खेती और सब्जियों के लिए वरदान साबित हो रही कापन मिट्टी, यहां लगता है खास बाजार

Organic Farming Balaghat : आपने हमेशा सब्जियां खरीदने के लिए बाजार ही गए होंगे. लेकिन क्या कभी खेत में सब्जी खरीदने गए . शायद नहीं!  लेकिन बालाघाट जिले में एक गांव है, जहां पर नदी किनारे ही सब्जियों का बाजार लगता है. यहां पर आने-जाने वाले लोगों को सब्जियों सुगंध अपनी तरफ आकर्षित करता है. 

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MP News In Hindi : मध्य प्रदेश के बालाघाट में एक ऐसा गांव है, जहां नदी किनारे सब्जियों का बाजार लगता है. ताजी और पोषण से युक्त ऐसी सब्जियों का सेवन करने का आनंद ही कुछ और है. खास बात ये है कि ये सब्जियां कापन मिट्टी में उगाई जाती हैं, जैविक तरीके से. दरअसल,  बालाघाट के मुर्री गांव में बालाघाट-किरनापुर रोड पर सब्जियों का बाजार लगता है. दरअसल, मुर्री गांव की देव नदी के किनारे पर कछार बाड़ी में सब्जियां उगाई जाती हैं. आपको बता दें कि कछार का मतलब वह मैदान, जो बाढ़ से आई मिट्टी से तैयार होता है. वहीं, सब्जियों को दोपहर में तोड़ा जाता है और तुरंत ही पल के ऊपर  बाजार लगता है. ताजी और हरी सब्जियां बेची जाती हैं. इन सब्जियों की सुगंध से यहां से गुजरने वाले लोग आकर्षित होते हैं. और यहां की ताजी सब्जियां हाथों-हाथ बिक जाती हैं. यह बाजार हर दिन दोपहर के बाद लगता है.

मिलती हैं ये सब्जियां 

बालाघाट में बैगन को काफी पसंद किया जाता है. ऐसे में यहां पर साल भर बैगन बिकते हैं. साथ ही खरीदार भी बड़े चाव इस सब्जी को खरीदते हैं. इसके अलावा देशी टमाटर, आलू और दूसरी सीजनल सब्जियां यहां पर मिलती है. इसके अलावा भिंडी, ग्वार फली, बरबटी, सेमी, पोपट सहित दूसरी सब्जियां यहां पर मिलती है. भाजियों में लाल भाजी और चौलाई भाजी लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करती है.

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कछारी मिट्टी में होती है सब्जियों की खेती

यहां पर जो सब्जियां उगती है, वो बेहद खास है. दरअसल, देव नदी के किनारे पर बाढ़ से आई मिट्टी आती है, उसे कापन मिट्टी कहते हैं. इसमें सामान्य मिट्टी की तुलना में काफी अलग होती है, जिसमें पोषक तत्व काफी ज्यादा मात्रा में पाया जाता है. ऐसे में यहां पर जब सब्जी की खेती होती है, तब रासायनिक उर्वरक तो दूर जैविक खाद भी नहीं दिया जाता. ऐसे में यह सब्जियां दूसरे बाजार में आई सब्जियों से कई ज्यादा पौष्टिक और स्वादिष्ट होती है.

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