Soybean Crops: नाराज किसानों ने खड़ी फसल पर चलाया ट्रैक्टर, सरकार और बीमा कंपनियों पर लगाया ये गंभीर आरोप

Soybean Farmers of Sehore: सीहोर जिले में प्राकृतिक प्रकोप के चलते सोयाबीन की फसलों काफी नुकसान हुआ है. बर्बाद हुईं सोयाबीन की फसलें खेतो में सूख चुकी हैं, जिससे हजारों खर्च कर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों का बुरा हाल. किसान रो रहा है, पर बीमा कंपनियां कुछ मदद नहीं कर रही हैं.

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SEHORE SOYBEAN FARMERS RUN TRACTOR CULTIVATORS ON STANDING CROPS, MP

Loss In Soybean Corp: सीहोर जिले में सोयाबीन की फसलों को हुए नुकसान को लेकर किसान काफी गुस्से हैं. बानगी गुरुवार को दिखी जब किसानों ने सोयाबीन की अपनी खड़ी फसलों पर ट्रैक्टर चला दिया. किसानों की नाराजगी की प्रमुख वजह बीमा कंपनिया है. किसानों का कहना है कि बीमा कंपनियां सर्वे के नाम पर सिर्फ रस्म अदायगी कर रही हैं.

सीहोर जिले में प्राकृतिक प्रकोप के चलते सोयाबीन की फसलों काफी नुकसान हुआ है. बर्बाद हुईं सोयाबीन की फसलें खेतो में सूख चुकी हैं, जिससे हजारों खर्च कर सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों का बुरा हाल. किसान रो रहा है, पर बीमा कंपनियां कुछ मदद नहीं कर रही हैं.

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लाड़कुई क्षेत्र में पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है सोयाबीन की फसल

रिपोर्ट के मुताबिक प्राकृतिक आपदा के चलते लाड़कुई क्षेत्र में सोयाबीन की फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है. फसल बीमा योजन के तहत सोयाबी किसानों को मुआवजा मिलना चाहिए, लेकिन बीमा कंपनियां का रैवये से नाराज किसानों ने गुरुवार को अपने खेतों में खड़ी सोयाबीन फसल पर ट्रैक्टर व कल्टीवेटर चला दिया. 

किसानों ने बोवनी समेत चीजों पर खर्च किए थे हजारों की राशि

गौरतलब है सोयाबीन फसल की बोवनी सहित अन्य संसाधनों पर प्रत्येक किसान ने हजारों रुपए की राशि खर्च की थी, लेकिन मौसम ने किसानों की मेहनत पर पूरी तरह पानी फेर दिया. नतीजा यह है कि सोयाबीन फसल में फली नहीं बैठ पाने के कारण किसानों को अपने खेतों को खाली करना पड़ रहा है.

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खेतों में ट्रैक्टर चलाने वाले किसानों का कहना है कि सरकार और बीमा कंपनी सिर्फ किसानों को गुमराह कर रही है, खेतों में सर्वे टीम नहीं पहुंच रही है और फसल की क्षति का आकलन भी सही नहीं हो रहा है. ऐसे में किसानों को उनकी बर्बाद फसल का सही मूल्य भी नहीं मिल पाएगा.

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आकलन सही नही होने से नहीं मिलेगा बीमा का लाभ 

मामले पर अनुविभागीय अधिकारी  द्वारा राजस्व, कृषि विभाग, पंचायत सचिव एवं उद्यानिकी विभाग के अधिकारी कर्मचारियों की एक सर्वे टीम तैयार करने के आदेश जारी किए हैं, लेकिन किसानों का कहना है कि सर्वे टीम फसलों का सही आकलन नही कर रही, इससे किसानों को पर्याप्त बीमा राशि भी नही मिलेगी.

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सोयाबीन फसल में लगातार उठाना पड़ रहा नुकसान

उल्लेखनीय  है कि क्षेत्र में मौसम की मार के कारण एक बार फिर सोयाबीन की फसल बर्बाद हो चुकी है. बीते 5 वर्षों से भी अधिक समय से क्षेत्र के किसानों को सोयाबीन की फसल में लगातार नुकसान उठाना पड़ रहा है. यही कारण है कि ग्राम झिरनिया के कई खेतों में किसान सोयाबीन की खड़ी फसल में ट्रैक्टर चलाते हुए दिखाई दिए हैं.

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पीड़ित किसानों ने कहा कि बीमा कंपनी केवल फसल बीमा के नाम पर प्रीमियम जमा कराती है। और जब फसल क्षति की राशि देने का नंबर आता है तो उतनी राशि भी किसानों के खाते में नहीं पहुंचती जितना किसानों ने फसल का प्रीमियम जमा किया है.

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बारिश से सोयाबीन की फसलों में नहीं लगा फल

किसान मोहनलाल ने बताया कि उन्हें मजबूरी में अपनी खड़ी हुई सोयाबीन की फसल पर ट्रैक्टर व कल्टीवेटर चलाना पड़ रहा है, क्योंकि क्षेत्र अत्यधिक बरसात होने के कारण सोयाबीन की फसलों में फल नहीं बैठ पाया हैं. चूंकि किसानों को अब रवि सीजन की तैयारी में जुटाना है और बर्बाद फसलों के कारण खेत तैयार नहीं हो पा रहे थे.

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रवि फसल के लिए खेतों को खाली कर रहे किसान

किसान ने बताया कि पहले ही उनके द्वारा सोयाबीन फसल की तैयारी एवं उसकी बोवनी में हजारों रुपए की राशि खर्च की थी, लेकिन नतीजा शून्य रहा. अब नए सिरे से रवि  फसल की तैयारी के लिए उन्हें फिर से राशि जुटानी होगी. किसानों ने सरकार और बीमा कंपनी पर झूठी तसल्ली का आरोप लगाया है.

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किसानों ने आरोप लगाया कि किसानों को दिलासा देने के लिए सरका द्वारा दिखावटी सर्वे शुरू किया गया है, जिसका फायदा किसानों को मिल पाएगा. उन्होंने बताया कि कुछ दिन पूर्व बीमा की राशि कई किसानों के खाते में पहुंची है, जो 500 से 1000 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से आई है.

एसडीएम को सौंपी जाएगी क्षति आकलन की रिपोर्ट

मामले पर भैरुंदा के तहसीलदार संदीप गौर का कहना है कि कलेक्टर के निर्देश पर फसलों की क्षति के आकलन के लिए हल्का बार टीम गठित की गई है, जिसमें राजस्व विभाग के पटवारी, कृषि विभाग के ग्राम सेवक, पंचायत विभाग के सचिव व उधानिकी विभाग के कर्मचारी शामिल है. टीम खेतों में पहुंचकर क्षति का आकलन कर रिपोर्ट एसडीएम को सौंपी जाएगी.

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