
MP Farmers New Technique: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में आजकल मौसम किसी की समझ से परे हैं. कुछ जिलों में बारिश तो कुछ में तेज लू और गर्मी की मार देखने को मिल रही है. खरगोन (Khargone) जिले में पपीता और केले का उत्पादन बड़ी मात्रा में होता है. यहां पड़ने वाली गर्मी भी झुलसा देने वाली होती है. इसी के चलते अब यहां के किसान नई तकनीक अपना रहे हैं. गर्मी में बोई जाने वाली पपीता और केले (Papaya and Banana) की फसलों के बचाव के लिए क्राफ्ट कपड़े (Craft Cloth) से पौधे को ढक कर तेज धूप में बचाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही, अपनी फसलों के पास सन का पौधा लगाकर भी तापमान कम करने का प्रयास कर रहे हैं.
फसल को नुकसान पहुंचाती है गर्म हवाएं
अप्रैल और मई के महीने में निमाड़ में बहुत अधिक गर्मी पड़ती है. गर्मी में बोई गई फसलों को भी काफी नुकसान होता है. तेज गर्म हवा केले और पपीता की फसल को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे पौधों की नमी कम हो जाती है और पौधे मुरझाकर सूखने लग सकते हैं.

किसान ने बताया अपने फसल को बचाने का उपाय
ऐसे में इस गर्मी में केले पपीता की फसल को बचाने के लिए किसान पौधों के चारों तरफ क्राफ्ट कपड़े से ढक कर पौधों की आधुनिक तरीके से सुरक्षा कर रहे है. गर्मी के मौसम में फसलों को क्राफ्ट कपड़े से ढक कर खेती करने का चलन निमाड़ में बढ़ रहा है.
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विदेशों में भी किया जाता है एक्सपोर्ट
निमाड़ के पपीता और केले की फसल की बात करें, तो इन दोनों की भारत के अन्य राज्यों में और विदेशों में भी अच्छी डिमांड होती है. यहां गर्मी के मौसम में नर्मदा नदी से बहने वाली नहरों से फसलों को सिंचित किया जाता है. निमाड़ के किसान अपने खेत में पपीता के पौधे को लू लगने से बचाने के लिए विशेष इंतजाम किए हैं. निमाड़ में गर्मी का तापमान 46 डिग्री तक पहुंच जाता है.
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