Gwalior Municipal Corporation News: ग्वालियर नगर निगम में कर्मचारियों की चल रही मनमानी (Arbitrariness of Employees) पर मंगलवार को निगम परिषद ने बड़ा फैसला लिया. ग्वालियर नगर निगम परिषद की कार्यवाही (Proceedings of Gwalior Municipal Corporation Council) के दौरान सभापति (Chairman) ने सभी कर्मचारियों को मूल पद पर रहने के आदेश दिए. सभापति के इस आदेश के बाद ग्वालियर नगर निगम के कर्मचारियों (Employees of Gwalior Municipal Corporation) में हड़कंप मच गया. दरअसल, नगर निगम ग्वालियर के कर्मचारियों ने अपनी मनमानी करते हुए नियम के विरुद्ध जाकर खुद की ही पदोन्नति कर ली. इन कर्मचारियों ने नेता, मंत्री और अफसरों से जुगाड़ लगाकर मलाईदार पदों पर खुद को काबिज कर लिया. ग्वालियर में पिछले 6 महीने से यह मुद्दा गरमाया हुआ है. जिसमें निगम परिषद ने आज मंगलवार को एक्शन लिया.
कर्मचारियों ने खुद की पदोन्नति की
दरअसल, ग्वालियर नगर निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों ने नियम की अवहेलना करते हुए खुद को ही प्रमोट कर लिया था. जिसके बाद निगम के बाबू इंजीनियर बन गए, क्लर्क जोनल ऑफिसर बन गए और इंजीनियर उपायुक्त बन गए. वहीं निगम में जो कर्मचारी दूसरे विभागों से आए हैं, उनमें से दो दर्जन से ज्यादा अफसर दागी हैं. ऐसे में निगम परिषद ने मंगलवार को बड़ा फैसला लेते हुए कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगा दी है. जिसके बाद कर्मचारियों का एक पद प्रमोशन ही हो सकेगा और जिन पदों पर नियुक्ति की गई है वह कर्मचारी उसी पदों पर बैठेगा.
बीजेपी पार्षद के बयान पर हुआ हंगामा
ग्वालियर नगर निगम में पार्षदों की बैठक में लगातार यह मामला तूल पकड़ा हुआ था. बैठक में बीजेपी पार्षद ब्रजेश श्रीवास ने निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में चोर, सरगना और जेबकतरा जैसे शब्दों का प्रयोग भी किया था. इस मामले की शिकायत ग्वालियर संभागायुक्त दीपक सिंह से की गई थी. जिसके बाद मंगलवार को पार्षद ब्रजेश श्रीवास ने परिषद शुरू होने के बाद नगर निगम के अधिकारियों को जमीन पर लेटकर दंडवत प्रणाम किया और माफी मांगी. साथ ही उन्होंने कहा कि ये मुहावरा है, लेकिन ये सच है. निगम के कर्मचारी ऐसे हो गए हैं.
पार्षद ने दंडवत होकर मांगी माफी
ब्रजेश श्रीवास के इस बयान के बाद नगर निगम परिषद में बीजेपी और कांग्रेस के पार्षदों ने जमकर हंगामा किया. वहीं महिला पार्षदों ने परिषद के आसंदी को घेरने के साथ ही धरना दिया. जिसके चलते परिषद की कार्यवाही दो बार स्थगित करनी पड़ी. अंत में सभापति ने कर्मचारियों को लेकर बड़ा फैसला लेते हुए कर्मचारियों की पदोन्नति पर रोक लगा दी. इसके साथ उन्होंने यह भी कहा कि जिन अधिकारियों ने संभाग आयुक्त से शिकायत की है, उनके खिलाफ जांच की जाए और 15 दिन में के भीतर इसकी रिपोर्ट सदन को सौंपें.
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