Sorrow Holi in MP: होली का पर्व आज के समय में लोकल से ग्लोबल तक का सफर तय कर चुका है. आधुनिक युग में पुरानी संस्कृति, परंपरा और मान्यताओं में भी अपने अनुसार लोगों ने बदलाव कर लिए हैं. लेकिन मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर जिले में आज भी कई सौ साल पुरानी परंपरा का निर्वहण लोग उसी श्रद्धा के साथ करते हैं. जिले भर में पांच दिवसीय होली उत्सव (Five Days Holi) शुरू हो गया है. सीहोर में पहले दिन गमी की होली (Sorrow Holi) होती है. इस परंपरा का निर्वहन वर्षों से किया जा रहा है. इसमें गम वाले परिवार, या कहें कि शोक में डूबे परिवार, जिन परिवारों में किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई हो, सबसे पहले ऐसे परिवार के लोगों को रंग-गुलाल लगाया जाता है. उसके बाद ही लोग एक-दूसरे के साथ होली खेलते हैं.
होली में सीहोर में खेली जाती है गमी की होली
गुंजने लगते हैं बुंदेलखंडी गीत
लोकपर्व होली में लोकगीतों का बड़ा महत्व रहा है. सीहोर नगर में फ्रीगंज क्षेत्र में आज भी होली आते ही बुंदेलखंडी लोकगीत सुनाए देते हैं. लोकगीतों के साथ ही ढोलक, नगाड़ा, झांझ-मंजीरे, खंजड़ी की धुन पर नाचते-गाते गैर निकाली गई. यहां फाग गायन की टोलियां बैठती हैं और पांच दिन के होली की उत्सव की शुरुआत होती है.
फाग गाने की खास परंपरा
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रामायण और देवी गीत की भी परंपरा
क्षेत्र में पूरे पांच दिन तक रंग गुलाल के साथ फाग गायन के कार्यक्रम चलते हैं. इन लोकगीतों में होली गीतों के साथ ही रामायण, महाभारत, देवी गीत, भगवान शिव, गणेश का उल्लेख होता है. इसके साथ ही, श्रृंगार, विरह गीत होते हैं, करूण रस, लोक वाणी में फाग गायन करते हैं. सूर्यवंशी समाज के लोग लोकगीतों में फाग, राई, स्वांग, ढिमरयाई शैली में गायन करते हैं.
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