाठ्य-पुस्तक घोटाले के आरोपों में जेल भेजे गए स्कूल संचालकों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. मंगलवार को जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए आरोपियों को जमानत पर रिहा करने आदेश जारी किया. हालांकि राज्य सरकार जांच का हवाला देकर आरोपियो की जमानत का विरोध कर रही थी.
कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार जांच को पूरा करने में असफल रही
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि राज्य सरकार मामले की जांच को गंभीरता से पूरा करने में असफल रही है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के जमानत के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने अन्य स्कूल संचालकों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए.
हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे आरोपी
गौरतलब है इससे पहले, अधीनस्थ अदालत और हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद स्कूल संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, वरुण तन्खा और हर्षित बारी ने स्कूल संचालकों की ओर से पैरवी की और करीब दो महीने बाद स्कूल संचालकों की रिहाई संभव हुई.
स्कूल संचालकों पर लगा था नियमों के उल्लंघन का आरोप
सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी में तर्क दिया गया कि निजी स्कूलों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए फीस में अनियंत्रित वृद्धि की और पुस्तक विक्रेताओं के साथ मिलकर अभिभावकों को एक विशेष दुकान से किताबें और कॉपियां खरीदने के लिए मजबूर किया गया था.
स्कूल संचालकों की गिरफ्तारी से उजागर हुई थी बड़ी गड़बड़ी
उल्लेखनीय है जिले के निजी स्कूल संचालकों द्वारा फीस में अनियमित वृद्धि और अन्य अनियमितताओं के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी. स्कूल संचालकों की गिरफ्तारी ने शिक्षा क्षेत्र में चल रही इन गड़बड़ियों उजागर किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की जांच प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए आरोपियों को जमानत दे दिया है.
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