Salute To The Spirit: जब सरकार ने नहीं सुनी, तो गांव वालों ने खुद ही बना डाली सड़क

लटेरी जनपद के 100 परिवारों वाले मोतीपुर ग्राम पंचायत में आज़ादी के 75 साल बीतने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ था. सड़क का निर्माण नहीं होने से यहां ना एंबुलेंस आती है, ना बच्चा स्कूल पहुंच पाता है, लेकिन अब  गांववालों ने तय किया कि अब और इंतज़ार नहीं करेंगे. सड़क बनाकर ही मानेंगे...

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
motipur villagers built road by own

Villagers Built Road: मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में गांववालों की सरकार से विनती के बाद जब सड़क निर्माण का कार्य नहीं हुआ, तो ग्रामीण खुद सड़क का निर्माण करने में जुट गए. यह कहानी है विदिशा के आख़िरी छोर पर बसे मोतीपुर गांव की, जहां सड़क के लिए सालों की गुहार जब अनसुनी रह गई, तो गांववालों ने खुद हाथ में फावड़ा उठाकर गांव की सड़क बना डाली.

लटेरी जनपद के 100 परिवारों वाले मोतीपुर ग्राम पंचायत में आज़ादी के 75 साल बीतने के बाद भी सड़क का निर्माण नहीं हुआ था. सड़क का निर्माण नहीं होने से यहां ना एंबुलेंस आती है, ना बच्चा स्कूल पहुंच पाता है, लेकिन अब  गांववालों ने तय किया कि अब और इंतज़ार नहीं करेंगे.

ये भी पढ़ें-Raja Murder Case: वारदात के बाद इंदौर के जिस फ्लैट में रुकी थी सोनम उसके चौकीदार को हिरासत में लेकर इंदौर ले गई शिलांग पुलिस

कई बार गांव में सड़क निर्माण की मांग की गई, लेकिन मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया

गौरतलब है, मोतीपुर गांव के लोग सड़क निर्माण नहीं होने से काफी परेशान थे. कोई बीमार हो जाए तो निकलना मुश्किल हो जाता था. सड़क नहीं होने से गांव तक गाड़ी आ नहीं सकती थी. गांव वालों ने कई बार सरकार गांव में सड़क निर्माण की मांग की, लेकिन उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया.

बारिश में बढ़ जाती है परेशानी, बच्चे स्कूल नहीं जा पाते 

पीड़ित एक ग्रामीण ने बताया कि हर बार बारिश में कीचड़ में हो जाता हैं, लेकिन उनकी सुनने वाला या कोई सुनवाई करने वाला नहीं है. कच्ची सड़क पर बारिश के चलते कीचड़ होने से बच्चे स्कूल नहीं जा पाते. इसलिए उन्होंने अपनी तकदीर खुद लिखने का फैसला किया.

Advertisement

ये भी पढ़ें-Serial IED Blast Foiled: बीजापुर में सुरक्षाबलों ने नाकाम किया नक्सलियों द्वारा प्लांटेड सीरियल IED ब्लास्ट

जनपद सीईओ उदय प्रताप सिंह ने मोतीपुर गांव के लोगों के जज्बे को सलाम करते हुए कहा कि, स्थानीय लोगों का प्रयास सराहनीय है, हमने पंचायत को निर्देशित किया है, जल्द गांव तक सड़क निर्माण शुरू होगा. उन्होंने आगे कहा,  सरकारी फाइलों में विकास की तस्वीर भले ही पूरी हो, लेकिन मोतीपुर जैसे गांव ज़मीनी सच्चाई का आइना हैं.

ये भी पढ़ें-Deadly Lunch: 'लंच में क्या बनेगा' को लेकर हुआ विवाद, आगबबूला पति ने धारदार हथियार से कर दी पत्नी की हत्या

न ठेका मिला, न बजट! गांववालों ने अपनी मेहनत से बना डाली सड़क

रिपोर्ट के मुताबिक मोतीपुर के ग्रामीणों ने गांव में सड़क निर्माण के लिए न ठेका मिला, न बजट, गांववालों ने खुद अपने जमा किए पैसों से अपनी सड़क बनाई, जिसमें मिट्टी, छोटे-छोटे पत्थर, और ढेर सारा हौसला के मिश्रण से सड़क तैयार किया गया है. गांववालों के जज्बे को अब हर कोई सलाम कर रहा है.

गांव को ऐसे करना पड़ा जद्दोजहद

उल्लेखनीय है ये कहानी सिर्फ मोतीपुर की नहीं है, ये उस भारत की तस्वीर है जो सिस्टम की उम्मीद छोड़कर अब खुद रास्ता बना रहा है. सवाल सिर्फ एक है कि क्या ये विकास का भारत है या फिर खुद से जूझता भारत है, जहां आजादी के 75  वर्ष बाद एक अदद सड़क के लिए जद्दोजहद करना पड़ता है.

Advertisement

ये भी पढ़ें-Height Of Negligence: अंडर-कंस्ट्रक्शन ब्रिज के सर्विस रोड में फंस गया युवक, दर्दनाक मौत का जिम्मेदार कौन?