फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर 72 लाख की बीमा राशि हड़पने वाले 29 आरोपियों को 27 वर्ष बाद मिली सजा, जानें-पूरा मामला

Sehore Court News: सीहोर जिला कोर्ट ने 27 साल पुराने मामले में फैसला सुनाया है. मामले में कुल 50 आरोपी थे, जिनमें से एक को कोर्ट ने बरी कर दिया है. वहीं 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है. फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र लगाकर 72 लाख रुपये की बीमा राशि हड़पने वाले 39 आरोपियों को पांच-पांच साल की सजा सुनाई गई है.

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कोर्ट ने सभी 39 आरोपियों को सुनाई पांच साल की सजा

MP Scam News: मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सीहोर (Sehore) जिला सहकारी बैंक, राजगढ़ और शाजापुर की सहकारी समितियों में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र (Fake Death Certificate) लगाकर करीब 72 लाख रुपये निकालने वाले 39 आरोपियों को दोषी पाते हुए सीहोर कोर्ट ने पांच-पांच साल की सजा सुनाई है. जानकारी के अनुसार, मामले में कुल 50 आरोपी थे. क्योंकि मामले को 27 साल हो चुके हैं, इनमें से एक को कोर्ट ने बरी कर दिया है. वहीं, 9 आरोपियों की मौत हो चुकी है. आइए आपको पूरे मामले की जानकारी देते हैं.

60 साल से अधिक के आरोपी

अब इस केस में अधिकांश आरोपी 60 वर्ष उम्र से अधिक के हो चुके हैं. जब आरोपियों को सजा सुनाई जा रही थी, तब न्यायालय परिसर में इनके बेटे, नाती, पोते भी आए थे. जैसे ही सजा मिली, तो कई आरोपियों के परिजनों के आंखों से आंसू आ गए. अपने बुजुर्गों को जेल जाता देख वह भावुक हो गए. कोई उनके पैर पकड़ रहा था, तो कोई गले से लगा रहा था. फैसले में सुनवाई के दौरान न्यायालय परिसर पूरी तरह खचाखच भरा हुआ था. 

जांच में सामने आया सच

लोक अभियोजक अनिल बादल ने बताया कि शिकायतकर्ता बने सिंह ने सारंगपुर एसडीएम को प्रथामिक सहाकारी संस्था गुलावता में एकीकृत ग्रामीण विकास योजना के तहत राशि में अनियमितता होने के संबंध में शिकायती आवेदन दिया था. इसके बाद एसडीएम आरआर भोंसले ने बद्री प्रसाद नागर सहकारिता विस्तार अधिकारी से जांच कराई. जांच में पाया गया कि आरोपी अनिल कुमार वर्मा, यशवंत शर्मा, नरेश कुमार, नरेंद्र कुमार, अमृतलाल कारपेंटर शाखा प्रबंधक गुलावता सिद्धनाथ, शिल्प गौड़, आदि ने एक मत होकर एकीकृत ग्रामीण विकास योजना के हिग्राहियों के नाम समूह बीमा योजना के 527 खातों से फर्जी रूप से मृतक बीमा क्लेम की राशि 26 लाख दो हजार 745 निकाल कर धोखाधड़ी की है. 

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11 सरपंचों ने जारी किए थे मृत्यु प्रमाण पत्र

इस मामले में कुल 11 सरपंचों ने झूठे मृत्यु प्रमाण पत्र बनाए थे. इसमें अनिल कुमार वर्मा पत्नी मान कुमार वर्मा, शिवनारायण गौर, छितरमल, प्रेमनाराण गौर, देवेंद्र कुमार खाती, केवलराम मालवीय, गया प्रसाद कुर्मी, महेश पटेल पत्नी कामता देवी, बाबूलाल खाती, नंदकिशोर खाती, अब्दुल मजीद और मूलचंद चौहान शामिल थे.

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