Scholarship Scam: ₹57.78 लाख का छात्रवृत्ति घोटाला! मदरसों और स्कूलों में बच्चों के नाम पर हुआ खेला

Scholarship Scam: क्राइम ब्रांच के एडिशनल DCP शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि प्रकरण में शिक्षण संस्थाओं की भूमिका के संबंध में जाँच की जा रही है कि क्या शिक्षण संस्थाओं ने केवल छात्रवृत्ति फर्जी तरीके से प्राप्त की है? यह संस्थाओं ने छात्र भी फर्जी तैयार कर छात्रवृत्ति ली है. प्रदेश भर में इसका आंकड़ा बढ़ सकता है.

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Scholarship Scam: मध्यप्रदेश में स्कॉलरशिप घोटाला

MP Scholarship Scam: मध्यप्रदेश में अल्पसंख्यक छात्रों को केंद्र सरकार से मिलने वाली छात्रवृत्ति योजना में बड़ा फर्जीवाड़ा (Scholarship Fraud) सामने आया है. भोपाल में आठवीं और 10वीं कक्षा तक की मान्यता वाले अल्पसंख्यक स्कूलों और मदरसों ने 11वीं व 12वीं कक्षा के 972 स्टूडेंट्स के नाम 57 लाख 78 हज़ार 300 की छात्रवृत्ति निकाली है, भोपाल क्राइम ब्रांच (Bhopal Crime Branch) ऐसे 40 संस्थाओं के संचालको के खिलाफ मामला दर्ज किया है और जांच शुरू की गई है. आइए जानते हैं पूरा मामला.

ऐसे हुई शिकायत

पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के सहायक संचालक ने भोपाल क्राइम ब्रांच को पूरे मामले की शिकायत की जिसके बाद अब जांच की जा रही है, क्राइम ब्रांच की प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि शैक्षणिक सत्र 2021-2022 के दौरान इन 40 संस्थानों ने स्कॉलरशिप पोर्टल पर फर्जी छात्रों का पंजीयन कर कुल 57,78,300 की राशि शासन से प्राप्त कर ली,जांच में यह स्पष्ट हुआ है कि इस फर्जीवाड़े से शासन को आर्थिक क्षति पहुंचाई गई है.

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इन पॉइंट्स में समझें भ्रष्टाचार का पूरा खेला

मदरसों और स्कूलों में कुल 972 अपात्र विद्यार्थियों के नाम स्कॉलरशिप ली गई. भोपाल क्राइम ब्रांच ने पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण विभाग की शिकायत पर FIR दर्ज की. केंद्र सरकार की जांच में यह खुलासा हुआ कि कई मदरसे और संस्थान बिना मान्यता के वजीफा ले रहे थे. भोपाल 40 से अधिक  संस्थानों की पहचान हुई. 57 लाख 78 हज़ार 300 रुपए से अधिक की छात्रवृत्ति घोटाला सामने आया. छात्र असली थे या केवल कागजों पर मौजूद? इसकी जांच हो रही है. मदरसों स्कूलों के संचालक जांच के घेरे में, दस्तावेज तलब, क्राइम ब्रांच पूछताछ करेगा. शिक्षा विभाग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के कर्मचारी भी राडार पर हैं.

क्राइम ब्रांच ने क्या कहा?

क्राइम ब्रांच के एडिशनल DCP शैलेन्द्र सिंह चौहान ने बताया कि प्रकरण में शिक्षण संस्थाओं की भूमिका के संबंध में जाँच की जा रही है कि क्या शिक्षण संस्थाओं ने केवल छात्रवृत्ति फर्जी तरीके से प्राप्त की है? यह संस्थाओं ने छात्र भी फर्जी तैयार कर छात्रवृत्ति ली है. प्रदेश भर में इसका आंकड़ा बढ़ सकता है. प्रदेश भर में इन संस्थाओं की संख्या 100 से अधिक हो सकती है. फिलहाल पुलिस इन संस्थाओं के संचालकों को नोटिस जारी का जवाब मांगा है और अपना पक्ष प्रस्तुत करने के लिए भी कहा है.

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