MP में स्थायी टीचर्स की भर्ती नहीं, एक लाख से ज्यादा अतिथि शिक्षकों से करायी जा रही पढ़ाई, HC ने मांगा जवाब

Teacher Recruitment: एडवोकेट प्रतीप विसोरिया ने कोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश में 1 लाख 70 हजार अतिथि शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. जबकि लम्बे समय से सरकार ने इन स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद नहीं भरे हैं. इससे शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है.

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Madhya Pradesh Teacher Recruitment: मध्यप्रदेश सरकार (Madhya Pradesh Government) शिक्षा व्यवस्था (Education System) में गुणात्मक सुधार करने के बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन हकीकत क्या है? यह कुछ आंकड़े बयां करते हैं. सरकार स्कूलों में रिक्त पड़े (Vacant Teacher Posts) और जरूरत के मुताबिक शिक्षकों के पदों पर भर्ती (Teacher Recruitment Process) ही नहीं कर रही है. इनके स्थान पर 1 लाख 70 हजार अतिथि शिक्षकों (Guest Teachers in MP) को भर्ती करके उन्हीं से काम चला रही है. इस अव्यवस्था के खिलाफ़ मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (Madhya Pradesh High Court) की ग्वालियर खंडपीठ (Gwalior Bench) में एक जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट (HC) ने भी सवाल उठाये और सरकार और शिक्षा विभाग (Education Department) को नोटिस (High Court Notice) जारी किए.

किसने याचिका लगाई? 

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खण्डपीठ में याची पूजा पालीवाल की तरफ से इस मामले में एक जनहित याचिका दायर की गई है. इसमें मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूलों में अतिथि शिक्षकों की बढ़ती संख्या और रेगुलर शिक्षकों की भर्ती न करने का मुद्दा उठाया गया है.

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याचिका के जरिये कोर्ट को बताया गया है कि नियमित शिक्षकों के खाली पदों को भरने की जगह सरकार शिक्षा व्यवस्था से खिलबाड़ करते हुए अतिथि शिक्षकों की भर्ती करने में जुटी है.

इसका खामियाजा शासकीय विद्यालयों में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ रहा है. शिक्षा का स्तर लगातार गिर रहा है.

वकील ने क्या कहा?

याचिका पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से पैरवी करते हुए एडवोकेट प्रतीप विसोरिया ने कोर्ट को बताया कि मध्यप्रदेश में 1 लाख 70 हजार अतिथि शिक्षक सरकारी स्कूलों में पढ़ा रहे हैं. जबकि लम्बे समय से सरकार ने इन स्कूलों में शिक्षकों के रिक्त पद नहीं भरे हैं. इससे शिक्षा व्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हो रही है. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस मामले पर सरकार की व्यवस्था पर सवाल उठाए और मध्यप्रदेश शासन व आयुक्त लोक शिक्षण संचालनालय को नोटिस जारी करने के आदेश दिए.

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