MP News : हाथ में जूता, नंगे पैर कीचड़ की सड़क से स्कूल जाने की जद्दोजहद, ऐसे में कैसे होगा भविष्य उज्जवल ?

Vidisha News in Hindi : देश की सियासत हो या प्रदेश की बड़ी आस्था मध्य प्रदेश का विदिशा जिला सबको समाहित करके रखता है पर सिस्टम और सियायत की नाकामी ने इस विदिशा को ही दिशाहीन कर दिया.

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हाथ में जूता, नंगे पैर कीचड़ की सड़क से स्कूल जाने की जद्दोजहद, ऐसे कैसे होगा भविष्य उज्जवल ?

MP News in Hindi : देश की सियासत हो या प्रदेश की बड़ी आस्था मध्य प्रदेश का विदिशा जिला सबको समाहित करके रखता है पर सिस्टम और सियायत की नाकामी ने इस विदिशा को ही दिशाहीन कर दिया. आज जिले भर की शिक्षा व्यवस्था वेंटीलेटर पर पहुंच चुके है. जिले के करीब 49 स्कूल भवन पूरी तरह तो जर्जर हो ही गए हैं... तो ज़्यादातर गांव वाले अंचलों के स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क भी नसीब नहीं हो पाई है. आलम ऐसा है कि नौनिहाल यानी कि वर्तमान में देश का भविष्य हाथो में जूते लेकर अपना भविष्य संवारने को मजबूर है.

स्कूल के बिल्डिंग टूटने की कगार पर पहुंचे

ग्यारसपुर तहसील के तहत आने वाली ग्राम पंचायत चक पाटनी के गांव चक में बने हायर सेकेंड्री स्कूल के बिल्डिंग की हालत इस समय बहुत खराब है. आलम यह है कि भवन के अंदर कई जगहों से बारिश का पानी आ जाता है स्कूल में पढने वाले छात्र-छात्राएं बिल्डिंग के अंदर बैठकर पढ़ाई तक नहीं कर पा रहे हैं. इस बारिश के दौर में मजबूरन बच्चों को एक टीनशेड के अंदर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है. वहीं, स्कूल जाने वाले रास्ते की हालत भी ठीक नहीं है.

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दलदल में से होकर गुज़रती स्कूल की सड़क

इतना ही नहीं, स्कूल पहुंचने के लिए बच्चो को दलदल जैसे रास्तों को पार करना पड़ता है. स्कूली छात्रों और उनके परिजनों ने शासन से सड़क को ठीक किए जाने और स्कूल भवन की मरम्मत कराए जाने की मांग की है. जिला मुख्यालय से सटी तहसील ग्यारसपुर के अंदर आने वाली ग्राम पंचायत के गांव चक में ग्रामीण इलाकों के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करने के लिए हायर सेकेंड्री स्कूल बनाया गया है. लेकिन इस स्कूल के भवन और स्कूल जाने वाले रास्ते की हालत इस बारिश के समय में बहुत खस्ता हाल है.

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छात्र बोले - सर, बारिश में कैसे आएं स्कूल ?

स्कूल के छात्रों ने बताया कि हम सभी छात्र आस पास के गांव से पढ़ाई करने के लिए स्कूल में आते हैं. लेकिन इस बारिश के समय में हम सभी भवन में बैठकर पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. क्योकि हमारे स्कूल का भवन अंदर से जगह-जगह से टपक रहा है, जिससे कक्षाओं में बैठकर पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं. वहीं स्कूल जाने वाले रास्ते पर कीचड़-कीचड़ हो रही है. इस रास्ते से गाड़ियां तक नहीं निकल पा रही है. केवल ट्रेक्टर ही निकल सकता है. लेकिन हम सभी कीचड़ के बीच से होकर स्कूल जाना पड़ता है. कई बार शिक्षकों ने और हम सभी ने स्कूल भवन और सड़क को ठीक किये जाने की मांग की है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं होती.

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पूर्व विधायक ने दी मरम्मत कराने राशि

वहीं, गांव वालों ने बताया कि स्कूल जाने वाला रास्ता करीब तीन किलो मीटर का है. इस रास्ते का निर्माण करीब दस साल पहले RES विभाग की तरफ से किया गया था. ग्रामीणों ने बताया कि पूर्व विधायक लीना जैन ने इस रास्ते को ठीक करने के लिए अपनी निधि से 50 हजार रुपए दिये थे, जिससे रोड पर कोपरा पटकवा दिया था. लेकिन उसके बाद रोड की हालत खराब हो गई है. इस रास्ते से दो पहिया गाड़ी, चार पहिया गाड़ियां नहीं निकल पाती हैं. सिर्फ ट्रेक्टर निकल पाता है. मजबूरी में स्कूल के बच्चों को कीचड़ के बीच से होकर गुजरना पड़ता है और यह समस्या आज की नहीं है. ये तो कई सालों से चली आ रही है.

आश्वासन के अलावा अब तक कुछ नहीं मिला

कई बार विधायक से लेकर अनेकों जनप्रतिनिधियों से सड़क को मांग कर चुके हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों द्वारा आश्वासन ही मिलते हैं और उसका निराकरण नहीं हो पाता. इससे साफ सिद्ध होता है कि बच्चों के भविष्य के प्रति नागरिक कितने चिंतित हैं.

महज़ आठ साल में हुआ स्कूल पूरी तरह क्षतिग्रस्त

स्कूल से मिली जानकारी के मुताबिक, साल 2016 में हायर सेकेंड्री स्कूल का नया भवन स्कूल को मिला था. लेकिन करीब 8 साल में ही ये बिल्डिंग कई जगह से क्षतिग्रस्त हो गई है. हालत ये हैं कि इस बारिश के दौर में छात्र इस बिल्डिंग के अंदर बैठकर पढ़ाई तक नहीं कर पा रहे हैं, क्योकि सभी कक्षाओं में पानी टपक रहा है.

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मामले को लेकर स्कूल प्राचार्य की यह है दलील

स्कूल के छात्र बाहर टीनशेड के अंदर बैठकर पढ़ाई कर रहे हैं. लेकिन स्कूल के आसपास पानी भरा होने के कारण टीनशेड में भी पानी भरा रहा है. छात्रों को पानी के बीच टेवल कुर्सी लगाकर पढ़ाई करनी पड रही हैं. स्कूल प्राचार्य आशा शर्मा कहती हैं स्कूल जाने वाले रास्ते और स्कूल भवन की हालत के संबंध वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है. सड़क का निर्माण RES विभाग ने किया था.

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