सीहोर में हिंसक जानवरों से दहशत ! अब वन विभाग बताएगा बचाव के तरीके

Sehore Wildlife : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिले में जंगलों का क्षेत्रफल लगातार सिमट रहा है. यहां जंगल की जमीन को हथियाने के लिए लोगों का प्रयास रहता ही है. अब लोग जंगलों के मुहाने तक भी पहुंच रहे हैं.

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सिवनी में हिंसक जानवरों से दहशत ! बचाव के लिए वन विभाग ने अपनाया ये तरीका

Sehore Wildlife : मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिले में जंगलों का क्षेत्रफल लगातार सिमट रहा है. यहां जंगल की जमीन को हथियाने के लिए लोगों का प्रयास रहता ही है. अब लोग जंगलों के मुहाने तक भी पहुंच रहे हैं. यही वजह है कि हिंसक पशु और जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों पर हिंसक जानवरों के हमले भी बढ़े हैं. अब बाघ और तेंदुए गांवों तक पहुंचने लगे हैं. जो कभी लोगों को घायल कर रहे हैं... तो कभी पालतू पशुओं और मवेशियों को भी शिकार बना रहे हैं.

बढ़ रहा बाघ और तेंदुए का कुनबा

गौरतलब है कि वन क्षेत्रों में बाघ और तेंदुए की संख्या में इजाफा हो रहा है. बाघों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है. तो वहीं, तेंदुओं की संख्या 350 के आसपास पहुंच गई है. हिंसक पशुओं का कुनबा भी लगातार बढ़ रहा है. जंगलों के आसपास करीब 50 वन ग्राम हैं जहां बढ़ी आबादी निवास करती है... तो वहीं खेतों पर बने मकानों पर कई किसान परिवार रहने लगे है.

पांच साल में 4 की मौत, 115 घायल

बढ़ते हिंसक जानवरों के कुनबे के कारण से वन विभाग की चुनौतियां भी बढ़ गई है. वन विभाग के आंकड़ों की बात करें तो बीते पांच सालों में जिले में हिंसक पशु, टाईगर और तेंदुओं के हमलों में 4 लोगों की जान गई है, वहीं 115 लोग घायल हुए हैं. इसमें 2019-20 में घायलों की संख्या 15, साल 2020-21 में 48 घायल, जबकि साल 2021-22 में 8 लोगों को घायल किया है.

मृतकों और घायलों की दी गई राशि

वहीं, 2022-23 में 23 लोगों को घायल तो वहीं, हिंसक जानवरों ने इस साल 2023-24 में  अभी तक 21 लोगों को घायल किया है. वहीं, मृतकों परिजनों को क्षतिपूर्ति राशि 16 लाख रूपए बांटी गई. वहीं, घायलों को करीब 10 लाख राशि प्रदान की गई है जबकि इन पांच सालों में 800 पशु हानि के मामले सामने आए हैं. इसमें पशुपालकों को कुल 80 लाख रूपए की राशि दी गई है.

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सुनिए जिम्मेदारों का जवाब

इस संबंध वन विभाग के DFO एमएस डाबर ने बताया कि  जिले के 7 वन परिक्षेत्रों में 15 कैमरे लगे हुए हैं. गांव के लोगों को शामिल कर सुरक्षा समिति बनाई गई है. वन कर्मी और सुरक्षा समिति के सदस्य गश्ती करते है और कैमरे पर हिंसक पशुओं का मूवमेंट से लोगों जानकारी दी जाती है.

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