MP High Court: सुरेश कुमार कैत होंगे एमपी हाईकोर्ट के नए Chief Justice, जामिया हिंसा से लेकर इन केसों में निभाई है अहम भूमिका

Chief Justice of MP High Court: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के पद के लिए सुप्रीम कोर्ट ने नए नाम की सिफारिश की है. कोर्ट ने दिल्ली हाईकोर्ट के सीनियर जज सुरेश कुमार कैत को लेकर अनुशंसा की है. आइए आपको बताते हैं  सुरेश कुमार कैत कौन हैं.

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New Chief Justice of MP: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) के सीनियर जज सुरेश कुमार कैत (Suresh Kumar Kait) मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (MP High Court) के अगले चीफ जस्टिस होंगे. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मंगलवार को उनके नाम की अनुशंसा की है. बता दें कि इससे पहले 11 जुलाई को भी सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) के जस्टिस जीएस संधावालिया को एमपी हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाने की अनुशंसा की थी. उस आदेश को संशोधित करते हुए अब जस्टिस कैत का नाम हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए अनुशंसित किया गया है. 

कौन है सुरेश कुमार कैत

दिल्ली हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत एक प्रमुख न्यायाधीश हैं, जिन्होंने अपने न्यायिक करियर के दौरान कई सारे महत्वपूर्ण मामलों की सुनवाई की है. उनका कार्यक्षेत्र व्यापक है और उन्होंने कानून के कई क्षेत्रों में योगदान दिया है. कैत का जन्म और प्रारंभिक शिक्षा भारत में ही हुई है. उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद वकालत शुरू की और अपनी योग्यता और विशेषज्ञता के चलते उन्हें न्यायिक प्रणाली में सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ. उन्होंने विभिन्न न्यायिक पदों पर कार्य करते हुए समाज को न्याय दिलाने के लिए काम किया.

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क्या रहा है कैत का कार्यक्षेत्र

सुरेश कुमार कैत दिल्ली हाईकोर्ट में वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप फिलहाल काम कर रहे हैं. उनके कार्यक्षेत्र में दीवानी, फौजदारी, संवैधानिक, प्रशासनिक और वाणिज्यिक कानून के मामले शामिल हैं. उन्होंने न केवल दिल्ली हाईकोर्ट में, बल्कि विभिन्न अन्य न्यायिक संस्थानों में भी अहम फैसले दिए हैं. उनके फैसले व्यापक रूप से अनुसरण किए जाते हैं और न्यायिक समुदाय में आदर की दृष्टि से देखे जाते हैं.

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कैत के न्यायिक जिवन के विशेष केस:

  1. जामिया हिंसा केस: सुरेश कुमार कैत ने जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा के मामलों पर सुनवाई की थी. इस मामले में उन्होंने कई महत्वपूर्ण आदेश जारी किए थे.
  2. सीएए विरोध प्रदर्शन मामले में सुनवाई: सुरेश कुमार कैत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों से संबंधित मामलों की सुनवाई की थी. उन्होंने कानून और व्यवस्था बनाए रखने पर जोर दिया और न्यायिक स्वतंत्रता का पालन करते हुए संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की.
  3. पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (PIL): न्यायमूर्ति कैत ने कई जनहित याचिकाओं पर महत्वपूर्ण आदेश दिए हैं. इन याचिकाओं में सार्वजनिक अधिकारों और हितों की सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया.

क्या रहीं हैं प्रमुख उपलब्धियां:

  • न्यायिक निष्पक्षता: सुरेश कुमार कैत अपने निष्पक्ष और न्यायप्रिय दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने हमेशा निष्पक्ष और संतुलित न्याय दिया है, जिससे आम जनता का न्यायपालिका पर विश्वास बढ़ा है.
  • संविधान की रक्षा: सुरेश कुमार कैत ने हमेशा संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की है और लोकतंत्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं.
  • कानूनी सुधारों में योगदान: उन्होंने न्यायिक प्रणाली में सुधार और नवाचारों को बढ़ावा दिया है. उनके योगदान ने कानूनी प्रक्रिया को और प्रभावी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
  • महत्वपूर्ण फैसले: उनके द्वारा दिए गए फैसले कई बार सुप्रीम कोर्ट तक गए हैं और उन पर व्यापक रूप से चर्चा हुई है, जिससे उन्हें न्यायिक समुदाय में अत्यधिक सम्मान प्राप्त हुआ है.

सुरेश कुमार कैत का व्यक्तिगत परिचय

वरिष्ठ न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत का जन्म 24 मई 1963 को हरियाणा के कैथल जिले के ककौत गांव में हुआ था. उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्राप्त की, जहां से उन्होंने मानविकी में स्नातक किया. स्नातक के दौरान वे राष्ट्रीय सेवा योजना (NSS) के यूनिट लीडर चुने गए और विश्वविद्यालय मेरिट सर्टिफिकेट से सम्मानित किए गए. इसके बाद उन्होंने राजनीतिक विज्ञान में स्नातकोत्तर किया और कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में छात्र संघ के संयुक्त सचिव चुने गए.

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उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कैंपस लॉ सेंटर से कानून की डिग्री प्राप्त की और 1989 में एक वकील के रूप में पंजीकृत हुए. न्यायमूर्ति कैत ने केंद्र सरकार, यूपीएससी और भारतीय रेलवे के लिए वरिष्ठ वकील के रूप में कार्य किया. 2004 में, उन्हें केंद्र सरकार के स्थायी अधिवक्ता के रूप में नियुक्त किया गया और 2008 में दिल्ली उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति मिली. 2013 में उन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय का स्थायी न्यायाधीश बनाया गया. न्यायमूर्ति कैत ने 2016 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के लिए हैदराबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में भी कार्य किया.

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