विज्ञापन

ये आतंकी नहीं, जिन्हें जमानत से वंचित रखा जाए, सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें क्या है पूरा मामला?

Jabalpur Private School Operator Got Bail: स्कूलों में मनमानी फीस वसूली मामले में जेल में बंद स्कूल संचालकों को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति नागारत्ना और न्यायमूर्ति कोटेश्वर की युगलपीठ ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि आरोपी स्कूल संचालक आतंकी नहीं हैं, जिन्हें जमानत से वंचित रखा जाए.

ये आतंकी नहीं, जिन्हें जमानत से वंचित रखा जाए, सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें क्या है पूरा मामला?
फाइल फोटो

Supreme Court: जबलपुर के निजी स्कूल संचालकों पर मनमानी फीस वसूलने और पाठ्य-पुस्तक घोटाले के आरोपों में जेल भेजे गए स्कूल संचालकों को सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. मंगलवार को जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने मध्य प्रदेश सरकार को फटकार लगाते हुए आरोपियों को जमानत पर रिहा करने आदेश जारी किया. हालांकि राज्य सरकार जांच का हवाला देकर आरोपियो की जमानत का विरोध कर रही थी.

स्कूलों में मनमानी फीस वसूली मामले में जेल में बंद स्कूल संचालकों को जमानत देते हुए न्यायमूर्ति नागारत्ना और न्यायमूर्ति कोटेश्वर की युगलपीठ ने राज्य सरकार के रवैये पर नाराजगी जाहिर की. कोर्ट ने कहा कि आरोपी स्कूल संचालक आतंकी नहीं हैं, जिन्हें जमानत से वंचित रखा जाए.

कोर्ट ने कहा, राज्य सरकार जांच को पूरा करने में असफल रही

सुप्रीम कोर्ट ने जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान प्रदेश सरकार पर भी सवाल उठाए और कहा कि राज्य  सरकार मामले की जांच को गंभीरता से पूरा करने में असफल रही है. बता दें, सुप्रीम कोर्ट के जमानत के आदेश के बाद हाईकोर्ट ने अन्य स्कूल संचालकों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए. 

हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे थे आरोपी

गौरतलब है इससे पहले, अधीनस्थ अदालत और हाई कोर्ट से कोई राहत नहीं मिलने के बाद स्कूल संचालकों ने सुप्रीम कोर्ट में जमानत की अर्जी दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा, वरुण तन्खा और हर्षित बारी ने स्कूल संचालकों की ओर से पैरवी की और करीब दो महीने बाद स्कूल संचालकों की रिहाई संभव हुई. 

सरकार ने अपनी सुनवाई के दौरान दलील में कहा कि जिला प्रशासन की जांच में जबरन फीस वृद्धि के तथ्य सामने आए थे, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज कर स्कूल संचालकों, प्रिंसिपल व अन्य स्टाफ को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश  किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया था.

स्कूल संचालकों पर लगा था नियमों के उल्लंघन का आरोप

सुप्रीम कोर्ट में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पैरवी में तर्क दिया गया कि निजी स्कूलों ने नियमों का उल्लंघन करते हुए फीस में अनियंत्रित वृद्धि की और पुस्तक विक्रेताओं के साथ मिलकर अभिभावकों को एक विशेष दुकान से किताबें और कॉपियां खरीदने के लिए मजबूर किया गया था.

स्कूल संचालकों की गिरफ्तारी से उजागर हुई थी बड़ी गड़बड़ी

उल्लेखनीय है जिले के निजी स्कूल संचालकों द्वारा फीस में अनियमित वृद्धि और अन्य अनियमितताओं के कारण उनके खिलाफ कार्रवाई की गई थी. स्कूल संचालकों की गिरफ्तारी ने शिक्षा क्षेत्र में चल रही इन गड़बड़ियों उजागर किया था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की जांच प्रक्रिया पर गंभीर प्रश्न उठाते हुए आरोपियों को जमानत दे दिया है.

ये भी पढ़ें-नितिन गडकरी को उनके ही दफ्तर में रोड मैप समझाने लगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, इंटरनेट पर वायरल हो रही तस्वीर!

(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)

MPCG.NDTV.in पर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें. देश और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं. इसके अलावा, मनोरंजन की दुनिया हो, या क्रिकेट का खुमार,लाइफ़स्टाइल टिप्स हों,या अनोखी-अनूठी ऑफ़बीट ख़बरें,सब मिलेगा यहां-ढेरों फोटो स्टोरी और वीडियो के साथ.

फॉलो करे:
NDTV Madhya Pradesh Chhattisgarh
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
शिवराज मामा के बड़े बेटे की इस दिन होगी सगाई, कार्तिकेय-अमानत की जोड़ी के लिए केंद्रीय मंत्री ने मांगा आशीर्वाद
ये आतंकी नहीं, जिन्हें जमानत से वंचित रखा जाए, सुप्रीम कोर्ट ने किसे लगाई फटकार, जानें क्या है पूरा मामला?
public representatives who saved the lives of 42 children were honored on the initiative of the CM, but no action has been taken against the responsible officers
Next Article
Dhar News: 42 बच्चों की जान बचाने वालों का हुआ सम्मान, पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कौन मेहरबान!
Close