Madhya Pradesh News: कई चीजें हैं जिसमें अपना मध्यप्रदेश देश में नंबर वन है...ऐसा ही एक क्षेत्र है-जैविक खेती. पूरे देश में सबसे ज्यादा इलाके में यानी 16 लाख 37 हजार हेक्टेयर में यहां जैविक खेती (Organic Farming) होती है. इस सूचना पर आप अपना सीना फुला सकते हैं लेकिन जब आपको पता चलेगा कि ये जैविक खेती अधिकारियों के भ्रष्टाचार की भेट चढ़ रही है तो शायद आपके माथे पर बल पड़ जाए. जी हां मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh News) के आदिवासी बहुल अनूपपुर जिले (Anuppur News)में जैविक खेती के नाम पर करोड़ों का घोटाला हुआ है. जांच के बाद स्थानीय प्रशासन ने आर्थिक अपराध शाखा और कृषि विभाग (Agriculture Department) को संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भी कर दी है. इस जांच रिपोर्ट की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट एनडीटीवी के पास है.
दरअसल साल 2019-20 में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए डीएमएफ यानी जिला खनिज निधि (District Mineral Fund) से करोड़ों की राशि जारी की गई.लेकिन ये करोड़ों रुपये पानी में बह गए. इसी हकीकत जानने के लिए हमारे स्थानीय संपादक अनुराग द्वारी और उनकी टीम जिले के गांवों में पहुंची और किसानों से बात की. हम उन किसानों का दर्द आपको बताएंगे लेकिन पहले जान लीजिए जिला प्रशासन ने कुल कितनी रकम किस मद में जारी की है. इससे समस्या को समझने में आसानी होगी.
बता दें कि इतनी रकम से अनूपपुर के खेतों में जैविक हरियाली लहलहा सकती थी अगर कुछ साल पहले कथित तौर पर यहां के खेतों में भ्रष्टाचार के दोयम दर्जे की खाद ना डाली गई होती. सबसे पहले हमारी टीम अनुपपुर जिले के कोतमा ब्लॉक के बसखली और चंगेरी गांव पहुंची. बसखली में किसानों को दिए गए बेड छप्पर में लटके मिले जिन्हें किसानों ने बारिश से बचने के लिए लगा रखा था. यहां के किसान मोतीलाल सिंह बताते हैं कि मुझे एक नेट और एक बेड मिला था. केंचुआ देने को कहा था लेकिन आज तक नहीं मिला. समाग्री कोई काम नहीं आई और न केंचुए मिले न और न ही खाद बनी. बसखली के दूसरे किसान कमलेश, सुनीता, लालमन और हीरालाल ने भी हमें यही बातें बताईं.
यहीं के किसान मोहन सिंह ने कुछ अलग बात बताई. उन्होंने बताया कि उन्हें एक नेट और बेड मिला था लेकिन केंचुआ नहीं मिला. जिसके बाद वे खुद बाजार गए और केंचुआ ले आए. इससे उन्होंने खुद ही खाद बनाई. अब ये भी जान लीजिए जैविक खेती की योजना क्या थी?
इसके बाद जब हमारी टीम चंगेरी पहुंची तो भी कुछ ऐसे ही हालात मिले. इसके अलावा गोहिन्द्रा, पथरौडी मनमारी, पेरिचुआ गाँवो में भी किसानों को आधी अधूरी सामग्री मिली है.ना कोई ट्रेनिंग हुई ना ही इस बारे में जानकारी दी गई .सबसे पहले इसकी शिकायत अनुपपुर जिले के पूर्व जिला पंचायत बुद्धसेन राठौर ने की थी. कलेक्टर ,कमिश्नर समते सबका दरवाजा खटखटाया, आरोप सही भी पाए गए लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई . अब ये भी जान लीजिए सरकार की योजना का क्या हुआ?
हमने सवालों के घेरे में आए अनूपपुर कृषि विभाग के उपसंचालक और आत्मा परियोजना संचालक से उनके दफ्तर में जाकर उनका पक्ष जानने की हमने कोशिश की लेकिन वो नहीं मिले, ना ही फोन पर जवाब दिया. बहरहाल आप ये जान लीजिए कि मध्यप्रदेश में जैविक खेती की स्थिति क्या है?
दरअसल ये घोटाला केवल किसानों के साथ धोखाधड़ी नहीं है, बल्कि जैविक खेती के सपने को भी धक्का है. केन्द्र सरकार ने 20 जिलों के बैगा,सहरिया और भारिया आदिवासी किसानों के लिये जैविक खेती को बढ़ावा देने की ये योजना बनाई थी. हैरत की बात ये है कि स्थानीय अधिकारियों ने ही इस घोटाले को पकड़ा लेकिन भोपाल आते-आते आरोपियों का रसूख उनकी रिपोर्ट पर हावी हो गया. अब देखना ये है कि इस बार क्या कार्रवाई होती है. वैसे आपको बता दें कि फिलहाल ये एक जिले का मामला है, परतें खुलीं तो बाकी जिलों के हाल का भी पता लग जाएगा.
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