Madhya Pradesh Cops Suspended: मध्य प्रदेश के पांच जिलों के 25 पुलिस कॉन्स्टेबल को बैंड न बजाने पर निलंबित कर दिया गया. कॉन्स्टेबल ने 15 अगस्त की परेड के लिए बैंड प्रशिक्षण में जाने से मना कर दिया था. ये निलंबित पुलिस कॉन्स्टेबल मंदसौर, रायसेन, खंडवा, हरदा और सीधी के शामिल हैं. वहीं निलंबित किए गए जबलपुर और ग्वालियर के कई पुलिस कॉन्स्टेबल ने हाई कोर्ट की शरण ली थी. हालांकि ग्वालियर बेंच के फैसले के बाद एक अगस्त को जबलपुर के 3 कॉन्स्टेबलों ने अपनी याचिका वापस ले ली है.
ग्वालियर बेंच ने याचिकाओं पर की तल्ख टिप्पणी
दरअसल, निलबंन के आदेश के बाद कई कॉन्स्टेबलों ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की जबलपुर और ग्वालियर बेंच में याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया कि उन्होंने पुलिस बैंड में शामिल होने के लिए न तो अपनी सहमति दी थी, न ही उन्होंने इस संबंध में कोई आवेदन दायर किया था. वो कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में रुचि रखते हैं. हालांकि इस बीच हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने याचिका को निरस्त कर दिया था. साथ ही न्यायमूर्ति आनंद पाठक की एकलपीठ ने इन याचिकाओं पर तल्ख टिप्पणी की.
जबलपुर के 3 कॉन्स्टेबल ने वापस लीं याचिकाए
ग्वालियर बेंच ने कहा कि जब जनता उन्हें सांस्कृतिक और औपचारिक कार्यक्रमों में आमंत्रित करती है तो पुलिस बैंड महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. कोर्ट ने कहा कि पुलिस प्रशिक्षण को निरंतर कौशल संवर्धन कार्यक्रम के रूप में माना जा सकता है, इसलिए याचिकाकर्ताओं से पहले से सहमति लेने की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने आगे कहा कि पुलिस एक अनुशासित बल है और इसलिए याचिकाकर्ताओं यह दलील नहीं दे सकते कि वो अपनी सहमति के अनुसार कर्तव्यों का पालन करने के हकदार हैं. वहीं कोर्ट के इस फैसले के बाद जबलपुर के तीन पुलिस कॉन्स्टेबलों ने अपनी याचिका वापस ले ली है.
स्वतंत्रता दिवस समारोह की रिहर्सल में शामिल होने से किया था मना
बता दें कि इन सभी को स्वतंत्रता दिवस समारोह की रिहर्सल में शामिल होने के लिए कहा गया था. आदेश का पालन न करने पर निलंबन आदेश जारी किया गया, जिसमें लिखा गया है कि गुस्ताख पुलिस कॉन्स्टेबलों एसपी की अनुमति के बिना मुख्यालय नहीं छोड़ेंगे. नियमों के अनुसार हाजिरी दर्ज कराएंगे. आदेश में ये भी कहा गया कि सस्पेंशन अवधि के दौरान सिपाही नियमों के अनुसार गुजारा भत्ता के हकदार होंगे.
कॉन्स्टेबलों ने तर्क दिया था कि पुलिस बैंड के हिस्से के रूप में उनके नाम का उल्लेख करने वाला आदेश अवैध था. इसके बारे में हमारी राय नहीं ली गई. हमें सीनियर अधिकारियों का दबाव झेलना पड़ रहा है. वहीं पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा कि कॉन्स्टेबलों से पहले लिखित सहमति मांगी गई थी, लेकिन किसी ने भी सहमति नहीं दी, जिसके कारण एक सामान्य नोटिस जारी किया गया.