Satna Thalassemia children HIV Case: सतना जिले में थैलीसीमिया से पीड़ित पांच बच्चों को एचआईवी संक्रमित रक्त चढ़ाए जाने के मामले में राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन (NACO) की टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार कर ली है. नाको की टीम देर रात सतना से रवाना हो गई. रिपोर्ट में ब्लड टेस्टिंग और स्क्रीनिंग प्रक्रिया में भारी लापरवाही को चिन्हित किया गया है. ऐसे में अब ब्लड बैंक का संचालन करने वाली संस्था पर भी कार्रवाई की तलवार लटक रही है. इससे पहले मामले में ब्लड बैंक के प्रभारी और टेक्नीशियन पर कार्रवाई की जा चुकी है.
सूत्रों के अनुसार, नाको (National AIDS Control Organisation) की टीम ने अपनी रिपोर्ट में प्रथम दृष्टया जिला अस्पताल के ब्लड बैंक का संचालन कर रही सूर्या चैरिटेबल ट्रस्ट को इस गंभीर चूक का सबसे बड़ा दोषी माना है. टीम ने पाया कि HIV जांच के लिए संस्था द्वारा क्लिया मशीन का उपयोग किया जा रहा था, जबकि मानक संचालन प्रक्रिया एसओपी के अनुसार रिएजेंट किट से जांच अनिवार्य है. रिएजेंट की उपलब्धता न होने के कारण कई मामलों में केवल रैपिड टेस्ट से ही स्क्रीनिंग की गई, जिससे एचआईवी का विंडो पीरियड बढ़ गया और संक्रमित रक्त की पहचान नहीं हो सकी.
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अब रोजाना एआरटी भेजने की तैयारी
जांच के दौरान एक और गंभीर खामी सामने आई कि ब्लड बैंक से एचआईवी रिएक्टिव पाए गए डोनरों की जानकारी एक माह बाद आईसीटीसी एकीकृत परामर्श एवं परीक्षण केंद्र को भेजी जा रही थी. देरी के कारण डोनरों को ट्रेस करना मुश्किल हो जाता था और एंटीरेट्रोवाइरल थेरेपी एआरटी समय पर शुरू नहीं हो पाती थी. ऐसे में अब रोजाना रिएक्टिव ब्लड की जानकारी आईसीटीसी को भेजने की व्यवस्था लागू करने की तैयारी है.
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NACO ने ट्रस्ट के डायरेक्टर को किया था तलब
गौरतलब है कि जांच के दौरान नाको टीम ने सूर्या चैरिटेबल ट्रस्ट के डायरेक्टर देवीदास को भी तलब किया था. टीम में नाको दिल्ली की एमडी डॉ. शोभिनी राजन, एम्स दिल्ली के ब्लड ट्रांसफ्यूजन विभाग के एचओडी डॉ. गोपाल पाटीदार, सफदरजंग अस्पताल के डॉ. सचिन बजाज और एमपी एड्स कंट्रोल सोसायटी के डिप्टी डायरेक्टर डॉ. महेंद्र जैन शामिल रहे. अब सभी की निगाहें अंतिम रिपोर्ट और संभावित कार्रवाई पर टिकी हुई हैं.