MP News: कोर्ट की कार्यवाही में 'तारीख पर तारीख' का जुमला अक्सर सुनने को मिलता है. ग्वालियर कोर्ट (Gwalior Court) में सुनवाई के दौरान एक 71 साल की आरोपी महिला ने कोर्ट में कहा कि सर केस लड़ते-लड़ते थक गई हूं... दरअसल, महिला की पीड़ा तब बाहर आ गयी, जब उसके मामले में 11 साल बाद सुनवाई शुरू हुई, तो मजिस्ट्रेट ने केस को ट्रायल कोर्ट (Trial Court) में भेजने का आदेश दे दिया. इससे दुखी आरोपी ने कहा कि सर अब मैं केस लड़ते लड़ते थक गई हूं. मैं आरोप स्वीकार करती हूं. महिला की उम्र और उसकी पीड़ा को देखते हुए कोर्ट ने एक दिन की सज़ा और दस हजार का जुर्माना लगाकर केस का फैसला तुरंत ही सुना दिया.
गांजा से जुड़ा था केस
अपर लोक अभियोजक धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि 5 अगस्त 2013 को ग्वालियर पुलिस ने बादामी बाई नामक महिला के गौशपुरा हजीरा स्थित घर से 1 किलोग्राम गांजा जब्त किया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार, तत्कालीन थाना प्रभारी देवेंद्र सिंह सेंगर को सूचना मिली थी कि बादामी बाई अपने घर में अवैध तरीके से गांजा रखे हुए है. पुरानी छावनी पुलिस ने छापा मारकर गांजा जब्त किया और बादामी को हिरासत में लिया. तौलने पर गांजा 950 किलोग्राम निकला. इसलिए मामले की ट्रायल मजिस्ट्रेट कोर्ट में हुई.
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने दिया ट्रायल सौंपने का आदेश
पुलिस ने 11 सितम्बर 2013 को इस अपराध में मजिस्ट्रेट कोर्ट में चालान पेश किया. 11 साल तक इस मामले का ट्रायल मजिस्ट्रेट कोर्ट में चलता रहा. लेकिन, जब ट्रायल के दौरान तौल पंचनामा देखा गया, तो पता चला कि ज़ब्त किये गए गांजे का कुल वजन एक किलो (बैग सहित) था. इस आधार पर मजिस्ट्रेट कोर्ट ने केस को सुनवाई के लिए ट्रायल सौंपने का आदेश दिया. इससे 71 साल की बादामी दुखी हो गई. उसे चलने फिरने में दिक्कत होती है. उसके लिए बार-बार कोर्ट के चक्कर लगाना सम्भव नहीं है. इसलिए एनडीपीएस की विशेष अदालत में आरोपी महिला ने कोर्ट से कहा -जज साहब, 11 साल मजिस्ट्रेट कोर्ट में 950 ग्राम गांजा का केस लड़ा. अब मामला वहां से यह कहते हुए विशेष न्यायालय एनडीपीएस भेज दिया गया कि ज़ब्त किये गांजे की मात्रा 1 किलो है. मुझे पुलिस द्वारा लगाए आरोप स्वीकार हैं. बोलते बोलते महिला भावुक हो गई.
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महिला की पीड़ा के आधार पर कम कर दी गई सजा
आखिरकार विशेष अदालत ने केस की परिस्थितियां और आरोपी महिला की आयु को देखते हुए गुरुवार को आरोपी बादामी बाई को एक दिन के कारावास की सजा दी और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाकर केस का फैसला सुनाया. महिला को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया, जहां से शुक्रवार को एक दिन की सजा पूरी होने के बाद उसे रिहा किया जाएगा.
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