MP के छतरपुर में कचरा डंपिंग के लिए ज़मीन नहीं, गंदगी के अंबार से इलाके का हाल बदहाल 

छतरपुर नगर पालिका के आसपास करीब 40 बाड़ों में 2 लाख आबाद रहती है. ऐसे में शहर से प्रतिदिन 30 से 32 टन सूखा और गोला कचरा कार्य के बाद जमा किया जाता है लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में निकलने वाले कचरे की डंपिंग को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है. मामले को लेकर नगरपालिका का भी ढूल-मूल रवैया नज़र आ रहा है. 

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MP के छत्तरपुर में कचरा डंपिंग के लिए ज़मीन नहीं, गंदगी के अंबार से इलाके का हाल बदहाल 

छतरपुर नगर पालिका के आसपास करीब 40 बाड़ों में 2 लाख आबाद रहती है. ऐसे में शहर से प्रतिदिन 30 से 32 टन सूखा और गोला कचरा कार्य के बाद जमा किया जाता है लेकिन इतनी बड़ी मात्रा में निकलने वाले कचरे की डंपिंग को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है. मामले को लेकर नगरपालिका का भी ढूल-मूल रवैया नज़र आ रहा है. इस कारण शहर से निकलने वाला कचरा गाड़ियों की मदद से इकठ्ठा करके खुले में फेंका जा रहा है. छत्तरपुर के CM राइज स्कूल के पास बनी गौशाला की ज़मीन हर तरफ कचरे से पटी हुई नज़र आ रही है. इससे आसपास का इलाका प्रदूषित हो रहा है. वहां पर रहने वाले लोग बदबू से बहुत परेशान हैं.  

आसपास की ज़मीन में दबाया जा रहा कचरा 

कचरा प्रबंधन की मशीनें अन्य सामान की खरीदी तो गई, लेकिन यह पूरी मशीनरी रखे-रखे जंग खा गई है. प्रशासन की तरफ से डंपिंग के लिए कदम नहीं उठाया जा रहा है. कचरे के ढेर को कम करने के लिए नगर पालिका कर्मचारी कचरे को आग के हवाले कर देते हैं.  इसके चलते यहां दूषित धुएं का गुबार उठता रहता हैं. साथ ही यहां पड़ी प्लास्टिक को जानवर खाते हैं जिससे उनमें भी बीमारी फैलने का खतरा बना रहता है. नगर पालिका कर्मचारी रात के समय कचरा गाड़ी को खाली कर देते हैं इससे इन जगहों पर कचरे के ढेर लगे नजर आते हैं.

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अस्पताल व प्रशासन की लापरवाही का नज़ारा 

शहर के कुछ जगहों को छोड़ दे तो यहां ज़्यादातर नालियों में कचरा पड़ा रहता है. मरीजों को इंजेक्शन लगाने के बाद सिरिंज, रुई, कैंची आदि कहीं भी फेंक दिया जाता है. नशेड़ी भी नशे के इंजेक्शन लगाने के लिए इन सिरिंज का इस्तेमाल कर सकते हैं. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही किसी की जान पर भारी पड़ सकती है.  मेडिकल कचरे को खुले में फेंका जा रहा है. इसमें  खून से सनी सुई, ग्लब्स वगैरह शामिल है. ऐसे में संक्रमण फैलने का भी खतरा रहता है. छत्तरपुर ज़िले में एक-दो निजी अस्पताल और सरकारी अस्पताल को छोड़ कर ज़्यादातर अस्पताल नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं. 

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