NDTV World Summit 2025: वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल रीजनल सीईओ सचिन जैन ने NDTV वर्ल्ड समिट 2025 के मंच पर कहा कि भारत में सोना सामाजिक ताने-बाने का एक अभिन्न अंग है. जैन ने कहा, 'सोने ने सबसे महत्वपूर्ण और अचल सुरक्षा के रूप में काम किया है. हमने राजे-रजवाड़ों, राजकोषों और मंदिरों में सोने के किस्से देखे हैं. भारत में सोना सामाजिक ताने-बाने का एक अभिन्न अंग रहा है. हम सभी आर्थिक या भौगोलिक स्तर की परवाह किए बिना सोने का उपभोग करते हैं. सचिन जैन ने कहा, 'गोल्ड काउंसिल में हम सोने के एक्सपर्ट हैं. सोना वर्षों से शाश्वत रूप से प्रभावशाली रहा है. यह केवल एक सुस्त परिसंपत्ति वर्ग नहीं है, बल्कि एक ऐसा परिसंपत्ति वर्ग है, जिसने इस उतार-चढ़ाव भरे दौर में भी अभूतपूर्व प्रदर्शन किया है.
सोना हर दौर में निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद
एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 (NDTV World Summit) के दूसरे सत्र में वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के रीजनल सीईओ सचिन जैन ने कहा कि सोना सिर्फ एक 'स्लीपी एसेट क्लास' नहीं है, बल्कि समय के हर उतार-चढ़ाव में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाला निवेश साधन है. उन्होंने गोल्ड को 'टाइमलेस हेज' बताया. कहा कि सोना हर दौर में निवेशकों के लिए एक भरोसेमंद 'हेज' यानी सुरक्षा कवच साबित हुआ है.
सचिन जैन ने बताया कि मौजूदा समय में सोने का उपयोग अलग-अलग रूपों में हो रहा है. उन्होंने कहा, 'करीब 74% वार्षिक सोने की खपत विकासशील बाजारों जैसे चीन, भारत और मिडिल ईस्ट से आती है. वहीं करीब 20% खपत सेंट्रल बैंकों और उन देशों से होती है जो अपनी आर्थिक ताकत बढ़ा रहे हैं. करीब 33% सोने की खपत आभूषणों में होती है, जबकि 7% सोना तकनीकी क्षेत्र में इस्तेमाल होता है.'
सोना सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि एक परंपरा और सामाजिक प्रतीक
सचिन जैन ने कहा कि भारत में सोना सिर्फ निवेश नहीं, बल्कि एक परंपरा और सामाजिक प्रतीक है. उन्होंने कहा, 'भारत में सोना हमारी सामाजिक बुनावट का हिस्सा है. चाहे कोई भी आर्थिक या भौगोलिक वर्ग हो, हर कोई किसी न किसी रूप में सोने का उपभोग करता है. यह केवल आर्थिक संपत्ति नहीं, बल्कि भावनात्मक और सांस्कृतिक मूल्य से भी जुड़ा है.'
जैन ने आगे कहा कि जब दुनिया में भू-राजनीतिक समीकरण लगातार बदल रहे हैं और देश अपनी रणनीतियों को नए सिरे से गढ़ रहे हैं, तब सोना एक 'फंडामेंटल ग्रोथ ड्राइवर' के रूप में उभर रहा है. उन्होंने कहा, 'आज देश अलग-अलग तरह से व्यवहार कर रहे हैं, उनकी प्राथमिकताएं बदल रही हैं. आने वाले वर्षों में सोना इस वैश्विक आर्थिक बदलाव की बुनियाद बनेगा.' जैन ने साफ संदेश दिया, 'सोना न सिर्फ एक पुरानी परंपरा है, बल्कि भविष्य की आर्थिक सुरक्षा का भी स्तंभ है.' सचिन जैन ने यह भी स्पष्ट किया कि सोने को अब केवल 'पारंपरिक या निष्क्रिय निवेश' की तरह देखने का समय खत्म हो चुका है. उन्होंने कहा, 'सोना वह एसेट क्लास है जिसने हर अस्थिर माहौल में अपने मूल्य को साबित किया है -चाहे वह वित्तीय संकट का दौर हो, महामारी का समय हो या भू-राजनीतिक तनाव. यह निवेशकों के पोर्टफोलियो में स्थिरता लाने वाला 'एंकर' बन चुका है.'
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